Rahu Temple in Paithani Pauri : बैल दान कर देने मात्र से ही राहू दोष से मिल जाता है छुटकारा ।
* आद्य गुरू भगवान जगतगुरू शंकराचार्य को भी हुआ था राहू के प्रभाव का आभाष…!
प्राचीन एवं पौराणिक धर्म ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि, जब आद्य गुरू भगवान जगतगुरू शंकराचार्य ग्यारह वर्ष की अल्प आयु में ही दक्षिण भारत से उत्तर भारत के इस दिव्य हिमालय क्षेत्र में आए तब उन्हे राहू के प्रभाव का आभाष स्वयं हुआ था तब आद्य गुरू भगवान जगतगुरू शंकराचार्य ने हिन्दु धर्म संस्कृति, धर्म स्थापना एवं मठ मन्दिरों के निर्माण में विघ्न बाधाएं न हो, इसके लिए उन्होने पैठाणी में राहुईश्वर मन्दिर का निर्माण किया । बाहरी और आन्तरिक रूप् से निर्मित इस गर्भ गृह मे भगवान शिव का राहु निर्मित दिव्य शिवलिग है । कहते हैं इसी स्थान पर बैठकर राहू ने भगवान शिव की घोर तपस्या भी की थी।
राहु के प्रभाव से स्वयं शिव भी नही बचे-
शास्त्रों के अनुसार राहु की प्राण-योनियों में अन्य ग्रहों की तरह भ्रमण करने के वरदान के पश्चात स्वयं शिव शंकर की कुंडली में भी राहू की दशा प्रमुख थी । अपने ईष्ट देव होने के बावजूद भी राहू ने देवाधिदेव भगवान भोलेनाथ को भी अपनी काली छाया के आगोश में आने से नहीं छोड़ा । दक्ष राजा के यज्ञ हवन कुंड मे भगवान शिव की अर्धांगिनी माता सती यज्ञ दहन के समय शिव की कुडंली में राहु की दशा प्रमुख थी ।
यहां राहु केतु एवं शनि के दोषों से मुक्ति : –
पैठानसि गोत्र राहु, राठी वंश में उत्पन्न भगवान भोलेनाथ के प्रिय भक्तो में से एक है । जिन्हे भगवान शंकर ने सृष्टि कार्य में सभी सहयोगी ग्रहों के रूप में आर्शीवाद दिया है । देखा जाय तो वैदिक कर्मकांड में यह एकमात्र असुर पुत्र है जिसके राहु-केतु दो नाम के ग्रह है ।
ज्योतिषिय मत से राहु को काल पुरूष का दु:ख माना गया है । अन्य ग्रहों की तुलना में इसे ग्रह मण्डल में कोई पद प्राप्त नही है । इसे दुख व शोक का प्रतीक माना भी गया है, लेकिन इस बारे ज्योतिषिविदों में भारी असहमति भी है कि राहु कोई अपनी राशि है भी या नही, कुछ ज्योतिषियों ने कन्या राशि पर राहु का अधिपत्य स्वीकार किया है , इसी प्रकार राहु की उच्च तथा नीच राशि के असहमति है ।
राहु ग्रह शुक्र तथा शनि से मित्रता रखता है तथा सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, गुरू ,इनसे शत्रुता , बुध इसके लिए सम है शरीर के अंगो को छोड़कर राहु मे प्राय: वे सब गुण दोष हैं जो शनि में हैं । इसलिए कहा गया है कि ‘‘शनिवत राहु ‘‘ अर्थात राहु शनि की भांति ही है । राहू जिस किसी भी मनुष्य पर कुपित हो जाय तो उसका अनिष्ट करने की क्षमता तो उसमें है ही, लेकिन जिस पर प्रसन्न हो जाय उसे फर्श से अर्श तक भी पहुंचा देता है ।
चलो पैठाणी राहू मन्दिर-
यदि कोई व्यक्ति राहू-केतु या शनि के ग्रह दोषों से पीड़ित है तो वह एक बार पौड़ी के पैठानी मे स्थित राहू मंदिर में आकर राहू द्वारा पूजित देवाधिदेव भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर जलाभिशेख कर पूजा व दर्शन कर लें तो राहू उस पर प्रसन्न होते हैं । क्योंकि स्वयं राहू ने कष्ट मुक्ति के लिए इस इस स्थान पर शिव की आराधना की थी व चमत्कारी शिवलिंग स्थापित किया था जिसके फलस्वरूप तब राहू पर भगवान शिव प्रसन्न हुए थे । माना जाता है कि आज भी यहां पर राहू शिव की अराधाना कर रहे हैं । धार्मिक मान्यतानुसार मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त इस मंदिर में मूंग की खिचड़ी का परसाद भगवान को अर्पित करते हैं व मूंग की खिचड़ी ही भंडारे में परसाद के रूप में भक्तों में बांटी जाती है ।
यहाँ किया जाता है बैल (नंदी) का दान –
