इसे कहते हैं आ बैल मुझे मार….! आपदा आई नही है ज़नाब ! कोई तांडव नहीं किया प्रकृति ने यहां पर, समझा करो ।
सुबह-सुबह उठा तो सोशल मीडिया पर कुछ डरावनी तस्वीरों के साथ अलग-अलग यूजर ये बताने की कोशिश में लगे थे कि चमोली जनपद के जोशीमठ में प्रकृति का कहर…..! कोई लिख रहा था कि आफत बनी बारिश…..! तो कुछ लोग इसे बादल का फटना तक बताने से नहीं चूके ।
अब आप लोग गौर से देखिए और फोटुओं के जरिये भी समझने की कोशिश कीजिये । फिर आप समझ जाएंगे कि यह आपदा नहीं है, मनुष्य द्वारा स्वयं के लिए खड़ी की गई विपदा है । यहां पर बार-बार की प्राकृतिक चेतावनी के बाबजूद भी मनुष्य ने प्रकृति के मुहाने पर जाकर उसके राह में रोड़ा बनने की कोशिश की है ।
यह मैं इसलिए कह रहा हूँ कि आज जोशीमठ के इस इलाके में जहाँ पर आपदा आने से भारी नुकसान होने की बात बताई जा रही है, वह यहां पर कोई नई
बात नहीं है । अगर सिर्फ बीते दो दशकों का ही लेखा जोखा स्थानीय लोगों के नजरिये से देख लिया जाय तो उनका साफ कहना है कि यहां पर 20 साल में 17 बार आपदा आ चुकी है । बातचीत में लोगों ने नाम न छापने के एवज में बताया कि स्थानीय प्रशासन हर बार सब कुछ देखकर मौन रहता है ।
◆ असलियत ये है :
दरअसल जिस जगह पर आपदा आई है ऐसा प्रचारित किया जा रहा है , जो कि सत्य कोसों दूर है । ये जगह है जोशीमठ से लगभग 5 किलोमीटर पहले चमोली की ओर । और इस जगह का नाम ही है खनोटी गदरा । गदरा मतलब स्पष्ट है नाला, जिसमें वर्षभर पानी बहता रहता रोड़ के ऊपर से ही और हर वर्ष बरसात में एक – दो घंटे की बारिश में यह अपने
साथ पीछे पहाड़ी से भारी मलवा भी सड़क मार्ग तक ले आता है । जो कि इसका एक स्वाभाविक प्राकृतिक व्यवहार है । यह गदेरा न जाने कितनी सदियों से यहां पर यूँ ही आता – जाता रहता है और हर वर्ष अपनी दस्तक से मनुष्य को अपना अस्तित्व बताकर आगाह भी कर लेता है । परन्तु मनुष्य की क्रूर प्रवृति हर वर्ष प्रकृति की चेतावनी को दरकिनार कर उसके इलाके में अतिक्रमण कर लेता है । और आज उसी कुचेष्टा का खामियाजा यहां पर एक बार फिर से मनुष्य को भुगतना पड़ा है । गनीमत मानों कि प्रकृति ने बड़ी ही शालीनता के साथ सिर्फ अपने हिस्से का रास्ता साफ किया है । वाकही वह भी मनुष्य की तरह क्रूर होती तो आज यहां पर भारी जानमाल का नुकसान हो जाता । यह प्रकृति का स्पष्ट संकेत है कि .. हे मनुष्य तू बार – बार मेरी राह का रोड़ा न बन अन्यथा तुझे आने वाले समय में मेरा और भी भयानक विकराल रूप देखने के लिए तैयार रहना होगा ।
◆ आपकी जान ज्यादा जरूरी है, खतरों से यूँ न खेला करो :
स्थानीय लोगों से हम भी यही गुजारिश करेंगे कि आपकी जान से बढ़कर ज्यादा दौलत कभी नही हो सकती है । बार-बार मौत के इस मुहाने पर पसरने से अच्छा है कि किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर आप लोग यात्रा सीजन में अपना व्यवसाय संचालित करें । स्थानीय प्रशासन से मदद मांगे और अपने व्यवसाय के साथ-साथ अपने पीछे पल रहे परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का संकल्प लें । ये नाला हर वर्ष यूँ ही आता है यह कोई नई बात नहीं है और आगे भी अनवरत आता रहेगा बस संभलना तो आपको ही पड़ेगा अपनी जान के खातिर ।
● शशि भूषण मैठाणी पारस ( Shashi Bhushan Maithani Paras )
◆ आज यहां पर घटित घटना की खबर कुछ ऐसी है :
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग तबाही :
रात करीब 12 बजे भारी बारिश के चलते जोशीमठ के पैनी और सेलंग के बीच खनोटी नाला भारी उफान आने से क्षेत्र में अफरा तफरी मची । लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच खनोटी नाला (गदेरे) ने विकराल रूप धर लिया । नाले में पहले बड़े-बड़े बोल्डर पहाड़ी से लुढकर कर राष्ट्रीय राजमार्ग तक आने लगे जिसमें से एक बोल्डर दुकान के हिस्से से टकरा गया । जिसके बाद नाले से सटे
दुकानों (ढाबों) में सो रहे दुकानदारों में अफरातफरी मच गई । रात के अंधेरे में जैसे तैसे लोग अपना ऊना बिस्तर छोड़ दुकानों से भाग खड़े हुए । देखते ही देखते पलभर में उफान पर आए नाले ने सभी दुकानों को अपनी चपेट में लेकर उनका नामोनिशान मिटा दिया । ऐसा यहां पर पहले भी हो चुका है । (शायद आगे भी होता रहेगा) इस बार खनोटी नाले में कुछ दुकानों के दबने व कुछ के बहने की तस्वीरें आई हैं लेकिन गनीमत रही कि पहाड़ी से आए विशाल बोल्डर (पत्थर) के संकेत से लोग भागने में कामयाब हो गए ।
बताया जा रहा है कि यहां पर पूर्व के सालों की ही तरह इस बार भी भारी मलवा आ गया है जिस कारण बदरीनाथ एवं हेमकुंड आने जाने वाले यात्रियों को कुछ देर तक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है ।