जैसा देखा और सुना , वैसा ही लिख भी दिया ।
बलूनी का प्रभाव देगा उत्तराखण्ड को और भी सौगातें !
मोदी से नजदीकी का मिलने लगा उत्तराखण्ड को फायदा ! निःसंदेह बड़ा कद है बलूनी का ।
पत्रकारिता के जीवन में लंबे समय से खबरें आर्टिकल और रिपोर्ट लिखने का काम करता आ रहा हूं किंतु कभी-कभी सामने की घटनाएं भीतर तक आल्हादित कर देती हैं ।
इस बार हम यूथ आइकन नेशनल मीडिया अवार्ड सेरेमनी का आयोजन गुजरात के जामनगर में भी करने जा रहे हैं । जिसमें विशिष्ट अतिथि हेतु भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तराखंड से हाल ही में राज्यसभा सदस्य बने अनिल बलूनी और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को आमंत्रित करने भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली में नए बने मुख्यालय पहुंचा था । वहाँ कुछ अन्य अखबारों के पत्रकार भी अनिल बलूनी के कक्ष में बैठे थे बलूनी पार्टी के राष्ट्रिय मीडिया प्रमुख है इसलिए पार्टी की खबरें और कार्यक्रमों को लेकर पत्रकारों का उनसे लगातार मिलना-जुलना लगा रहता है ।
हमारा जलपान चल ही रहा था कि तभी भारत के रेल मंत्री पीयूष गोयल उनके कमरे में पहुंचे और बड़ी आत्मीयता से अनिल अनिल करते हुए उनकी बातचीत शुरू हुई रेल मंत्री ने स्वयं ही अपनी बात शुरू करते हुए अनिल बलूनी से कहा कि भाई जो तुमने उत्तराखंड में रेल के लिए कहा था मैंने उस बारे में बात कर दी है और जल्दी वहां रेल सेवा शुरू हो जाएगी । अब जैसे ही हमारे प्रदेश की बात होने लगी तो मैंने भी दोनों की बातों को ध्यान से सुनना शुरू किया आगे रेल मंत्री कहते हैं अब …
ट्रेन के स्टॉपेज क्या होंगे ?
उसका नाम क्या होगा ? और वह
कहां से चलेगी और कहां लौटेगी ?
इन सारे विषयों पर अधिकारियों को मैंने बोल दिया है किंतु एक दिन में चलने वाली काठगोदाम और देहरादून के बीच आपकी मांग को स्वीकृति दे दी गई है ।
अब देश के रेलमंत्री स्वयं ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद को खुशखबरी दे रहे थे तो ऐसे में वहां मौजूद सभी मीडिया कर्मियों में भी इस बारे में विस्तार से जानने के लिए उत्सुकता पनपी कुछ लोग यह जानते थे कि मैं भी उत्तराखण्ड से हूँ तो वह मुझसे भी जानकारी जुटाने लगे । मैं भी जितना जानता समझता था उसकी जानकारी कुछ पत्रकारों को दी तभी एक साथी बोल पड़ा कि अब मतलब देहरादून से नैनीताल एक ही दिन में आना जाना भी हो जाएगा तो दूसरा साथी बोला हाँ भाई अब तो मसूरी और नैनीताल को 2 से 3 छुट्टियों में ही कबर कर लेंगे ।
रोज की तरह पार्टी मुख्यालय में मीडिया विभाग के बाहर लाउंज में बैठे हुए अनेक पत्रकार थे । राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उन सब से अनुरोध करके पहले से तैयार अपना मांग पत्र जो पूर्व में भी वह दे चुके थे, उसे उन्होंने इस मौके पर फिर रेल मंत्री को सौंपा और साथ ही उत्तराखंड के कुछ स्टेशनों के उच्चीकरण और कुछ ट्रेनों के डिब्बे बढ़ाने की मांग रेल मंत्री से की ।
आगे आने वाले समय में उसकी जानकारी उनके स्तर पर मिलेगी मैं बैठे-बैठे सोच रहा था । उत्तराखंड से अनेक लोग मुख्यमंत्री बनते हैं सांसद बनते हैं किंतु इस स्तर का प्रभामंडल बनाना कि खुद देश के रेल मंत्री उनके केबिन में आकर उन्हें सूचना दे रहे हैं कि आपकी मांग मान ली गई है । और उसके बाद मीडिया से बातचीत में बता रहे हैं की मांग स्वीकृत हो गई है ।
मुझे लगता है भले ही उत्तराखंड में अनिल बलूनी कम प्रवास करते हो, मगर दिल्ली की राजनीति में वह काफी दखल रखते हैं सर्वज्ञात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के वह बहुत निकट है किंतु राज्यसभा सदस्य बनते ही जो उन्होंने प्रदेश के विकास की पारी शुरू की है वह उन्हें उत्तराखंड के अन्य नेताओं से काफी आगे ले जाएगी यह मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है ।
अगर इसी तरह उत्तराखंड के मुद्दों की पैरवी अनिल बलूनी केंद्र में करेंगे तो राज्य की अनेक समस्याएं हैं जिसको लेकर हम अपनी क्षमताओं को कम समझ कर चुप हो जाते हैं, ऐसे में अब मुझे नहीं लगता कि वह अनदेखी की जाएंगी । हमें और आपको भी अपने अपने स्तर से जनमुद्दों के समाधान को लेकर बलूनी की राजीनीतिक क्षमताओं का लाभ लेना चाहिए । जो दृश्य मैंने आज सामने से देखा उसके बाद उत्तराखंडी होने के नाते मुझे गर्व भी हुआ । अनिल बलूनी जैसे जनप्रतिनिधि वास्तव में उत्तराखंड के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं ।
भीड़ छंटने के बाद फिर बलूनी जी से बात हुई इस बीच मैंने उन्हें जामनगर गुजरात पहुँचने का निमंत्रण दिया लेकिन अब अगर वह अपने इस अति व्यस्त कार्यक्रम में से गुजरात आने का समय निकाल पाएंगे या नहीं यह वह भी नहीं बता पाए । उनका कहना था कि अगर अचानक कोई कार्यक्रम या पार्टी संगठन द्वारा जिम्मेदारी दे दी गई तो मेरे आने में विलंब हो सकता है फिर भी श्री बलूनी ने कहा कि जैसा भी कार्यक्रम बनेगा वह समय से हमें बता देंगे ।
अंत में यही लिखना चाहूँगा कि जो सामने से अपनी आंखों से मैंने देखा उसने एक चमक जरूर दे दी है । मेरे मन में विश्वास जागा कि उत्तराखंड के मुद्दों की पैरवी करने वाला एक प्रभावी पैरोकार दिल्ली में मौजूद है, और अब वह पहाड़ की शिक्षा चिकित्सा के ढाँचे को भी मजबूती देने की पहल करेंगे व पलायन के कारण सूने पड़े पहाड़ों को जागृत करने की दिशा में भी कोई न कोई योजना अवश्य भारत की सरकार के सामने रखेंगे ।
Ji bilkul dada, asayen to bahut hai aur wiswaas bhi poora hai ki uttrakhand ke yuwa neta jaroor kuchh na kuchh apne pardes ka bhala karenge… Warna beete rajyasabha sansadon ko maine kawitaye suna kar taaliyaan aur wah wahi loote jaroor dekha hai…