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उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू: राज्य की भूमि सुरक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम।
उत्तराखंड सरकार ने भूमि संरक्षण और अनियंत्रित खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के लिए सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में यह निर्णय लिया गया, जो राज्य की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को बनाए रखने के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य बाहरी लोगों द्वारा अवैध भूमि खरीद पर रोक लगाना, पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का सुनियोजित प्रबंधन करना और राज्यवासियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
◾क्यों जरूरी था नया भू-कानून?
उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन की अपार संभावनाओं के कारण बाहरी लोगों द्वारा तेजी से भूमि खरीद की जा रही थी। इससे मूल निवासियों के लिए भूमि खरीदना मुश्किल हो रहा था, साथ ही अंधाधुंध अतिक्रमण और अवैध कब्जे की घटनाएं बढ़ रही थीं।
बढ़ती जनसंख्या और अवैध भूमि कब्जे के कारण राज्य के प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा था।
पहाड़ी क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण और बाहरी निवेशकों द्वारा जमीन की अंधाधुंध खरीद से स्थानीय लोगों को अपने ही प्रदेश में रहने और खेती करने में कठिनाई हो रही थी।
राजस्व विभाग और प्रशासन पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा था, जिससे भूमि विवादों के मामले बढ़ रहे थे।
भूमि की कीमतें अप्राकृतिक रूप से बढ़ रही थीं, जिससे सामान्य नागरिकों के लिए भूमि खरीदना मुश्किल हो रहा था।
इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने सख्त भू-कानून लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
◾नए भू-कानून के मुख्य प्रावधान
1. 2018 के सभी प्रावधान समाप्त
2018 में लागू किए गए सभी पुराने भूमि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब भूमि खरीद से जुड़े सभी नए नियम इस नए भू-कानून के तहत लागू होंगे।
2. बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
राज्य सरकार ने बाहरी लोगों द्वारा कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर सख्त रोक लगा दी है।
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर अब राज्य के 11 जिलों में बाहरी व्यक्ति कृषि और बागवानी की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
इससे पहाड़ों में भूमि का अनावश्यक अधिग्रहण रुक जाएगा और राज्य की प्राकृतिक संपत्ति संरक्षित रहेगी।
3. पहाड़ी इलाकों में भूमि प्रबंधन के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती
सरकार चकबंदी और बंदोबस्ती की नीति अपनाएगी, जिससे भूमि का सही तरीके से उपयोग हो सके।
इससे अवैध कब्जे और भूमि विवादों में कमी आएगी तथा किसानों को अपनी भूमि का सही तरीके से उपयोग करने में मदद मिलेगी।
4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से किसी को भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे सकेंगे।
भूमि खरीद से जुड़े सभी निर्णय सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से होंगे।
इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रशासनिक अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
5. ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भूमि खरीद की निगरानी
भूमि खरीद-बिक्री की प्रक्रिया एक विशेष डिजिटल पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।
राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति यदि उत्तराखंड में भूमि खरीदना चाहता है, तो उसे इस पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
इससे सरकार हर ट्रांजेक्शन पर निगरानी रख सकेगी और फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा।
6. बाहरी खरीदारों के लिए शपथ पत्र अनिवार्य
राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति को भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।
इससे भूमि सौदों में पारदर्शिता आएगी और धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी।
7. भूमि खरीद की नियमित रिपोर्टिंग अनिवार्य
सभी जिलाधिकारियों को भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट शासन को नियमित रूप से सौंपनी होगी।
इससे सरकार को समय-समय पर भूमि खरीद की पूरी जानकारी मिलती रहेगी और जरूरत पड़ने पर आवश्यक बदलाव किए जा सकेंगे।
8. नगर निकाय सीमा के भीतर भूमि उपयोग के सख्त नियम
नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग सिर्फ तयशुदा भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के विरुद्ध जाकर भूमि का इस्तेमाल किया, तो वह जमीन सरकार द्वारा जब्त कर ली जाएगी।
◾नए भू-कानून के प्रभाव और लाभ
• बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर पूर्ण रोक लगेगी।
• राज्य के निवासियों को भूमि खरीदने में प्राथमिकता मिलेगी और उनकी जमीन सुरक्षित रहेगी।
• पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे अतिक्रमण और अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगेगी।
• राज्य में भूमि की कीमतों में असामान्य वृद्धि पर नियंत्रण रहेगा, जिससे आम लोगों को भी जमीन खरीदने में सहूलियत होगी।
• सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को खत्म किया जा सकेगा।
• राजस्व प्रशासन अधिक पारदर्शी और डिजिटल बनेगा, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
कुलमिलाकर उत्तराखंड सरकार द्वारा लाया गया यह नया भू-कानून राज्य की भूमि सुरक्षा और संतुलित विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस कानून से राज्यवासियों के हितों की रक्षा होगी, भूमि के सही उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और अनावश्यक बाहरी हस्तक्षेप पर रोक लगेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पहल उत्तराखंड की संस्कृति, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
◾शशि भूषण मैठाणी “पारस”
Mob. 7960214681
Shashi Bhushan Maithani Paras