सरकार कुछ करती क्यों नहीं…? परेशान महिला कर्मी, माफिया राज और ट्रांसफर एक्ट में खेल, क्या यही होता है जीरो टालरेंस…
कुछ ऐसे ही तो नहीं हो रहा होगा। कुछ तो कारण होगा। अगर ऐसे ही है, तो भी तो जांच होनी चाहिए। प्रदेश में दो-तीन मसले इन दिनों सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। कोटद्वार में दारोगा को शराब माफिया के दबाव में पुलिस के आला अधिकारियों ने लाइन हाजिर कर दिया। देहरादून में यूसैक जैसे बड़े संस्थान के बाहर एक महिला कर्मचारी उत्पीड़न और नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ पिछले 13 अप्रैल से धरने पर डटी है। सिंगल काॅलम की खबरें भी छप रही हैं। लोग दोनों ही मामलों में समर्थन में हैं। एक और मसला पीडब्यूडी में कनिष्ठ अभियंताओं के ट्रांसफर का भी है। तो क्या सरकार को इन बातों से कोई फर्क ही नहीं पड़ता या फिर सरकार दोषियों को बचाना चाहती है? बचाना चाहती है, तो फिर जीरो टाॅलरेंस का नाटक क्यों? यह कोई आम घटनाएं नहीं हैं। लेकिन, सरकार की बेरुखी को लेकर हर कोई यही सवाल कर रहा है कि सरकार कुछ करती क्यों नहीं…?
अब मुद्दे पर आते हैं। पहले देहरादून की घटना का जिक्र और चर्चा करते चलें। बात यह है कि यूसैक की महिला कर्मी शीला रावत पिछले कई दिनों से यूसैक के अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। उनके आरोप गंभीर हैं, लेकिन उनको कोई उतनी गंभीरता से ले नहीं रहा।
शीला रावत की मानें तो यूसैक के बड़े अधिकारी महिला कर्मियों का उत्पीड़न करते हैं। शिकायत करने पर उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। शीला रावत का आरोप है कि उनको भी उत्पीड़न का मसला उठाने का खामियाजा नौकरी से हाथ धोकर चुकाना पड़ा।
वे अनिश्चितकालीन धरने पर डटी हैं। उनको लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। किसीका समर्थन जुटाना इतना आसान नहीं होता, जितना नजर आता है। सरकार के संज्ञान में भी बात है। बावजूद सरकार कोई एक्शन नहीं ले रही। आखिर ऐसी क्या विवशता है कि सरकार कुछ नहीं कर रही?
दूसरा मामला और गंभीर है। जीरो टाॅलरेंस की सरकार में माफिया हावी हैं। मसला कोटद्वार का है। कोटद्वार में बाजार चैकी प्रभारी प्रदीप नेगी को पुलिस के आला अधिकारियों ने शराब माफिया के दबाव में लाइन हाजिर कर दिया। लाइन हाजिर हमारे लिए और आपके लिए आम बात हो सकती है, लेकिन एक पुलिस कर्मी के लिए वो किसी बदनुमा दाग से कम नहीं होता। उसका फर्क उसकी पूरी सेवा पर पड़ता है। सवाल यह है कि जिन माफिया को प्रदीप नेगी ने ठिकाने लगाने का काम किया। उन माफिया ने उनको ही जीरो टाॅलरेंस की सरकार में अपनी पंहुच से ठिकाने लगा दिया। बड़ी बात यह है कि पुलिस अधिकारियों ने माफिया की शिकायत की जांच किए बगैर ही प्रदीप नेगी को लाइन हाजिर कर दिया। इस तरह के माहौल में कोई कैसे अच्छा काम कर सकता है?
माहौल यहां भी देहरादून जैसा ही है। स्थानीय लोगों के साथ ही कई संगठन और पत्रकार संघ प्रदीप नेगी के पक्ष में लामबंद हैं। शोसल मीडिया पर बाकायदा अभियान चला रहे हैं। समाधान पोर्टल पर लोगों की शिकायतों का निस्तारण करने वाले जीरो टाॅलरेंस मुख्यमंत्री इस तरह की शिकायतों के समाधान से क्यों बच रहे हैं?
तीसरा मामला यह है कि सरकार ने प्रदेशभर में अपनी तैनाती स्थल पर तैनात कनिष्ठ अभियताओं और अन्य कर्मियों के ट्रांसफर कर दिए। इसमें भी जीरो टाॅलरेंस को किनारे कर दिया गया। दरअसल, हुआ यूं कि गोपेश्वर में तैनात कनिष्ठ अभियंता ए. सिंह ने पहला और एक मात्र विकल्प देहरादून का चयन किया था। 2017 ट्रांसफर एक्ट के तहत होना भी यही चाहिए था, लेकिन देहरादून की सीट खाली रखकर विभाग ने गोपेश्वर में तैनात अभियंता को बाजपुर में पटक दिया। फिर उस ट्रांसफर एक्ट का क्या लाभ, जिसको सरकार अपनी प्राथमिकताओं में गिना रही है। ऐसे ही कई और मामले भी हैं। चहेतों को उनकी पसंद की जगहों पर फिट कर दिया गया, जो सीटें खाली रखी गई, उन पर भी अपनों को फिट करने का खेल चल रहा है।
इससे नुकसान यह हुआ कि गोपेश्वर से बाजपुर भेजे गए कानिष्ठ अभियंतस को अब कुमाऊं में ही नौकरी करनी होगी। कुमाऊं से गढ़ाल में आए जेई के साथ भी यही होगा। ट्रांसफर आर्डर के साथ कई शर्तें भी जोड़ दी गईं। शिफ्ट होने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। ज्वाइन नहीं करने वालों का वेतन रोकने के निर्देश भी दिए गए हैं। सवाल यह है कि क्या जीरो टाॅलरेंस की यही परिभाषा होती है? क्या ऐसे ही जीरो टाॅलरेंस की सरकार काम करती होगी? इस पर सरकार को कुछ तो करना ही चाहिए। कमसे कम जांच तो करा ही सकती है। केवल नाममात्र की जांच नहीं। जांच गंभीरता से होनी चाहिए।
Pradeep Ranwalt
Protest : People are starting to whisper against the government.
This police pertional was closely involved with a liquor supliar he use to suply liquor to kotdwar from haryana more than 2oo illegal points he made in the city from he sel liqur. But he got licenced shope this year and he asked his supplies to sale his wine but they alredy had surplus liquorhis sale come down then he ordered this police person where he suplyed the illligal wine last year obeying his orders this police pertion attaked illligal supplier but some other reason police official transfer him.science then the illigal supplier made him hero on social media. Wants stop him in kotdwar for his protection.and a women who was earlier known for prosecution is helping him she got 7lakh from mining contectors with the help of same police officer.