जोशीमठ शहर की नींव हिली ! भूवैज्ञानिक पूर्व के वर्षों में कई बार चिंता जता चुके हैं ।
*नगर का एक बड़ा हिस्सा भू- धंसाव की चपेट में है ।
* स्थानीय लोग जल विद्युत परियोजनाओं को मानते हैं इसकी वजह ।
* वैज्ञानिकों का तर्क जोशीमठ के तलहटी में बहने वाली अलकनंदा से होने वाला कटाव है कारण ।
* सिंहधार से लेकर पैट्रोल पम्प तक लगभग 3 किलोमीटर की भूमि हर वर्ष आधे से एक फीट तक धंस जाती है ।
Joshimath, Chamoli . लगातार हो रही बारिश ने पहाड़ों पर अपनी क्रूरता जारी रखी हुई है। पिछले कुछ वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मानसून जरूरत से ज्यादा ही बरस रहा है । शुरूआत में खूबसूरत लग रहा मानसून अब डराने लगा है।
यूँ तो पहाड़ों में बरसात का जो मौसम होता है उसमें पहाड़ों का टूटना एक सामान्य बात है । लेकिन इस बार रुक रुककर हो रही मूसलाधार बारिश ने सबके दिलों में दहशत भर दी है ।
ये दृश्य देखिए यहां पर करीब 20 मीटर रोड पूरी तरह नष्ट हो चुकी है और यह वही मार्ग है जिससे होकर भक्त पहले नृसिंह बदरीनाथ होते हुए आस्था के श्रेष्ठ धाम बदरीनारायण की चौखट तक पहुंचते हैं ।
यह है जोशीमठ नगर क्षेत्र के अंतर्गत सिंहधार और नृसिंह मंदिर के बीच का क्षेत्र । जो कि धर्म नगरी जोशीमठ की नींव भी है । लेकिन हम यहां स्पष्ट कर देना चाहेंगे कि इस मार्ग के टूटने से बदरीनाथ आने वाले श्रद्धालु या औली आने वाले पर्यटकों की आवाजाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा । क्योंकि यह बाईपास मार्ग है । लेकिन चिंता की बात यह है अगर इस जगह का टूटना यूँ जारी रहा तो जोशीमठ नगर की बड़ी आबादी खतरे की जद में आ जाएगी ।
बताते चलें कि यह मार्ग बदरीनाथ जाने के लिए बाईपास मार्ग है । जहाँ पर रोड टूटी है वह करीब आधे किलोमीटर का एक क्षेत्र है , जहां बीते दो दशकों से लगातार बिना बारिश के भी भू-धंसाव जारी है ।
इस बड़े इलाके में प्रत्येक वर्ष लोक निर्माण विभाग को एक से डेढ़ फिट या कहीं कहीं पर तीन फीट तक का भराव कर नई सड़क बनानी पड़ती है । हालांकि बीच में नृसिंह मंदिर का क्षेत्र फिलहाल भूधसाव की चपेट में नहीं है परंतु कुछ ही दूरी के बाद पेट्रोल पंप बैंड और फिर उससे आगे तीखी ढलान पर भी हर साल तेजी से जमीन धंसती जा रही है ।
जोशीमठ नगर के बारे में वैज्ञानिकों द्वारा पहले ही कहा गया है कि इसके अंदर की भूमि कई हिस्सों में खोखली है । पूर्व में जाने माने भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो0 पी. सी. नवानी आज तक चैनल पर विस्तार से इसके बारे में चिंता व्यक्त कर चुके थे । यहां बताते चलें कि जोशीमठ के भौगोलिक ढांचे पर लगभग एक दशक पहले आज तक के संवाददाता शशि भूषण मैठाणी जो कि वर्तमान में यूथ आइकॉन के संस्थापक हैं , ने चैनल पर आधे घंटे की स्पेशल स्टोरी बनाई थी जिसके प्रसारण में तब भूवैज्ञानिक पी.सी. नवानी ने विस्तार से बताया था कि जोशीमठ नगर अस्थिर है ।
