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प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ 2025 सनातनी परम्पराओं के लिए कई मायनों में विशेष बन गया है। महाकुंभ 2025 इस बार सांस्कृतिक और परंपरागत बदलावों का गवाह बना। 144 साल बाद पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग इस आयोजन को और भी खास बनाता है। अन्य कुम्भ मेलाओं की अपेक्षा इस बार को अलग ही भव्यता एवं दिव्यता प्रदान की गई है।

▶️ योगी के फैसले के बाद हमेशा के लिए विसर्जित हो गए मुग़लकालीन शब्द! अब होगा अमृत स्नान और छावनी प्रवेश :

प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुगलकालीन शब्द संकेतों को भी सनातनी धार्मिक महाकुम्भ से हमेशा के लिए हटा दिया है। योगी के इस फैसले को साधू संतो ने हिन्दू हितकारी बताया है। और हर तरफ योगी की वाहवाही हो रही है। कुम्भ में पहुँच रहे श्रद्धालुओं ने योगी को सनातनी ध्वज वाहक बताते हुए हिन्दू सम्राट बता रहे हैं।
अयोध्या के श्री राम वैदेही मंदिर के महंत स्वामी दिलीप दास त्यागी महाराज ने मकर संक्रांति का अमृत स्नान करने के बाद कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गुलामी के प्रतीक “शाही स्नान” को अमृत स्नान और “पेशवाई” को “छावनी प्रवेश” में परीवर्तित कर सनातनी संस्कृति को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि शाही और पेशवाई मुगलकालीन शब्द हैं जिनका अर्थ सनातन धर्म में व्यर्थ के समान है। आज यह परम्परा टूट गई है और अब “अमृत स्नान” करने तथा छावनी प्रवेश करने पर साधू संतो के अलावा करोड़ों हिन्दू सनातनियों को गर्व का महसूस हो रहा है।

▶️ महाकुंभ 2025 में परंपरा और संस्कृति का जुड़ा नया अध्याय :

144 साल बाद पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग इस आयोजन को खास तो बनाता है। वहीं इस बार का महाकुम्भ सांस्कृतिक और परंपरागत बदलावों का भी गवाह बन गया है। ऐसा कहना है अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का। महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि ऐसा हमने पहली बार देखा है जब किसी सरकार सनातनी कुम्भ को विशेष बनाया हो। योगी सरकार ने महाकुंभ में उर्दू शब्दों को हटाकर हिंदी और सनातनी शब्दों का उपयोग कर नया कृतिमान स्थापित कर दिया है। महंत ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उक्त प्रस्ताव पूर्व में दिया गया था। जिस पर उन्होंने निर्णय लेकर उर्दू के शब्द ‘शाही’ और ‘पेशवाई’ को हमेशा के लिए इस महाकुम्भ में विसर्जित कर दिया है।

 

By master

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