यूथ आइकॉन स्टूडियो में हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट से खास बातचीत ।

Kranti Bhatt – Journalist of the week : राग दरबारी गाने वाले बने हुए हैं सरकार के प्रिय पत्रकार : क्रांति भट्ट

* 2015 यूथ आइकॉन Yi नेशनल मीडिया अवार्ड (विशेष सम्मान) से हुए हैं सम्मानित ।  

* पत्रकारिता में 30 वर्षों का लंबा अनुभव, हिन्दी शब्दकोष का भंडार है यह पत्रकार । 

* विदेश में पत्रकारिता छोड़ लौट आए पहाड़ लेकिन अनवरत जारी रही पत्रकारिता ।

* नब्बे के दशक से जुड़े हैं हिंदुस्तान समाचार पत्र के साथ । 

Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’ Editor Youth icon Yi National

                -: जर्नलिस्ट आइकॉन ऑफ  द वीक :-  

हमारे इस कॉलम को शुरू करने का उददेश्य है समाज के उन प्रहरियों को सामने लाना  है जो तमाम विकट परिस्थितियों के बावजूद हम आप तक सच को पहुंचाने का काम करते हैं । जिन्हें पहचानते तो हम हैं लेकिन उनके बारे में जानते बहुत कम हैं । जनहित के मुद्दे हों या फिर सरकार को आईना दिखाने का काम, हमेशा अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह  करते हैं  ये कलम के सिपाही ।

परिचय : 
पत्रकारिता इनका पेशा नहीं बल्कि मिशन है, इनकी लेखनी में हिमालय सी व्यापकता व पहाड़ों सा ठहराव है। इनकी कलम जब लिखती है तो उसका असर दूर तक होता है। इनकी लेखनी की मार से न छपास के सौदागर बचते हैं न कलम के । महानगरों की चकाचौंध से दूर पहाड़ों की खूबसूरत वादियों के बीच पत्रकारिता में इनको आंनद की अलग सी अनुभूति होती है। यूथ आइकॉन के इस विशेष ‘आइकॉन ऑफ  द वीक” में इस हफ्ते हमारे साथ हैं  पत्रकारिता का मजबूत स्तंभ क्रान्ति भट्ट। पत्रकारिता में 30 वर्षों के लंबे समय का सफऱ तय करने वाले अनुभवी पत्रकार क्रांति भट्ट ने 1985 से पत्रकारिता की राह पर चलना आरम्भ किया था । दो वर्षों तक लखनऊ उत्तर प्रदेश में नव भारत टाइम्स में अपनी सेवा दी । उसके बाद क्रांति भट्ट ने नेपाल से प्रकाशित होने वाली अंतराष्ट्रीय पत्रिका हिंवाल में पत्रकारिता की थी । तब ढाई वर्षों तक नेपाल में काम करने के बाद क्रांति भट्ट खींचे चले आये अपनी जन्म स्थली देवभूमि गोपेश्वर (चमोली), फिर क्रांति भट्ट ने यह तय किया कि हमारे पहाड़ से देश और दुनियां को दिखाने और पढ़ाने के लिए अथाह भण्डार है तो क्यों न ऐसे में अपनी कलम का इस्तेमाल पहाड़ के लिए किया जाय। तब से लगातार इसी सोच के साथ सीमांत जनपद चमोली गोपेश्वर में रहते हुवे क्रांतिभट्ट पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुवे आ रहे हैं इस दौरान इन्होंने अनेक पत्र पत्रिकाओं व 1992 से अब तक लगातार दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र के साथ जुड़कर अपनी कलम को पैनी धार दिए हुए हैं। अपने पहले साक्षात्कार में क्या कुछ कहा क्रान्ति भट्ट ने आप भी पढि़ए। 
आपका ही उदाहरण दे देता हूं कि आपने पिछले दिनों शिक्षक आंदोलन को लेकर सच लिखने की कोशिश की, तो किस तरह कुछ शरारती तत्वों ने आपके खिलाफ सोशल मीडिया में माहौल बनाने की कोशिश की। शशिभूषण के कुछ लिखने पर अगर कोई बिलबिला रहा है तो यही आपकी पत्रकारिता की कीमत है, यही आपकी सच्ची पत्रकारिता है। अगर सब लोग आपकी पत्रकारिता से खुश हैं तो आप अच्छे पत्रकार नहीं हैं। पत्रकारिता का ईनाम वो हैं कि लोग उसे गरियाएं, आपके कुछ लिखे हुए पर प्रतिक्रिया  हो, तो आप समझो कि आप की पत्रकारिता बहुत सही दिशा में जा रही है। 
यूथ आइकॉन स्टूडियो में हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट से खास बातचीत ।

Yi शशि पारस- पत्रकारिता की शुरूआत कब और किस अखबार से हुई ?