उन्होंने कहा था कि जोशीमठ नगर के नीचे जमीन खोखली है जिस कारण यह नगर हर वर्ष धंसता है । लेकिन तब उन्होंने यह भी चिंता जताते हुए कहा था कि जोशीमठ नगर की तलहटी में अलकनंदा भारी वेग के साथ बहती है और वह भी जमीन का कटाव करती है इसके लिए सरकारों को समय रहते जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है । प्रो0 नवानी ने बताया था कि समय रहते इस क्षेत्र में भूस्खलन के लिए ठोस उपाय नही किये गए तो इस पौराणिक नगर के अस्तित्व को भी खतरा है।
जहां पर आज यह सड़क टूटी है उसके ठीक ऊपर ही जोशीमठ का मुख्य बाजार भी है और आबादी का बड़ा हिस्सा उसमें रहता है ।
अगर अबकी बार भी इस जगह का हर बार की तरह कामचलाऊ उपचार कर इतिश्री की गई तो, यह भी पक्का मानिए कि वैज्ञानिकों को चिंता को तंत्र बार बार नजरअंदाज कर रहा है । ऐसा करने से कभी भी कोई भी बड़ी अप्रिय घटना इस क्षेत्र में हो सकती है ।
जहां पर सड़क टूटी है लोग जिस प्रकार जोखिम उठा कर आवाजाही कर रहे हैं वहां उन्हें रोकने वाला भी प्रशासन की तरफ से कोई नही है।
सरकार को चाहिए कि वह जोशीमठ नगर पर मंडराते इस खतरे से निबटने के लिए तुरन्त भू-वैज्ञानिकों की एक टीम गठित कर नगर के बचाव के लिए ठोस उपाय तालसने की दिशा में कार्य करते हुए इसके रोकथाम के लिए भी आवश्यक कदम उठाए ।
सचमुच अगर सरकार ने सड़क के टूटे हुए छोटे हिस्से को भी बरसाती हादसे से जोड़कर देखने की भूल की तो निःसंदेह आने वाले कुछ वर्षों में एक भयावह दृश्य देश और दुनिया के सामने हो सकता है ।
जोशीमठ नगर के संदर्भ में करीब 30 से 40 मिनट का वीडियो टेप मेरे पास आज भी सुरक्षित है जिसमें देश के जाने माने भू वैज्ञानिक प्रो0 पी. सी. नवानी एक दशक पहले मेरे द्वारा लिए गए एक साक्षात्कार में साफ कह चुके हैं कि जोशीमठ नगर एक तीखी ढ़लान वाली पोपली जमीन (खोखली जमीन) के ऊपर बसा हुआ है । उन्होंने कहा कि इसके नीचे मिट्टी कम और अलग अलग हिस्सों में विभक्त बड़े बड़े पत्थर ज्यादा हैं जिसकी वजह से जमीन के अंदर मौजूद पानी सीधे सतह पर जाकर मिट्टी को काटता है जिस कारण यहां तेजी से भूस्खलन का खतरा बना हुआ है । और सबसे बड़ी चिंता श्री नवानी ने इस बात पर जताई कि अलकनंदा नदी भी नगर की नींव को तेजी से नुकसान पहुंचा रही है । तब उन्होंने इस इलाके में अंडर ग्राउंड टनल (सुरंगों) के निर्माण को भी खतरनाक बताया था । लेकिन उसके बाबजूद भी जोशीमठ में जमीन के अंदर ही अंदर तपोवन से हेलंग तक सुरंग खोद ली गई और पूरी धौली गंगा को उससे बहाकर बिजली उत्पादन आने वाले दिनों में किया जाएगा । लेकिन हजारों परिवारों की जान से खेलकर यह कैसा सरकारी विकास है जो आज तक समझ में नही आया । – Shashi Bhushan Maithani Paras
Yes it’s true that due to the tunnel which is bored just under the Joshimath town it can damage the existence of the town.due to this tunnel the natural sources of water which were always flowing forcefully now these natural water resources are not flowing now. And it all happened due to this tunnel only.