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देहरादून की सड़कों पर यह नंगा इंसान कौन ? आराघर पुलिस चौकी की नाक के नीचे चल रहा था यह नंगा नाच ।  

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◆ शशि भूषण मैठाणी पारस ,

समय करीब रात के 8 बजे का था और स्थान आराघर चौक । व्यस्ततम चौराहे पर गाड़ियों की रेलमपेल मची थी । कानफोड़ू हॉर्न  पीं~~पीं~~पीं~~ बजे जा रहे थे । लेफ्ट वाला वाहन राईट तो राईट वाला लेफ्ट में घुस रहा था किसी को समझ नही आ रहा था कि आखिर यह हो क्या रहा है । बस जैसे-तैसे लोग अपनी अपनी गाड़ियों को भिड़ने से व एक नंगे इंसान को पीसने से बचा रहे थे ।  

लोग कह रहे थे यह हट्टा-कट्टा नँगा इंसान कोई पागल  जैसा भी नहीं लग रहा है,  और न ही यह घर में बीबी से लड़कर आया , उधार भी शायद ही किसी ने इसका देना रहा हो ! एकदम साफ सुथरा सुडौल शरीर का यह वाहयाद किस्म का इंसान भारी ट्रैफिक के बीचों बीच  सिर्फ मौज कर रहा था , मस्ती कर रहा था । वह नौटंकी जैसा कुछ कर रहा है,  ऐसा उसके हाव भाव देख लग रहा था । लेकिन उसका नँगापन उसे सबकी नजरों में उतार रहा था ।  अफशोष कि चंद कदम पर खड़ी पुलिस भी मूक दर्शक बनी हुई थी, ये देख मुझे लगा कि यह अंडर वर्ड का कोई भाई वाई ही होगा । वरना क्या मजाल कि सब खामोश रहें । 

धीरे-धीरे ट्रैफिक में रेंगते हुए हमारी गाड़ी भी अब अधनंगे इंसान के नजदीक गई ।

आगे से एक बड़ी बस थी । उससे यह कितनी मुश्किल से बचा आप वह वीडियो में देख लीजिए । मन तो हुआ कि उतर कर बस चालक को ईनाम दे दूं । लेकिन साथ में बैठे अरुण चमोली बोले भाई कितनों को ईनाम दोगे।  इस नंगे को तो हर कोई अपनी समझ बूझ से बचा ही रहा है । गनीमत है कि यह उत्तराखंड में है। कहीं ये और होता तो कब की इसकी चटनी बन गई होती ।  

खैर … नंगा कहूँ या अधनंगा अब  हमारे नजदीक आया गाड़ी के बोनट पर लहराया, पास आया और जोर का भभका दिया ..  भभका क्या बस आप यूँ समझिए कि सड़ांध आई नंगे की मुँह से ।  हमें तो ऐसा लगा कि यह शराब में पानी नहीं बल्कि, भूलवश से कुछ और पी गया ! लेकिन मुझे यह पेशेवर शराबी के बजाय नाटकी ज्यादा लगा । हो सकता है डिप्रेशन का शिकार हो । पर हरकत असमाजिक और वाहयाद थी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है । 

पास आकर बोला मुझे पहचाना ! हमने कहा नहीं  मैं बोला- प्रभु .. आप ही अवगत कराएं कि आप कौन हैं ..? वह आँखे तरेरते हुए बोला मैं डॉन हूँ … किसी को नहीं छोडूंगा । एक-एक को देख लूँगा । 

फिर मैं बोला .. भगवन अगर आपने मुझे देख लिया हो तो क्या मैं भी अब प्रस्थान कर आगे जाऊँ ..!

नंगे ने लंबी सांस ली शराबियों वाली  य्या नौटंकीबाज स्टाइल में टेढा मुंह किया .. बोला सु. सु.. सुनो 5 रुपया तो देते जाओ । 

अबे 5 रुपया..??  10 मांगता तो मैं देता 5 बन्द हो गया … फिर शरीर में जोश भरते हुए आधी लटकी हुई गर्दन को कड़क करते हुए बोला ये मोदी सब बंद कर देगा । हम छुट्टे कहाँ से लाएँगे और फिर उसका शिकार हुआ दूसरा बोनट । हम चल दिये ।

पर एक सवाल पुलिस को लेकर,  गाड़ियां रोकर मुँह में फुकणी डाल डालकर शराबियों को पकड़ने में आपकी तत्परता अच्छी है परन्तु व्यस्ततम चौराहे पर यह हाई बोल्टेज ड्रामा देख आप मूक क्यों बने रहे । आराघर चौकी इन्चार्ज साहब आज तक मैंने इस चौकी के सामने किसी को इतना बेखौप होते नहीं देखा अब ऐसे में सवाल सिर्फ और सिर्फ आपकी काबलियत पर ही उठना लाज़मी है ।  मैं यह अच्छे से जानता हूँ कि उत्तराखंड की पुलिस अन्य जगहों के मुुकाबलेे ज्यादा पढ़ी स्मार्ट ,अलर्ट , संवेदनशील व पढ़ी लिखी  है ।


