ए… चल हट ! मेरा पति है ये । बेचारी देहरादून की मर्दानी…! तब बनते-बनते वह रह गई थी वो ….!
माँ कसम ! सीधी सादी चुप – चाप कार में बैठी उस 24 – 25 वर्षीय महिला का क्या रूप था यार !
वह जैंसे ही कार से उतरी और एकदम सधे हुवे शब्दों में, चेहरे पर भयानक चंडी भाव.. सीधी ऊँगली युवती की ओर कर बोली –
चुप … चुप … एकदम चुप …! बहुत बोल गई तू तब से बहुत नौटंकी कर ली तूने … चल हट बड़ी आई .. किससे बात कर रही है तू किसे रौब दिखा रही तू ? ये मेरा आदमी है … समझी चल हट यहां से ।
युवती – ऐ.. ऐ.. ऐ.. क्या बोली.. क्या बोली तू … ।
महिला – चल इधर आ मै बताती हूँ तुझे मै
शाम 4 बजे की ही बात है …. देहरादून की तहसील चौक पर एक सफ़ेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार जैंसे ही तहसील की ओर पल्टन बाजार वाली रोड पर मुड़ी तो भारी भीड़ भाड़ वाली गली में राह चलती एक युवती को कार ने हल्के से छू लिया जिसे लड़की ने बड़ी टक्कर बताने की कोशिश की । लड़की जोर-जोर से चिल्लाई भीड़ में अधेड़ लड़कीनुमा युवती की हरकत देख सब हक्के-बक्के रह गए । वह कार का पीछा करती है और कहती है .. रोक.. रोक.. गाड़ी.. रोक.. !
कार के शीशे बंद होने के कारण संभवत: कार चलाते शख्स को उस युवती के चिल्लाने की आवाज नहीं सुनाई दी होगी । बाहर हो रहे ड्रामे से अन्जान कार ड्राईब कर रहा व्यक्ति कार को महज 50 से 60 मीटर आगे तहसील की पार्किंग स्थल पर ले गया, और अपनी कार पार्क कर ही रहा था कि तभी, युवती भी चिल्लाते-चिल्लाते कार के पास पार्किंग स्थल पर पहुंची और जबरदस्त हंगामा काटने लगी ।
वह कार का शीशा जोर जोर से खटखटाते हुवे कार चला रहे शख्स को बोली … बाहर निक्कल.. अबे बोला ना निक्कल बाहर ! वो यहीं नहीं रुकी आगे बढ़ी और फिर शुरू हुई …. साले निक्कल बाहर … आजा बाहर !
अब आसपास किसी के समझ नहीं आया कि आखिर यह मोहतरमा चिल्ला किस बात पर रही है ? पूरा माजरा है क्या किसी के समझ में नहीं आया !
मैंने भी तुरंत अपना फोन का कैमरा ऑन मोड में लाकर उसे तुरंत जेब में तैनात कर दिया अब आगे की घटना का लाईव वीडियो भी बनने लगा ।
कार चालक उतरा बोला ..
क्या हो गया मैडम जी .. ?
अच्छा जी क्या हो गया वहां मुझे टक्कर मारकर यहाँ भाग आया, और अब मुझे पूछ रहा क्या हो गया , अच्छे से जानती हूँ तुम जैसों को !
युवती की चिल्लम्पों जारी थी । दूसरी तरफ कार चला रहा आदमी को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह फिर भी लाचार भाव सिर्फ बार – बार मैडम जी .. मैडम जी ही करता रहा । शायद वह महिलाओं से बहस का अंजाम जानता होगा ।
खैर अब आगे … दृश्य और मजेदार होने लगा साथ ही निर्णायक भी …..
बस अब युवती कार चला रहे व्यक्ति के गिरेबां को लपकने ही जा रही थी कि, इतने में कार के अन्दर से काफी देर से सब कुछ देख और सुन रही महिला भी बाहर अखाड़े में उतर आई और वह अपने पति के लिए ढाल बन गई ।
माँ कसम ! सीधी सादी चुप – चाप कार में बैठी उस 24 – 25 वर्षीय महिला का क्या रूप था यार !
वह जैंसे ही कार से उतरी और एकदम सधे हुवे शब्दों में, चेहरे पर भयानक चंडी भाव.. सीधी ऊँगली युवती की ओर कर बोली –
चुप … चुप … एकदम चुप …! बहुत बोल गई तू तब से बहुत नौटंकी कर ली तूने … चल हट बड़ी आई .. किससे बात कर रही है तू किसे रौब दयखा रही तू ? ये मेरा आदमी है … समझी चल हट यहां से ।
युवती – ऐ.. ऐ.. ऐ.. क्या बोली.. क्या बोली तू … ।
महिला – चल इधर आ मै बताती हूँ तुझे मै क्या बोली । चल बता कहाँ लगी है तुझे चोट , पहले मैं तुझे अस्पताल एडमिट कर आती हूँ …! बड़ी आई गाड़ी से पहले 60 की स्पीड में तो तू यहाँ पहुँच गई और कहती है मुझे चोट लगी है … बता कहाँ लगी तुझे चोट कौन सी हड्डी के टुकड़े हो गए हैं तेरे …. बड़ी आई सा… । सुन ये मेरा पति है , और मैं अपने पति की गलती न होने पर भी देख रही हूँ कि तुझसे दस बार सॉरी बोल चुके हैं । फिर तू जाहिल गंवार चिल्लाए जा रही है … ए अब तू ये बता तू चाहती क्या है ..? पुलिस को तू बुलाती है या मैं बुलाऊँ !