क्रांति भटृ – हमारा एक अखबार निकलता था उत्तराखण्ड आग्जर्बर। 1960 के दशक में यह अखबार मेरे ताऊ जी स्र्वगीय धनंजय भट्ट जी ने शुरू किया था, मैं उस समय बाहरवीं की पढ़ाई कर रहा था। उनके सानिध्य में मैंने उसमें लिखना शुरू किया। उच्च शिक्षा की पढ़ाई के साथ में सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगा, तो मेरे राजनीति विज्ञान के शिक्षक डॉ एस के सिंह ने कहा कि जीवन में कुछ लीक से अलग हटकर करो। आईएएस-पीसीएस बनकर आप भी इस व्यवस्था के अंग बन जाओगे तो फिर आप जिस बदलाव की बात करते हो वो बदलाव कैसे होगा। पढ़ाई करने के बाद में श्रीनगर आ गया, यहां से पत्रकारिता की पढ़ाई की और उसके बाद में नवभारत टाइम्स में लखनऊ में चला गया नौकरी करने के लिए, वहां तीन साल काम किया नंद किशोर त्रिखा जी के साथ, उसके बाद एक लड़की नेपाल से आती है, वह हिमाल करके अपनी मैग्जीन निकाल रही थी। उसने मुझ से उसमें कार्य करने का आग्रह किया, उस समय उत्तराखण्ड आंदोलन की शुरूआत हो रही थी। बौद्विक रूप से पूरे भारत में डिस्कशन होने लगा था कि राज्य और केन्द्र के सबंध कैसे होने चाहिए। इसी दौरान बद्रीनाथ में डॉ सुभाष कश्यप जो लोकसभा में महासचिव थे से मेरी मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में कुछ लीक से हटकर करो तो मैं नेपाल चला गया, वहां तीन साल हिमाल मैने हिमाल में काम किया। उसके बाद फिर में नवभारत टाइम्स से जुड़ गया, 1991 में हिन्दुस्तान अखबार से बुलावा आ गया, तब से हिन्दुस्तान में चमोली रिपोर्टर के तौर पर काम कर रहा हूं। इसके साथ ही देश और राज्य से जुड़े सुलगते मुद्दों पर निशुल्क रूप से कई साप्ताहित समाचार पत्रों और मैग्जीनों के लिए लिख लेता हूं। 
Yi शशि पारस-  पत्रकारिता में आई गिरावट के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं ?
क्रांति भटृ –  जब से अलग राज्य के तार पर उत्तराखण्ड का गठन हुआ। तब से पत्रकारिता में गिरावट ज्यादा आई है। राज्य गठन के साथ ही कुछ लोग इस राज्य के दैहिक शोषण पर उतारू हो गए। पत्रकारिता में कुछ ऐसे लोग चेन स्नैचरों की तरह आ गए हैं, जिनको पत्रकारिता की समझ नहीं है, इसके साथ ही सबसे बड़े दोषी वो राजनेता हैं जिन्हे छपास की बीमारी लगी हुई है। जिन्होंने छपास के लिए उन लोगों को गले लगाया जिन्हें पत्रकारिता की एबीसीडी का ज्ञान नहीं था। पत्रकारों पर आरोप लगते हैं कि ब्लैकमेल कर रहें हैं, जब किसी की कोई कमी होगी तभी तो कोई उसे ब्लैकमेल करेगा। जिन लोगों ने पत्रकारिता को कलम बनाने के बजाय रामपुरी चाकू बनाया और उसके आधार पर कहा या तो निकाल या फिर भुगतने के लिए तैयार रह, वो लोग पत्रकारिता में आई गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। 
21 फरवरी 2016 को देहारादून में यूथ आइकॉन Yi नेशनल अवार्ड से सम्मानित हुए क्रांति भट्ट ।                                              पत्रकारिता में 30 वर्षों के लंबे समय का सफ़र तय करने वाले अनुभवी पत्रकार क्रांति भट्ट ने 1985 से पत्रकारिता की राह पर चलना आरम्भ किया था । तब उन्होंने दो वर्षों तक लखनऊ उत्तर प्रदेश में नव भारत टाइम्स में अपनी सेवा दी । उसके बाद क्रांति भट्ट ने नेपाल से प्रकाशित होने वाली अंतराष्ट्रीय पत्रिका हिंवाल में पत्रकारिता की थी । तब ढाई वर्षों तक नेपाल में काम करने के बाद क्रांति भट्ट खींचे चले आये अपनी जन्म स्थली देवभूमि गोपेश्वर (चमोली), फिर क्रांति भट्ट ने यह तय किया कि हमारे पहाड़ से देश और दुनियां को दिखाने और पढ़ाने के लिए अथाह भण्डार है तो क्यों न ऐसे में अपनी कलम का इस्तेमाल पहाड़ से ही पहाड़ के लिए किया जाय ।
तब से लगातार इसी सोच के साथ सीमांत जनपद चमोली गोपेश्वर में रहते हुवे क्रांतिभट्ट पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुवे आ रहे हैं इस दौरान इन्होंने अनेक पत्र पत्रिकाओं व 1992 से अब तक लगातार दैनिक हिन्दुस्तान समाचार पत्र के साथ जुड़कर अपनी कलम को पैनी धार दिए हुवे हैं ।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रिंट मीडिया के मजबूत स्तम्भ क्रान्ति भट्ट  को 21 फरवरी 2016 में मुख्यमंत्री हरीश रावत व IBN 7 के मैनेजिंग डारेक्टर देश के जाने माने पत्रकार सुमित अवस्थी द्वारा  यूथ आइकॉन Yi नेशनल मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया ।  