यहाँ नंदी दान करने पर राहू प्रसन्न होते हैं । यह बात सुनने में अवश्य अजीव सी लगती हो परंतु सच्चाई यही है । इसके पीछे मान्यता है कि जब राहू इस हिमालय क्षेत्र में तप करने आया था, तब इस निर्जन स्थान पर एक बैल ने उसे चमत्कारिक दर्शन दिये थे जैसे ही राहू उस बैल के समीप गया तो, वह तब पल भर में ही गायब हो गया था । तब से लोक मान्यता है कि यहां पर राहू हर बैल में अपने आराध्यदेव भगवान शिव को पाता है । ऐसे में कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर राहू की दशा चल रही हो वह यहां बैल (बछड़ा) या उसका प्रतीक दान कर दें तो उसे राहू दोष से तुरंत मुक्ति मिल जाती है । स्वाभाविक रूप से दानी भक्त द्वारा दान किए गए बैल में राहू अपने ईश्वर को दिखेंगे और फिर वह दानी भक्त की नय्या स्वयं ही पार लगा देता है । इसी मान्यता को आत्मशात कर विश्वास के साथ दूर-दूर से भक्त यहां पहुँचकर बैल (नंदी) का प्रतीक दान कर पूजा अर्चना करते हैं और दुखों से छुटकारा भी पाते हैं ।
फोटो साभार : डा0 मनवर रावत , पैठानी ।
* शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 01.08.2016
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बहुत ही ज्ञान की बात बताई श्री शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ जी ने।
यह बहुत अच्छी बात है कि Youthicon प्रगति की और अग्रसर है।
वाकई एक अद्भुत मंदिर है पैठाणी का यह मंदिर, मैंने इसइसे खुद करीब से देखा है ,
धार्मिक धरोहरों को लोगों तक पहुँचाने की अनोखी पहल है यह,
वाकई सचमुच पैठानि का यह राहु मन्दिर भारतीय इतिहास का इकलौता राहु मंदिर है
राहु के प्रकोप से बचने के लिये लोग यहाँ
शिव की पूजा करते हैं ॥
Jai hi pathani ki shani mandir ki bahut acchi jaankari di hai ye uttrakhand k parytan badhane mai sahayak sidh ho sakta h.
यहा तक पहुंचा कैसे जाय बता ने की कृपा करे मैठाणी जी !
kotdwar se satpuli and satpuli se partisen fir sasso -Masso (Ekeswar Block) end hote hi Pabo block padta hai fir pabo bazar se aage hai paithani bazar
भाई साहब वहाँ राहु की पूजा नहीं करने देते
Sachinanand g ne likha waha per rahu ki pooja ni karne dete. Clear kare.hum 9 Aug ko waha ja rahe hai
Bahut good jankar de aapne. Mi bahut paresan ho. Mere pancham bhav mi Rahu sani mean rasi mi hai aur mi 4 sal se bekar hu. Koi kam Nahi banta. Yahan pe bel Dan karna hoga. Isse Rahu sani khus ho jyge. Kam banne legega.
Sir aap se bat Karna chahta hu.
Pl MI’s can on 8887503536.
Maithani ji ye paithani kaha padta hai.
Kotdwar se agar aaye to kidhar hai.
Kripya thoda vistar mai rasta batai.
Maithani ji ye paithani kaha padta hai.
Kotdwar se agar aaye to kidhar hai.
Kripya thoda vistar mai rasta batai.
Madan Mohan Kukrety
Ghaziabad
दिल्ली से हरिद्वार और फिर श्रीनगर खिरसु होते हुए भी आप पैठाणी पहुंच सकते हैं । मंदिर तक गाड़ी जाती है ।
Maithani ji Namaskar
Ye Paithani kaha padta hai
दिल्ली से कोटद्वार होते हुए सीधे पैठाणी सीधा रास्ता है और बहुत ही रमणीक स्थान है ।
puja hote hai ke nahi. please pandit ka name bhe bata dena
दखिन भारत में भी राहु के 5 मंदिर हैं।
यह बहुत प्राचीन और दुर्लभ हैं।
स्कन्द पुराण में इनका उल्लेख है।
राहु के बारे में एक बहुत ही अद्भुत कालसर्प विशेषांक के नाम से 2004 में पब्लिश हुआ था। 300 पेज की इस
विशेषांक में बहुत गजब की जानकारियां दी गई हैं इसके उपायों से लोगों को चमत्कारी फायदे भी हुआ थे।
राहु के बारे में एक दम वैज्ञानिक दुर्लभ नवीन ओर नई जानकारी के लिए
amrutampatrika.com
एक बार जरूर सर्च करें। इस वेबसाइट पर बहुत ज्ञान भर पड़ा है