Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’ Editor Youth icon Yi National
आज यह साफ हो गया है कि राजधानी के सवाल पर हरीश सरकार पहले भी निरुत्तर थी और आज भी निरुत्तर ही है । लेकिन जनता 16 साल से सफेदपोशों से जवाब मांग रही है, और जिसने भी इस मुद्दे को सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल किया उसे जनता ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं की ।
आप तो इस बात को भली भांति समझतें है गांव, गाय, गंगा व गाड-गदेरों के पैरोकार हरीश रावत जी ! गैरसैंण राजधानी के प्रश्न को यक्ष प्रश्न मत बना रहने दीजिए रावत साहब । इसका हल आचार संहिता लगने से पहले निकालिए, नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि गैरसैंण में राजधानी का पूरा खाका खींच कर भी आप 2017 हाथ मलते रह जाएं और आने वाले समय में पूरा श्रेय कोई और ले जाए ।
Question Mark On Journalism : who is the Responsible ? पत्रकारिता पर उठ रहे सवालों का गुनहगार कौन ?
संपादकीय
आज की पत्रकारिता को देखकर लगता है कि वह सत्ता की चकाचौंध और महानगर के गलियारों से बाहर ही नहीं निकल पा रही है। जनमुद्दे लगभग गायब से रहने लगें हैं। एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में आज पत्रकारिता के सिंद्वातों से समझौता करने से कोई भी पीछे नहीं है। हम लोकतंत्र के तीन स्तभों पर उनकी कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा अपनी लेखनी के माध्यम से सवाल खड़ा करते हैं, लेकिन क्या कभी हमने अपने अंदर झांकने की कोशिश की है कि हमारी कार्यप्रणाली में कितनी गिरावट आ गई है। सम्मान की नजर से देखा जाने वाला चौथा स्तंभ आज खुद कटघरे में है। और इसका जिम्मेदार कौन है चंद वो लोग
जो जिन्होंने पत्रकारिता का व्यवसायीकरण कर दिया है।
खबरों में भी हित और अहित देखा जाने लगा है। लेकिन यह भी सच है कि बिना व्यवसाय के आज के दौर में अखबार चलाना भी मुश्किल है। विज्ञापन लेना और खबरों के एवज में विक जाना दो अलग-अलग बातें हैं। विज्ञापन लेना हमार मौलिक अधिकार है इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कई बार पाठक भी अच्छे पत्रकार का सम्मान करना भूल जाते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए।पत्रकारिता के बारे में लोगों की धारणा को बदलना होगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि बदले कौन ? इसकी शुरूआत हम सभी को मिलकर करनी होगी।
मैंने सालों से देश के तमाम बड़े संस्थानों में कार्य किया, लेकिन कभी सुकून नहीं मिल पाया, आवाज उठाई लेकिन काम करने की आजादी नहीं मिल पाई। रंगोली आंदोलन की शुरूआत की, जिसमें चौथे स्तंभ की गिरती साख को लेकर लगातार आवाज बुलंद कर रहा हूं। पत्रकारों की एक लम्बी फेहरिस्त इस आंदोलन में मेरे साथ खड़ी है। मैने इस आंदोलन के जरिए केन्द्र और राज्य सरकार से मांग की है कि नेताओं और अधिकारियों, कर्मचारियों की ही क्यों ? चौथे स्तंभ से जुड़े हर व्यक्ति की संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। आखिर कहां से 5 से 10 हजार की नौकरी वाले, या कई को तो वो भी नहीं मिलती, साधारण परिवार के पत्रकार आलीशान फ्लैटों, मंहगी कारों में घूमते नजर आ रहे हैं। समाज को भी तो पता चलना चाहिए कि कौन ईमानदारी से काम कर रहा है और किसके कारण चौथे स्तंथ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आज मैंने अपनी मेहनत के बल पर यूथ आईकन साप्ताहिक समाचार पत्र रूपी एक छोटा सा दीपक जलाया है। जिसकी लौ अंतत रूप से तभी जलती रहेगी जब इस सफर में मुझे आप सभी का सहयोग मिलेगा। यूथ आईकन का उद्देश्य है कि अपने विचारों के साथ विकास की पत्रकारिता को आगे बढाया जा सके। हम भीड़ से अलग दिखकर अपना पाठक वर्ग विकसित करना चाहते हैं, और हमें पूरा विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे। हम दूसरों की लकीर को मिटाने में नहीं बल्कि अपनी लकीर को बड़ा करने में विश्वास रखते हैं। यूथ आईकन साप्ताहिक समाचार पत्र को शुरू करने का उद्देश्य उस सच को सामने लाना है जिसे कई बार मीडिया समझौता करने दबा देता है। साथ ही उन भ्रांतियों और गलतफहमियों को दूर करना जिनके कारण कई बार पत्रकारिता का दामन दागदार हो जाता है। आम जनता का आज मीडिया से भरोसा टूटता जा रहा है। आज पत्रकारिता सत्ता और महानगर के गलियारों तक सिमट कर रह गई है। हमारा प्रयास होगा कि हम लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के प्रति लोगों का विश्वास कायम रख सकें। हमारा सकंल्प है कि हम खबरों से कभी समझौता नहीं करेंगे। आज का पाठक बहुत जागरूक है, वह खबर पढते ही आकलन कर लेता है कि इस खबर की हकीकत क्या है। पाठक वर्ग ही हमारी असली ताकत होती है। अपने समाचार पत्र के माध्यम से हम आपके ऑइकन को सामने लाने के साथ ही तमाम उन विषयों को उठाएंगे, जो राज्य और यहां के लोगों से जुड़े हों। हम खबर की तह तक जाकर सच्चाई को सामने लाने का हर संभव प्रयास करेंगे।
Copyright: Youth icon Yi National Media, 16.12.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं,और न ही किसी से पीछे ।
This is bitter truth sir. Well written article
चौथे स्तम्भ को भी सुधारने की कोशिश रंग लाएगी
सच लिख दिया मीडिया के लोगो का यहाँ रोज़ गिरवी रख आते है कई मीडिया वाले अपना ईमान जबरदस्त आलेख शशि भूषण जी