ये खबर सैनिकों के नाम पर राजनीतिक करने वालों का सर शर्म से झुका देगी…!
*ये है वतन पर मरने मीटने वालों के हाल
हमारे देश में गाय व सैनिकों की एक जैसी स्थिति है। गाय जब तक दूध देती है तब तक गाय को मां का दर्जा दिया जाता है। गाय के दूध देना बंद करने के बाद उसको उसके हाल पर छोड दिया जाता है। अगर बात सैनिकों की हो तो जब तक सैनिक शरहदों पर तैनात रहते हुए देश की रक्षा मे खडे रहते हैं। तब तक उनकी इज्जत की जाती है उनकों खूब सम्मान दिया जाता है। लेकिन रिटायर्ड होने के बाद इनका हाल भी कुछ इसी तरह दिख रहा है। अगर इस बात पर गहराई से विचार करोंगे तो सैनिकों व गांय के नाम पर राजनीतिक करने वालों के सर शर्म से झुक जायेंगे।
यहां बात उत्तराखंड के पौडी गढ़वाल के उन पूर्व सैनिकों कि जा रही है जो पिछले 418 दिनों से श्रीनगर गढ़वाल में धरने पर हैं। धरना भी किसी और के लिए नहीं अपने बच्चों को पढ़ाने के स्कूल में सीटे बढाने व उनके इलाज के लिए एक सरकारी हाॅस्पिटल खोलने की मांग को लेकर पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री तक कई बार ये पूर्व सैनिक अपनी मांगों को लेकर पत्र भेज चुके हैं लेकिन इनकी मांगों पर अब तक भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पिछले एक साल दो महीने से श्रीनगर, पौडी, व कीर्तिनगर ब्लाक के पूर्व सैनिक रोजाना श्रीनगर गढ़वाल के पीपल चैरी पर आते है और धरना देते है। इनमे से अधिकांश देश की रक्षा में घायल हुए है तो कुछ महिलाओं ने युद्ध में अपने पति को खोया है। लेकिन इनकी मांगों की ओर किसी भी राजनीतिक दल ने तवज्जों नहीं दी और ना ही किसी राष्ट्रीय चैनलों ने अपने प्राईम टाईम में इनकी समस्याओं को बहस का रूप दिया। क्योंकि इनकी समस्या किसी राजनीतिक दल का तारगेट सैटल नहीं करती और ना ही इनकी मांगे राष्ट्रीय चैनलों की टीआरपी प्रभावित करती। फेसबुक एवं व्हटस्एप पर सैनिकों के सम्मान में अपनी प्रोफाइल फोटो व डीपी बदलने वाले बीरों ने भी इनकी सुध लेने की जरूरत तक महशूस नहीं की। इन पूर्व सैनिकों के आंदोलन का नेतृत्व अवकाश प्राप्त कैप्टन मथुरा प्रसाद सिलोडी कर रहे हैं। सिलोडी उन जाबांजों में हंै जिन्होंने कमश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक दुश्मनों के दांत खट्टे किये है। सिलोडी सरकारों को कोसते हुए कहते है कि नगर के केन्द्रीय विद्यालय में सीटों की संख्या कम होने के चलते सैनिक व पूर्व सैनिकों के पाल्यों का नगर के एक मात्र विद्यालय में प्रवेश नहीं हो पा रहा है वे केन्द्रीय विद्यालय मे सीटे बढाने की मांग कर रहे है व पूर्व सैनिकों के लिए एक छोटा सा सैनिक हास्पिटल खोलने की मांग कर रहे है। जिसकी सभी नियमों को वे पूरा करते है। फिर भी गढ़वाल सांसद से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का ध्यान इस और नहीं है।
*पंकज मैंदोली
Copyright: Youth icon Yi National Media, 26.07.2016
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nice story
पूर्व सैनिको का ऐसा अपमान सचमुच समझ से परे है, पूरा जीवन देश को समर्पित करने वाले सैनिको को अब अपनी मांगो के लिए सड़को पर उतरना होगा,,, बेहद शर्मनाक!!
This is the fact very rude attitude of government.