अब युवती अच्छी तरह भांप गई थी कि सामने वाली महिला अपने पूरे फ़ॉम में आ चुकी है … ऐसे में उसने एक दो नहीं बल्कि पुरे 10 -20 कदम पीछे खींच लिए । इस बीच वहां आसपास मौजूद इकट्ठे हुए लोग भी इस पूरी घटना को भारत – पाक के बीच खेले जाने वाले फाइनल वर्ल्ड कप की तरह ही देखने व सुनने लगे । सबका उत्साह रोमांच चरम पर था ।
लगभग 15 कदम पीछे सरकी युवती अब दूर से महिला को बोली-
ऐ चुप… चुपकर भौंकना… चुप ।
अपनी कार के साथ अपने पति का हाथ थामे महिला ने भी फिर से अपनी शानदार पारी जमाते हुवे जो कहा था उससे शायद वहां सभी लोग पूरी तरह से कन्फ्यूजिया गए थे भाई ।
अब सुनो महिला ये बोली –
अरे.. अरे.. अरे.. चल हट कु.. कहीं कि बता कचहरी के किस चैम्बर में बैठती है तू कल वहीँ आकर ना जु..याया तुझे तो मेरा नाम भी … नहीं ।
कुल मिलाकर बात यह थी कि कार चालक बेहद सज्जन और तहजीब वाला इंसान था । हो सकता है कि ज्यादा भीड़ होने के कारण हल्की सी कार उस युवती को टच हो गई हो ।
जिसका कार ड्राईब रहे युवक को पता ही नहीं चला हो कार बहुत धीमी गति में थी । फिर भी वह आदमी बाहर उतरा और कई बार युवती से माफ़ी भी मांग चुका था, जिसके सैकड़ों लोग गवाह थे । और सबके सब यही कह रहे थे कि मैडम पहली बात तो आपको चोट आई नहीं है, और अगर गलती से लग भी गई तो वो भाई बार-बार माफ़ी मांग रहा है, अब आप क्यों इसे गाली देने व मारने के लिए उतावली हो रही हैं ।
मै जितनी देर वहाँ पर रहा तो इतना ही समझ आया कि वह लड़की पक्का दून की मर्दानी बनना चाहती थी, लेकिन गनीमत यह रही कि कार चालक अपने बीबी बच्चों के साथ था । इस लड़की के अभद्र व्यवहार को देखकर तो यही लगा कि कई बार बे कसूर युवक (पुरुष) ऐसे भी कुछ विक्षिप्त लड़कियों के शिकार बन जाते होंगे ।
आप लोग खुद सोचिये अगर स्विफ्ट ड्राईब कर रहे आदमी के साथ उसकी पत्नी न होती तो क्या से क्या हो जाता । पहले तो वह युवती उसे थप्पड़ रसीद करती फिर राह चलती भीड़ भी उस बेचारे पर अपना हाथ साफ़ करती ।
बहरहाल संस्कारों को त्याग एडवांस या फ्रेंक बनने की यह होड़ तो कत्तई भी ठीक नहीं है । मान मर्यादा सब ख़त्म । बस यही कहूंगा चाहे मर्द हो या महिला एक दूसरे का सम्मान करें । अपनी झूठी मान मर्यादा के लिए किसी के भी सम्मान को न रौंदें । अगर आपके साथ गलत होता है तो डटकर मुकाबला करें अन्यथा ऐसे झूठे प्रपंच रचकर समाज को भ्रमित न करें । जितनी अपेक्षाएं महिलाओं के सम्मान के लिए पुरुषों से है उतनी ही अपरक्षाएँ पुरुषों के सम्मान के लिए महिलाओं से भी की जानी चाहिए । जिस तरह सभी पुरुष सही नहीं होते हैं उसी तरह सभी महिलाएं भी सही नहीं होती हैं ।
यह घटना मेरी आँखों देखी कानों सुनी है । और घटना 23 सितंबर 2014 की है । तब मैंने इस पूरे घटनाक्रम को लिखकर फेसबुक पर अपलोड किया था । आज पूरे 5 साल बाद एक बार फिर फेसबुक ने अचानक से मेरी इस पोस्ट को सामने रखा यादें ताजा हो गई । लेकिन आज मैंने इसे अपने यूथ आइकॉन रचनात्मक पोर्टल पर इसे पुनः इसलिए आप सबके सामने प्रस्तुत किया क्योंकि समय आज 5 साल बाद भी वैसा ही है । देशभर में बहुत सी घटनाएं सामने आती हैं लेकिन उनमें कितनी सही कितनी गलत होती होंगी उसका अंदाजा हम इस घटनाक्रम से भी लगा सकते हैं ।
©शशि भूषण मैठाणी “पारस”
9756838527
बहुत ही अच्छे से आपने उकेरा है इस घटना को। बहुत खुशी हुई ऐसा घटना क्रम देख के।
Very true shashi ji
मैं ऐसे कई हादसे देख चुका हूँ जिसमे गलती लड़की की ही होती है मगर भीड़ के दबाव के कारण लड़के को भुगतनी पड़ती है सारी भीड़ का हर मर्द उस लड़की का तथाकथित बॉयफ्रेंड बन जाता है चाहे बुड्ढा हो या जवान
तब लड़कियों से नफरत होने लगती है
आजकल माडर्न रंडिया बहुत हो गई है पैसे कमाने के लिए