Kajari – Jhumari ek saman : बिल्कुल कजरी जैसी है रेसकोर्स की झुमरी ।
देहरादून, वही रंग वही रूप । कद काठी और ठसक भी पूरी तरह से कजरी की ही तरह है झुमरी के । क्या मजाल कि कोई झुमरी की तरफ आंख उठाकर भी देख ले । देहरादून के रेसकोर्स इलाके की सड़कों पर अगर झुमरी निकल आए तो सामने से आ रहे शख्स को खुद ही रास्ता बदलना पड़ता है । फिर चाहे सामने से आ रहा व्यक्ति कितने ही बड़े ओहदे का ही क्यों हो । पुलिस आए या पुलिस का आशियाना, “झुमरी” को कोई फर्क नहीं पड़ता है । वाकही इसे कहते हैं कहते बिंदाश होकर दबंग बनकर चलना ।
इस तरह की दबंगता के किस्से तो खूब सुने थे, देखे थे लेकिन कल यानी शुक्रवार की दोपहर तक़रीबन डेढ़ बजे मुझे भी देहरादून के रेसकोर्स में झुमरी के दर्शन हो गए । जिसके बगल से गुजर रहे एक शख्स ने कहा मजे हों तो इसके जैसे …. क्या बिंदाश जीती है ये ।
अब अगर कोई आपके बगल में किसी के बारे ऐसा बोले तो जाहिर सी बात है ध्यान भी जाएगा और उत्सुकता भी बढ़ेगी । बस इसी उत्सुकतावश मैंने भी अपनी कार सड़क के किनारे खड़ी की और झुमरी की फोटो लेने को तैयार हुआ डर भी रहा था कि कहीं झुमरी मुझे टोके या ठोके नहीं । लेकिन अच्छी बात यह रही कि जैसे ही मैंने कैमरा उसकी तरफ किया तो वह ट्रैफिक के बीचों बीच यानी सड़क पर खड़ी होकर फिर एक के बाद एक पोज देने लगी ।
और मैं आगे बढ़ चला । लोग पुलिस लाईन की ओर भारी संख्या में पहुंच रहे थे और मैं भी उसी भीड़ का हिस्सा था क्योंकि मेरी बेटी ने ने भी देहरादून की मैराथन में दौड़ लगानी थी । इधर कुछ स्कूली बच्चे रेसकोर्स चौक से सूरी चौक फिर पुलिस लाईन से आगे दौड़ लगा रहे थे और वह सभी मैराथन में अब्बल आने के लिए दौड़ने का अभ्यास कर रहे थे । तभी एक लड़का लड़खड़ाता हुआ किनारे की तरफ आकर बड़बड़ाने लगा और झुनझुनाकर बैठ गया जबकि उसके अन्य साथी उससे बहुत आगे निकल चुके थे । मैं भी पास में ही खड़ा था तो पूछ लिया बेटा क्या हुआ तुम्हारे दोस्त तो आगे चले गए तुम बैठ गए, क्यों .. ?
अंकल आप ही देखो अगर आप हम कोई गलती करें तो पुलिस हम पर रौब झाड़ने लगती है चालान काट लेती है । और उसे देखो सड़क पर जहां मर्जी घूमती रहती है पुलिस भी उससे बचकर निकल जाती है । अभी मुझे भी उसने गिरा दिया …. फिर तो वो बोलता ही गया ।….. मैं और मेरी बेटी समझ गए कि ये उसी शैतान झुमरी की बात कर रहा है जिसकी हम अभी फोटो खींच लाए हैं ।
यह बात मैं भी सोच रहा था कि इतना विशाल आयोजन जिसमें देश विदेश से खिलाड़ी पहुंचेंगे । जहां एक ओर सारा ट्रैफिक प्लान बदल दिया गया है । आगन्तुकों की गाड़ियों को समारोह स्थल से 2 – 2 किलोमीटर दूर सुरक्षा कारणों से रोक लिया गया है और आवारा घूम रही झुमरी को इतनी आज़ादी पुलिस ने क्यों दी है । बाकी मैं झुमरी की झुमरी की दिनचर्या के बारे ज्यादा नहीं जानता हूँ पर जितना देखा लिख दिया । और 1 अप्रेल 2015 को आराघर चौक पर मुख्यमंत्री के काफ़िले में कैसे घुसी कजरी उसे आगे पढ़ें ।
अब बात झुमरी के बाद कजरी की :-
( 1 अप्रेल 2015 की बात )
खूब नाम कमा गई डालनवाल की कजरी : –
जी हाँ आजकल कजरी खूब नाम बना चुकी है अपना । इस मोहल्ले से लेकर उस मोहल्ले तक लम्बी पहुँच रखती है कजरी ।
यह एक दिन में 10 से 12 किलोमीटर तक का सफर तय करती है । तेगबहादुर रोड , बलबीर रोड , लक्ष्मी रोड , कर्जन रोड पर यह अपने आवास का विकास करती रहती है ।
