करिश्मा ! उत्तराखण्ड में पौड़ी के खेतों से निकलने लगा जब सोना ! गांव के 40 वर्षीय हरि प्रसाद कपरवान के जीवन में आया चमत्कार, ईलाके में ख़ुशी की लहर ।
उतराखंड मे मूलभूत आवश्यकताओं की कमी से शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के लिए पलायन, खाली होते गांव, बंजर होती जमीन जैसी तमाम खबरें हर रोज देखने व पढ़ने को मिलती है लेकिन आज हम आपका ऐसे ही एक गांव के बंजर खेतों से जुड़े चमत्कार की कहानी बताने जा रहे हैं। जी हां … चमत्कार ! एक ऐसा चमत्कार जिसने पलट दी कई युवाओं की किस्मत । और इसका सूत्रधार बना पौड़ी गढ़वाल के इस गाँव का युवा 40 वर्षीय हरि प्रसाद कपरवान । हरि ने सालों से बंजर पड़े खेतों को जैसे ही हाथ लगाया उनके हाथ लगा ऐसा खजाना जिसकी उन्हें उम्मीद भी न थी । यहाँ अब हरि के खेत दर खेत सोना उगल रहे हैं ।
चलिए अब आपको हरि और उनके खेतों से निकलने वाले सोने की हकीकत बताते हैं लेकिन उससे पहले उनका परिचय दे देते हैं । हरि प्रसाद कपरवान पौड़ी जिले के दूरस्थ बिजनी गांव के रहने वाले हैं जिनकी उम्र 40वर्ष है । हरिप्रसाद कुछ साल पहले दिल्ली की एक प्रतिष्टित सोफ्टवेयर डेवलपर कम्पनी मे डिप्टी जनरल मैनेजर की नौकरी करते थे, कम्पनी मे मान-प्रतिष्ठा और एक अच्छी सैलरी थी, लेकिन दिल मे कसक थी तो बचपन मे देखा खुशहाल गांव का सूनसान और हरे भरे खेतों का बंजर हो जाना, फिर क्या था साल 2012 मे गांव लौटने का फैसला लिया और ऋषिकेश से 60 किमी गांव दूर यमकेश्वर विधानसभा के अपने बिजनी गांव पहुंचे तो गांव के बंजर खेतों को पर्यटकों के लिए सजाने का बीड़ा उठा लिया। देखते ही देखते हरि प्रसाद की लगन मेहनत व रचनात्मक सोच ने वीरान पड़े गाँव के बीच उम्मीद की एक लौ जला दी ।
भले ही आज भी ये खेत बंजर हैं लेकिन अब ये कोई आम बंजर खेत नही हैं , ये खेत आज पौड़ी जिले में बिजनी गांव के कपरवान परिवारों के लिए सोना उगल रहे हैं, और हम फिर कह रहे हैं कि ये करिश्मा गांव के 40वर्षीय हरि प्रसाद कपरवान के दृढ संकल्प व रचनात्मक सोच ने कर दिखाया है ।
अब इन बंजर खेतों मे कुछ जगह सुन्दर-सुन्दर पर्यटक हट्स तो कुछ खेतों मे परम्पारिक खेती से हटकर हर्बल खेती हो रही है। आज बिजनी गांव दूर-दूर से आये पर्यटकों के लिए सुख शान्ति व ईको विलेज मे ईकोफे्रडली पर्यटन का एहसास दिलाता हैं। वाटिका नाम से शुरू किए इस कैम्प मे हरिप्रसाद ने केवल खुद के लिए स्वरोजगार तैयार नही किया बल्कि अब उसके 5 भाईयों समेत गांव के 12 युवाओं को रोजगार मिल रहा है। हरिप्रसाद के भाई बताते हैं कि वे कभी नौकरी की तलाश मे दिल्ली व मुम्बई चले गये थे और किसी तरह अपने परिवार को वहीं पाल रहे थे लेकिन जब भाई ने ये काम शुरू किया तो सबको गांव आने की सीख मिली और वे आज बहुत अच्छा पैसा कमा रहे हैं हालांकि शिक्षा की कमी के कारण उनके परिवार आज भी ऋषिकेश रह रहे हैं लेकिन वे रोजगार के लिए गांव मे ही है। बिजनी गांव मे हरिप्रसाद कपरवान की अलग सोच का परिणाम ही है कि आज दूर दूर से आये पर्यटकों को यहां हर्बल फूड्स का स्वाद एक अलग एहसास दिलाता है, दरअसल यहां सिर्फ हर्बल खेती ही नही बल्कि पशुपालन भी हो रहा है जिससे ताजा दूध दही व अन्य मिल्क प्रोडक्ट भी पर्यटकों को मिलता है। गांव मे खुशनुमा मौसम के एहसास के साथ यहां स्वीमिंग पूल,गेम्स जोन,कैम्प फायर जैसी हर सुविधा भी है। हरिप्रसाद ने साबित कर दिया कि दृढ सोच व कठिन मेहनत इंसान को कामयाबी की हर ऊची मजिंल तर पहुंचा देती है। वहीं उन्होने बिना सरकार मद्द के स्वारोजगार के लिए जो पहल की वह छोटी छोटी नौकरी की तलाश मे गांव छोड़ रहे युवाओं लिए किसी मिशाल से कम नही है ।
अतिउत्तमः शायद इससे हमें भी कुछ सीख मिलें । या उन युवाओं को 5,6 हजार के लिए पहाड़ छोड़कर फैक्ट्रियों में 8 से 12 घण्टे तक नौकरी करते है । लेकिन पहाड़ में नहीं रहना चाहते है । वैसे भी अब केंद्र सरकार व् राज्य सरकार कई योजनाओं को ख़ासकर युवाओं के लिए लायी हे । उन योजनाओं को धरातल पर उतारने का कार्य युवाओं को करना है ।
Nice,,
Nice
THANKS SASHI JI FOR SHARING SUCH A VERY IMPORTANT PRACTICAL INFORMATION TO THE YOUTH OF UTTRAKHAND. IT IS NEED OF HOUR LESSONS ON OUR YOUTH MIGRATION PROBLEM. IN FACT GOVT MUST TAKE INITIATIVE N INVITE THESE REFORMISTS ON A WORK SHOPS TO BE CONDUCTED GOVT TO THE VAST NUMBERS OF OUR UK DEVBHOOMI UNEMPLOYED EDUCATED FARMERS. WE ARE PROUD OF SHRI HARI PRASAD KAPARWAN JI FOR HIS INNOVATIONS N DETERMINATIONS. WE SALUTE HIM FOR HIS NOBLE INITIATIONS. THANKS
Hmm b esa karege
Congratulations Shashi ji
जुनून, हौसला और अटल इरादे हों तो कुछ भी संभव है। प्रेरक स्टोरी
Very very nice