प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी , पलायन एक चिंतन कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ।

Youth icon yi Media logoPalayan Ek Chintan : टीम बहुत बड़ा बेड़ा उठाये है लेकिन पलायन एक चिंतन में ग्रामीण सहभागिता होनी आवश्यक –

नरेंद्र सिंह नेगी

लेखक : मनोज इष्टवाल । देहारादून
लेखक : मनोज इष्टवाल ।
देहारादून

विगत 14-15 अगस्त को जौनसार बावर क्षेत्र के कोटि-कनासर में आयोजित “पलायन एक

प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी , पलायन एक चिंतन कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ।
प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी , पलायन एक चिंतन कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ।

चिंतन ..:!” की टीम के आमन्त्रण पर कनासर पहुंचे जनकवि,गीतकार व सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंहनेगी ने कहा कि आज प्रदेश भर में उजड़ते गॉव वास्तव में एक गंभीर मसला है. इस पलायन पर उतनी ही गंभीरता से चिंतन होना भी चाहिए.
रतन असवाल व उनकी 8 सदस्यीय टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि यह चिंतन वास्तव में आने वाले समय में एक बहुत बड़ा कार्य साबित हो सकता है बशर्ते हम ग्रामीण भागीदारी को इसमें शामिल करें! उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं हमसे चूक अवश्य होती है. काश कि हम वो सब जो संसाधन युक्त समाज के लोग कहे जाते हैं इस समस्या के समाधान की पुरजोर वकालत कर पाते! हम सभी लगभग अपनी जड़ों से हिले हुए हैं और शायद यह सोचने में हमें वक्त लगा कि हमने अपना कुछ अनमोल खो दिया है जो आज खंडहरों के रूप में गॉव की वीरानगी को और स्याह कर रहा है. हमें वास्तव में इस पलायन पर चिंतन करने में समय लगा लेकिन देर से ही सही यह पहल तो हुई.
उन्होंने आशा वक्त करते हुए कहा कि जरुर इसके साकारात्मक परिणाम आने चाहिए

पलायन एक चिंतन टीम के सदस्य
पलायन एक चिंतन संगोष्ठी में शामिल हुए मुख्य वक्तागण 

क्योंकि इसमें लगभग 85 प्रतिशत उन बुद्धिजीवी लोगों का जमावड़ा था जिन्हें हम प्रवासी तो कह सकते हैं लेकिन पहाड़ की बड़ी सोच के साथ उनका पहाड़ प्रेम उनके शब्दों में बहता है. इसलिए यह पहल सार्थक हो तो उससे यकीनन सुखद परिणाम सामने आयेंगे.
पलायन एक चिंतन टीम के सभी सदस्यों से उन्होंने सब्र बांधे रखने की बात कहते हुए कहा कि टीम निस्वार्थ भाव से यूँही कार्य करती रहे छोटी बड़ी आलोचना होगी तभी मथकर मक्खन निकलेगा. और हमें इन बातों को सहर्ष स्वीकार कर उसपर इम्प्लीमेंट भी करना होगा. उन्होंने कहा कि मेरा पुरजोर तरीके से मानना है कि जब तक हम उस ग्रामीण समाज को इसमें शामिल नहीं करेंगे जिसने पलायन की बात सोची हुई है या फिर जिसने पलायन ही नहीं किया है तब तक हम पलायन की सही दशा व दिशा तय नहीं कर पायेंगे. ग्रामीणों के तथ्य सामने आयें और उन तथ्यों को दस्तावेज के रूप में सम्मिलित कर उस पर कार्य हो जिसका फार्मूला सरकार को भेजा जाय और आगाह करवाया जाय क्या इन तथ्यों के आधार पर आप पलायन रोकने का कोई मास्टर प्लान बनायेंगे.
ज्ञात होकि पलायन एक चिंतन की यह संगोष्ठी “संस्कृति साहित्य और लोग” नामक बिषय पर आधारित थी जिसमें प्रदेश के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, भाजपा के पूर्व मंत्री विधायक मोहन सिंह रावत गॉववासी, आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनूप नौटियाल सहित लगभग 80 बुधीजीवियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की.

रिपोर्ट साभार  : मनोज इष्टवाल 
फोटो साभार – मनोज इष्टवाल । विनय केडी । दिनेश कंडवाल । 

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