और सैर सपाटा के लिए सर्वे चौक , प्रिंस चौक, लैंसडाउन चौक , सी एम् आई चौक , आराघर चौक से लेकर धर्मपुर चौक तक कजरी का आरक्षित क्षेत्र है ।
सेब ,केले , संतरे , पपीते , हरे पत्ते और कभी-कभी बन पिजा तो कजरी के पसंदीदा व्यंजनों में शामिल हो चुके हैं ।
खाती सबका है पर करती अपने ही मन का :
कजरी के लिए सब समान है उसे कोई खाने को दे दे तो उसका भी भला ना दे तो उसका भी भला । लेकिन वह अपने इलाके में प्रतिदिन जहां जहां घूमती है उन सब जगह से अपना हिस्सा भी हक से मांग आती है ।
कल कजरी मेरी कार के आगे से भारी ट्रैफिक में बराबर चल रही थी जैंसे-जैसे ट्रैफिक बढ़ रहा था तो वह भी उसका पालन कर धीरे -धीरे आगे बढ़ रही थी ।
तभी , आराघर चौक पर पुलिस वालों का एक झुण्ड खड़ा इसलिए हुवा था कि हरिद्वार की ओर से आ रहे VVIP गाड़ियों का काफिला उन्हें EC रोड से पार करवाना था । इसलिए उन्होंने VVIP के लिए रूट खाली कर दिया सभी गाड़ियों को यथास्थान रोक दिया । इतने में कजरी की कुलांचे देखने लायक थी । उसने अपनी पूँछ उठाई और VIP व्यव्स्था में रोड पार कर दी सभी लोग ठहाके लगा कर हंसने लगे एक सज्जन पुलिस वाले से बोला वाह क्या लम्बी पहुँच है इसकी ! कितने नशीब वाली है ये ! जिसका रूट बनाने में पूरा पुलिस महकमा लग गया ।
तभी कार में बैठी मेरी दोनों बेटियां बोली पापा यह तो वही भैंस है जिसे आप कजरी कहकर अपने घर के गेट पर बासी रोटी खिलाते हैं । इतने में कजरी रोड पार करते हुवे बलबीर रोड से पुन: डालनवाला में प्रवेश कर चुकी थी ।
कजरी का रंग चढ़ा उसके मालिक को :
काली भैंस का सफेद दूध पीने वाला इसका मालिक भले ही तन का गोरा होगा परन्तु वह जरूर मन का उससे भी ज्यादा काला होगा । तभी तो उसने इस बेजुबान के शरीर के दूध को सालों साल निचोड़ने के बाद आज उसे दर-दर भटकने के लिए यूँ लावारिश छोड़ दिया है । मैं भी इस भैंस को पिछले 3 महीनों से देहरादून के पॉस इलाकों में से एक डालनवाला क्षेत्र में देखते हुवे आ रहा हूँ यह हर एक दो दिन में मेरे गेट पर भी खड़ी रहती है दो चार रोटियों के इन्तजार में । मेरे जैसे सैकड़ों लोगों को कजरी अपना बना चुकी है और लोग भी घरों से निकल-निकल कर उसे खाना परोसते हैं और आज उसकी सेहत खूंटे से आजाद होते वक़्त से कई गुना बेहत्तर है ।
तथाकथित पशु प्रेमी संस्थाओं की भी जिम्मेदारी बनती है :
यह बेचारी हर रोज एक अदद पेट भरने के खातिर आधे शहर का चक्कर काटती है । परन्तु अफ़सोस कि कहाँ है वो पशु प्रेमी जो देश और दुनिया में पशु प्रेम और संरक्षण का डंका पीट-पीट कर हजारो करोड़ों रुपयों को हर साल डकार लेते हैं । शर्म उस मालिक के साथ-साथ पशुओं के नाम पर संस्था चलाने वाले उन स्वनाम धन्य लोगों को भी आनी चाहिए ।
ये तो वो लोग हैं कि चूहे दानी से चूहा छुड़ाएंगे और मीडिया में फोटो दे-देकर अपनी समाज सेवा का डंका पिटवाएंगे । सरकार को इस वक़्त पशुओं के नाम पर लोगों को गुमराह करने वाली ऐसी प्रसिद्द संस्था के द्वार पर कजरी को बंधवा लेना चाहिए, जो पशु प्रेम और पशु संरक्षण के नाम पूरी दुनिया में कोरी वाह-वाही लूट रहे हैं । वहीँ ऐसी संस्थाओं कप प्रदेश से बाहर खदेड़ देना चाहिए । और साथ ही साथ ऐसी सस्थाओ की जांच भी बैठानी चाहिए ।
कजरी तुम संघर्ष करो , दून तुम्हारे साथ है ।
Shashi Bhushan Maithani Paras