Yi शशि पारस-  राजनीतिक अस्थिरता की तरह ही उत्तराखण्ड में पत्रकारिता में भी अस्थिरता है क्या  ?

क्रांति भटृ –  बिल्कुल सही कहा आपने, दु:ख के साथ कहना पडता है कि पिछले 16 सालों में राजनीतिक अस्थिरता की तरह ही पत्रकारिता में भी अस्थिरता रही है। इतनी अस्थिरता देश के किसी राज्य की पत्रकारिता में कहीं नहीं रही। देश के सभी राज्यों के मुकाबले उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा पेपर रजिस्र्टड हैं। जो पेपर वाकई जमीनी मुद्दों को लेकर लिखे जा रहें हैं उनको साइड लाईन किया जा रहा है। जो पत्रकारिता के क्षेत्र में दरबारी राग गाते हैं वो सरकार के प्रिय पत्रकार बने हुए हैं, या सिर्फ दरबार का विरोध इसलिए करेंगे कि कुछ मिल जाए। सच्चाई वाली पत्रकारिता तो चली गई है। सरकारों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए था। हम किनको मान्यता दें रहें हैं उनकी ठीक प्रकार से जांच पड़ताल होनी चाहिए, सिर्फ खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए। हमारी विज्ञापन नीति क्या है उसका लाभ छोट और मझले पत्रकारों या अखबार चलाने वालों को मिल पा रहा है या नहीं। कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब  16 साल बाद भी जस के तस हैं। 
Yi शशि पारस-  अगर पत्रकार सच लिखने का सहास जुटाता है तो कुछ लोग उसके खिलाफ माहौल बनाने लगते हैं, सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से उसको डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं, ऐेसे में पत्रकार करे तो क्या करें ?
क्रांति भटृ – जर्नलिस्ट न तो एकटिविस्ट हो सकता है न ही जज, शायद जनमानस को पत्रकारों से कुछ ज्यादा ही उम्मीद है। इसलिए पत्रकारों के खिलाफ  उनमें गुस्सा भी ज्यादा देखने को मिलता है। राजनेताओं को लेकर उतना गुस्सा नहीं जितना पत्रकारों को लेकर है। आपका ही उदाहरण दे देता हूं कि आपने पिछले दिनों शिक्षक आंदोलन को लेकर सच लिखने की कोशिश की, तो किस तरह कुछ शरारती तत्वों ने आपके खिलाफ सोशल मीडिया में माहौल बनाने की कोशिश की। शशिभूषण के कुछ लिखने पर अगर कोई बिलबिला रहा है तो यही आपकी पत्रकारिता की कीमत है, यही आपकी सच्ची पत्रकारिता है। अगर सब लोग आपकी पत्रकारिता से खुश हैं तो आप अच्छे पत्रकार नहीं हैं। पत्रकारिता का ईनाम वो हैं कि लोग उसे गरियाएं, आपके कुछ लिखे हुए पर प्रत्रिक्रिया हो, तो आप समझो कि आप की पत्रकारिता बहुत सही दिशा में जा रही है। 
Yi शशि पारस-  सोशल मीडिया की सक्रियता से पत्रकारिता को कितनी मजबूती मिली है?
वरिष्ठ पत्रकार क्रांति भट्ट से हुई बातचीत यूथ आइकॉन हिन्दी समाचार पत्र के 19 दिसंबर के अंक में भी प्रकाशित ।

