पिथौरागढ़ से निकल रही है नई राहें … उत्तराखंड के शिक्षक बने प्रेरणा के श्रोत ।
ये शिक्षक प्रदेश के दूसरे शिक्षकों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं। राहें हमारी पत्रिका धारचुला ब्लाक के अतिदुर्गम स्कूल राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेतली के शिक्षक निदेश रावत ने तैयार की है। दिनेश रावत हमेशा से शिक्षा में रोचकता के पक्षधर रहे हैं। केवल शिक्षण कार्य में ही नहीं। सामाजिक कार्यों में भी हमेशा आगे रहते हैं। उनको कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। पत्रिका प्रकाशन के लिए इन सभी शिक्षकों को अपनी जेबें भी ढीली करनी पड़ी। इसके बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ।
शिक्षकों को लेकर कई तरह की धारणाएं लोगों के मन में होती हैं। शिक्षकों से जुड़े मामलों को हर कोई बड़ी गहराई और दिलचस्पी से देखता है। खासकर विवादों को, लेकिन शिक्षकों के अच्छे कामों को अक्सर यह कहकर नजरअंदाज कर दिया जाता है कि वो उनका काम है। कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां एकल शिक्षक हैं। पढ़ाई, खेल-कूद, प्रशासनिक कार्य, एमडीएम प्रबंधन से लेकर हर काम एक ही शिक्षक को करना होता है। बावजूद वो शिक्षक अपने विद्यालय और बच्चों को नए मुकाम पर पंहुचाने में जुटे रहते हैं। कुछ ऐसे ही शिक्षक हैं, पिथौरागढ़ जिले के सीमांत गांवों के विद्यालयों में, जो भविष्य को संवारने में जुटे हैं। पढ़ाई के साथ रचनात्मक कामों में भी जुटे हैं। हाल ही में चार विद्यालयों के शिक्षकों ने अपनी गर्मियों की छुट्टियों को खपाकर और अपनी वेतन से खर्च कर अपने विद्यालयों की वर्षभर की गतिविधियों और दूसरे विद्यालयों के बच्चों और शिक्षकों की रचनाओं को शामिलकर शानदार पत्रिकाएं प्रकाशित की हैं।
शिक्षा विभाग और शिक्षक को लेकर हम और आप बहुत संवेदनशील हो जाते हैं। शिक्षा विभाग और शिक्षकों में कुछ खामियां भी हैं। उन खामियों के बीच और तमाम विवादों के बीच कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं, जो उम्मीद जगाते हैं। उम्मीद इसलिए कि वो ऐसे विद्यालयों में तैनात हैं, जहां पहुंचने में पूरा एक दिन पैदल चलने में लग जाता है। खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर दूसरे दिन गांव तक पंहुचता है। मोबाइल नेटवर्क माह में कभीकभार ही मोबाइल की रेंज में आ पाता है। लाइट भी अक्सर गायब ही रहती है। संसाधन ना के बराबर हैं। फिर भी शिक्षक अपने स्कूलों में पूरे साल पूरी मेहनत और लगन से शिक्षण कार्य में जुटे रहते हैं। कोई अपने स्कूल में ज्ञान वृक्ष बना रहा है तो किसी ने स्कूल की दीवारों को ही किताब बना दिया। दूर से देखने पर ये स्कूल एकदम सरकारी स्कूल जैसे ही नजर आते हैं, लेकिन जब नजदीक जाकर देखते हैं, तो किसी महंगे प्राइवेट स्कूल को मात देते नजर आते हैं। अंग्रेजी से लेकर सामन्यज्ञान तक हर विषय में इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अव्वल।
यह सब संभव हुआ है, इन स्कूलों में तैनात शिक्षकों के त्याग और मेहनत से। पिथौरागढ़ जिले के चार विद्यालयों ने चार बाल पत्रिकाओं का प्रकाशन किया है। बालमन, उमंग, राहें हमारी और किसलय पत्रिकाएं प्रकाशित हुई हैं। खास बात यह है कि उमंग को छोड़कर शेष तीनों पत्रिकाएं धारचुला और मुनस्यारी के अतिदुर्गम विद्यालयों से प्रकाशित हुई हैं। ये शिक्षक प्रदेश के दूसरे शिक्षकों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।
राहें हमारी पत्रिका धारचुला ब्लाक के अतिदुर्गम स्कूल राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेतली के शिक्षक निदेश रावत ने तैयार की है। दिनेश रावत हमेशा से शिक्षा में रोचकता के पक्षधर रहे हैं। केवल शिक्षण कार्य में ही नहीं। सामाजिक कार्यों में भी हमेशा आगे रहते हैं। उनको कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। पत्रिका प्रकाशन के लिए इन सभी शिक्षकों को अपनी जेबें भी ढीली करनी पड़ी। इसके बाद भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ।
अब शिक्षा मंत्री की बात करते हैं। मंत्री जी कहते हैं कि मैं किसी से नहीं डरता। मंत्री जी क्या आप गुंडे हो, जो लोग आपसे डरेंगे। ड्रेसकोड महत्वपूर्ण नहीं है। शिक्षा मे कैसे सुधार हो, महत्वपूर्ण वो है। ये जो चार शिक्षक हैं। ये भी पैंट, शर्ट और कोर्ट पहनते हैं। धोती-कुर्ता नहीं पहनते। फिर भी देखा आपने उन्होंने किस तरह से लगन और मेहनत से काम किया। उनके स्कूलों के बच्चे हर विषय में अव्वल हैं। ड्रेसकोड से कुछ नहीं होने वाला, शिक्षा के स्तर को कैसे बेहतर किया जाए, उस पर फोकस कीजिए। सब ठीक हो जाएगा। स्कूलों में संसाधन उपलब्ध कराइए सबकुछ सुधर जाएगा। बच्चों को किताबें दिलवाइए। विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए बेंच और मेज की व्यवस्था कीजिए। जो अधिकारी कुर्सी तोड़ रहे हैं। उनको अतिदुर्गम स्कूलों में निरीक्षण के लिए दौड़ाइए। फिर देखिएगा, कैसे बदलाव होता है।
Pradeep Rawat Ranwalta
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हार्दिक आभार प्रदीप रावत जी व यूथ आइकान न्यूज पोर्टल परिवार!! बस, आप लोगों की आत्मीयता ही सम्बल प्रदान करती है।।।
Shiv