फिर ऐसे में इंचार्ज साहब आपको भी फुर्ती दिखानी होगी . देवभूमि की अस्मिता का सवाल है ।  देहरादून की इन सड़कों पर सिर्फ हमारा प्रदेश नहीं बल्कि पूरा देश होता है फिर सोचो वह क्या छवि लेकर जाता होगा हमारे प्रदेश की व यहाँ के क़ानून व्यवस्था की . इन्च्र्ज साहब आप कौन हैं मै नहीं जानता हो सकता है आप हाल ही मै यहाँ आए हों पर प्लीज थोड़ा सतर्क रहिये और इस तरह की नंगई पर अंकुश लगाने की हिम्मत कीजिये .

हो सकता है कि काफी समय बीत जाने के बाद पुलिस ने इस नंगे घूमते इंसान को पकड़कर कोई कानूनी कार्रवाई भी की हो परन्तु जितनी देर यह सब ड्रामा ठीक चौकी के पीछे यानी हरिद्वार रोड़ पर हुआ उससे देवभूमि की छवि तो धूमिल हुई ही है ।

मैं यह भी मानता हूँ कि नँगा घूम रहा इंसान किसी सभ्य परिवार से जुड़ा हो परन्तु इस तरह का नंगापन वो सड़क पर करने का अधिकार तो हमारा कानून उसे नहीं देता है ।
देवभूमि की पवित्र अस्मिता को बचाए रखना आप हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी बनती इसलिए कृपया सजग रहिए, सतर्क रहिए और सामाजिक बनिये । और समाज को समाज बनाइये ।

वैसे कोई मुझे जानकारी दे रहा था कि एक हट्टा-कट्टा साफ सुथरा इंसान आराघर शराब की दुकान के आसपास बिना कच्छा पहने भी घूम रहा था हो सकता है कि इनमें कोई समानता भी हो । सच्चाई का पता करना पुलिस का काम है । आराघर पुलिस को तत्काल इस व्यक्ति के बारे में जानकारी जुटानी चाहिए व अपने आला अधिकारियों को इस व्यक्ति की मनोदशा के बारे में अवगत कराना चाहिए । यह भी हो सकता है कि यह कोई मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति हो । लेकिन इसके शाररिक बनावट से संसय पैदा होता है । कहीं यह किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं !  या इलाके में कोई गुप्त रैकी का मसला तो नहीं । तो कृपा करके चौकी इंचार्ज महोदय फिलहाल आप सतर्क हो जाएं और सच्चाई की तह तक जाने की हिम्मत जुटाएं । 

Shashi Bhushan Maithani Paras

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By Editor

5 thoughts on “देहरादून की सड़कों पर यह नंगा इंसान कौन ? आराघर पुलिस चौकी की नाक के नीचे चल रहा था यह नंगा नाच । ”
  1. ये तो सुबह भी घूम रहा था लगभग ११ बजे फ़र्क़ इतना है कि उस वक्त इसके शरीर पर पैन्ट भी थी

  2. Isme chowki wala kya karega, ye to din me bhi ghumta ha dwarka store se lekar rispana pull tak dikhta ha..
    Har baat k liye police par dosaropan karna thik nahi.
    Kuch kaam aur alochnaye dusre vibhaag k liye bhi rakh leni chahiye hame, aur kuch samaajik logon k liye bhi.

    1. दूसरा कौन सा विभाग है ऐसे कामों के लिए बताइएगा जनाब । और इसे रोकना पुलिस का ही काम है यह जान लीजिए ।

      1. यह भी किसी ‘नशे’ का असर है| एक बच्चा भी यही कहेगा कि ऐसे मामलों में दखल देने का काम क़ानून-व्यवस्था यानि पुलिस का है| ‘नशे’ का असर गहरा हो तो वह किसी की भी समझ को हल्का कर सकता है|

  3. बहुत खूब मैठानी जी आप जैसे बहुत ही कम पत्रकार मिलते है जिनको अपने देश व प्रदेश व सामाजिक सरोकारों पर भी पूरी तरह से दिलचस्पी रहती है वरना तो आजकल सब अपना ऊलू सीधा करने पर लगे हैं आपकी यही सतर्कता आपको सभी से अलग पहचान दिलाती है ।
    धन्यवाद्
    आपका अनिल कुमार गुप्ता
    वरिष्ठ समाजसेवी

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