क्रांति भटृ –  आमतौर पर संपादक को अंहकार हो जाता था कि मैं जो चाहूंगा वो छपेगा। कुछ लोग यह सोचते थे कि बस हमें लिख सकते हैं। यह अच्छा दौर निकला है सोशल मीडिया। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसे किन शब्दों का चयन करना है। जुबिरकर्स ने अपनी पत्नी से बात करने के लिए फेसबुक का निर्माण किया था उसे क्या पता था कि यह लोगों द्वारा भड़ास निकालने की जगह बन जायेगा। सोशल मीडिया के सकारात्मक पक्ष भी हैं और नकारात्क पक्ष भी। कुछ लोग बहुत अच्छा लिख रहें हैं। 

जैसे मुकुट बिहारी अग्रवाल बहुत अच्छा लिख रहें हैं। वह 80 वर्ष के हैं बहुत कम लिखते हैं अच्छा लिखते हैं। नाकारात्मक पक्ष ये है कि हर कोई जज बन जा रहा है। कुछ पत्रकारों में सहने की शक्ति नहीं है। कुछ पत्रकारों को लगने लगा है मैं ही मैं हूं दूसरा कोई नहीं है। 
Yi शशि पारस-  जीवन में कभी आपको लगा कि पत्रकारिता छोड़ देनी चाहिए।
क्रांति भटृ –  मेरे मन भी लगता है कि मैं ही क्यूं ईमानदार बनकर रहूं, जब बिटिया की फीस देनी होती है, त्यौहारों पर जब परिवार के लोगों को मन मारकर रहना होता है। मनरेगा का मजदूर भी मजदूर भी मुझ से ज्यादा पैंसे पाता है। आज भी में इतने कम पैंसे पाता हूं कि लोग सोचने को मजबूर हो जाते हैं। जब-जब मन में छोडने का विचार आता है तब-तब लगता है कि कोई अर्दश्य शक्ति मुझे आगे बढने की हिम्मत दे रही है। मैं साफ तौर पर एक बात कहना चाहता हूं ईमानदारी की पत्रकारिता में पत्रकार गरीब हो सकता है लेकिन दरिद्र नहीं। समाज के लोग ईमानदार पत्रकार को दरिद्र नहीं बनने देंगे। कहीं न कहीं आपके साथ खड़े रहेंगे। 
 
Yi शशि पारस-   पत्रकारिता में आने वाले युवाओं को आपका क्या संदेश है ?
क्रांति भटृ –  आज जमाना बदल गया है, समय के साथ पत्रकारिता बदल गई है। आपको सच लिखना है लेकिन सच कहने के तरीके बदल गए हैं। पत्रकारिता में आओ तो मैनेजमैंट के आधार पर पत्रकारिता करो, तीन तरह की पत्रकारिता होती है। एक है वॉचिंग डॉग की पत्रकारिता कि भौंकना, जागो-जागो, नारद की पत्रकारिता, इधर से उधर करना, और शहादत की पत्रकारिता, पूरे जुनून के साथ पत्रकारिता करना। अब आप को चूज करना है कि आप ने कौन सी पत्रकारिता करनी है।
©  प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,  

Copyright: Youth icon Yi National Media, 23.12.2016

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