Maithana Sawan Special : चमत्कारी, शिवलिंग जो बदलता है तीनों पहर में रंग ।
*मैठाणा , जहां पर स्वयं नारायण और नारायणी करते हैं भोलेनाथ की पूजा अर्चना ।
Maithana, Chamoli Yi Media Report 18 July, बदरीनाथ को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर नंदप्रयाग और चमोली नगर के मध्य महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मैठाणा गाँव और यहाँ पर बिराजती हैं माता लक्ष्मी जी भगवान नारायण जी के साथ, और दोनों के मध्य में हैं देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ का चमत्कारी शिवलिंग । धार्मिक मान्यतानुसार इस स्थान पर लक्ष्मी और नारायण जी बारह मास निरंतर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं ।
लक्ष्मी और नारायण जी करते यहाँ भोलेनाथ की पूजा :
मैठाणा लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में है यह भगवान शंकर जी का अदभुद चमत्कारी शिवलिंग ,इस दिब्य लिंग में भक्तों को दिन में तीन अलग-अलग रंगों में भगवान के दर्शन होते हैं | सुबह लाल , दोपहर में एक हिस्सा लाल तो दूसरा नीला जबकि साध्य काल में एक दम नीलाम्बर रूप में दर्शन होते हैं | एक मान्यता नुसार कहा जाता है की इस जगह पर भगवान नारायण शिव की पूजा करते हैं जबकि लक्ष्मी जी श्री नारायण जी को पूजा में सहयोग कर रही हैं । कहते हैं कि यहाँ पर लक्ष्मी नारायण जी सांसारिक मोह माया से अलग होकर देवाधिदेव भोलेनाथ जी कि पूजा करते हैं | तभी तो मैठाणा में लक्ष्मी जी नारायण जी के बामांग अर्थात बायें भाग के बजाय दायें भाग में विराजी हैं , यहाँ पर आज भी आप देखेंगे कि भगवान नारायण जी का मंदिर दायें एवं लक्ष्मी जी का मंदिर बायें भाग में है और दोनों के मध्य विराजते हैं देवाधिदेव भोलेनाथ जी ।
नारायण क्षेत्र मैठाणा का संक्षिप्त धार्मिक परिचय :
श्री नारारयण मठों में से एक है मैठाणा । यहाँ पर स्थित “लक्ष्मी नारायण जी” का मंदिर अपने अदभुद प्राचीन शैली के ढाँचे के साथ आज भी अपने धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पारंपरिक इतिहास गाथा के साथ यथावत मौजूद है । बताया जाता है कि वर्ष 1803 में पूरे हिमालयी क्षेत्र को जो भयंकर भूकंप की मार झेलनी पड़ी थी , उसमे देवभूमि की कई ऐतिहासिक धरोहरें नेस्तनाबूत हो गयी थी , और कई प्राचीन मठ मंदिरों को भारी नुकसान भी हुवा था । उसी दरमियान मैठाणा में लक्ष्मी और नारायण जी के मंदिरों को भी नुकसान हुआ था, जिसमें तब लक्ष्मी मंदिर के गृभग्रह में मौजूद माता लक्ष्मी जी भव्य मूर्ति खंडित हो गई थी । हिन्दू धार्मिक मान्यतानुसार किसी भी खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है । तब इसी मान्यतानुसार मठ के संरक्षक स्वामी गोसाईं जी महाराज (बाबा जी) के सुझाव पर ग्रामीणो द्वारा माता लक्ष्मी जी की खण्डित हुई मूर्ति को पतित पावनी माँ अलकनंदा में विसर्जित कर दिया गया था । 1803 के बाद इस स्थान पर पूरे 204 वर्षों तक भगवान श्री नारायण जी बिना लक्ष्मी जी के अपनी पंचायत के साथ गृभग्रह में रहे । वर्ष 2007 में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने इस स्थान का स्ंग्यान लिया व फिर दक्षिण भारत से काली शिला पर माता लक्ष्मी जी की भव्य मूर्ति का निर्माण करवाया और फिर एक भव्य समारोह में नारायण जी और माता लक्ष्मी जी का अद्भुत मिलन 204 वर्षों बाद हो गया । मैठाणा में स्थित मंदिर आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित बताया जाता है । जिसके निर्माण का अनुमान ढाई हजार वर्ष पूर्व लगभग माना जाता है । हालांकि सन 1803 में आए भूकंप के बाद तीन में से एक माता लक्ष्मी जी का मंदिर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था जिसे फिर मैठाणा के ही कुशल शिल्पकला के धनी तूणिया लाल द्वारा अपने सहयोगियों की मदद से बनाया गया । जिनकी कोई संतान नही थी परंतु मंदिर निर्माण के तुरंत बाद उन्हे संतान प्राप्ति हुई जिनका नाम उन्होने फिर प्रसादी रखा, और आज उनका परिवार गाँव के समृद्ध परिवारों में शामिल है ।
भगवान नारायण की इस भूमि में श्री लक्ष्मी -नारायण परिसर में भगवान भोलेनाथ का अदभुद शिवलिंग बिराज मान है , जबकि गाँव के बीरबट्टा तोक में अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित माँ इन्द्रमती “इन्द्राणी” का भी भव्य मंदिर है । जिसकी कृपा क्षेत्र वासियों पर सदा बनी रहती है । जब-जब ग्रामीण स्वयं को किसी मुसीबत में घिरा पाते हैं तब-तब वह माता इन्द्रमती के शरण में पहुँच जाते हैं । इसलिए माँ को ग्राम की ईष्ट देवी भी कहा जाता है ।
इसी नारायण भूमि के रक्षक के रूप में भूमि के भुमियाल श्री जाख देवता का मंदिर है मैठाना के दुनियाला तोक में । यहाँ बिना जाख देवता की आज्ञा से कोई भी अनुष्ठान नहीं किया जाता है , इसलिए क्षेत्र में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले जाख देवता का आह्वाहन कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है , मान्यता है कि भूमि के भूमियाल जाख देवता ही निर्विघ्नता पूर्वक सभी कार्यों को सम्पन्न भी करते हैं ।
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 18.07.2016
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रोचक और तथ्यात्मक जानकारी देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद मैठानी जी ।