उनके कंपकंपाते शरीरों में खुशी दौड़ गई ! आंखों में चमक आ गई थी ।
◆ बता रही हैं तस्वीरें… बर्फीली सर्द रात में हड्डियां गला देने वाली इस कड़क ठण्ड के दर्द को ।
एक कमीज उसके ऊपर से एक जालीदार हाफ स्वेटर पहने हुए एक शख्स उसके साथ एक महिला व तीन बच्चे तेजी से जा रहे थे । तभी मेरी बेटी यशस्विनी मैठाणी Yashasvini Maithani और मनस्विनी मैठाणी Manaswini Maithani की नजर पड़ी …. कहा पापा वो देखो उन्हें कपड़ों की जरूरत है, गाड़ी रोको पूछो … मैंने गाड़ी धीमी की पीछे से आती गाड़ियों ने हॉर्न का शोर मचा दिया । इतने में सड़क दूसरी पार जा रहे उस परिवार को इशारा किया, अपने पास आने को कहा । लेकिन वो समझ नहीं पाए आगे बढ़ गए ।
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फिर हमने अपनी गाड़ी किनारे पार्क की और मैं दौड़-दौड़कर उस परिवार तक पहुंचा जो काफी आगे बढ़ गया था । उन्हें बताया हमारे पास कपड़े हैं लोगे क्या ? वो न हाँ बोले न ही, ना बोले । महिला बोली कहाँ है साहब आपके पास कपड़े कहाँ हैं ..! आप तो खाली हाथ हैं । मैंने कहा वो सामने देखो गाड़ी खड़ी है, आप लोगों को मैंने आवाज भी दी थी ।
चलो अब आवो तुम सबको स्वेटर जैकेट पहनाते हैं ..! मेरा इतना कहते ही .. मानो बर्फीली सर्द रात में हड्डियां गला देने वाली इस कड़क ठण्ड में उन कंपकंपाते पांचों शरीरों में खुशी दौड़ गई । आंखों में चमक आ गई थी ।
हाफ ब्लाउज के ऊपर पतला शॉल ओढ़े ठण्ड से कंपकंपाती माँ अपनी पीड़ा छुपाती है और अपने बच्चों को आगे करते हुए बोली साहब इन तीनों को एक-एक गर्म कपड़ा दीजिएगा । मैंने आज चिंता मत करो आज पहले माँ को कपड़े मिलेंगे और साथ ही साथ माँ के सामने बच्चे भी कपड़े पहनेंगे फिर खुश हो गई ।
हम तो आए ही थे “समौण इंसानियत की – गर्माहट रिश्तों की” बांटने । ( Samaun Insaniyat ki , Garmahat Rishton ki )
लेकिन सिर्फ कपड़ा बांटना हमारा मकसद नहीं है । बल्कि अपने हाथों से कपड़ा पहनाना पहला उद्देश्य है ।
तस्वीरें आप जरूर देखिएगा ।
फोटो में दिखाई दे रहे जितने लोग आप लोग देख रहे हैं उन सबको टोपी, जैकेट, पैंट, स्वेटर, कम्बल, पंखी, शॉल जूते सब कुछ हमारी गाड़ी से मिला है । इससे पहले इनमें से किसी के पास भी स्वेटर नहीं थी । आप लोग भी आगे आएं और ऐसे लोगों को बचाए इन्हें भी ठण्ड लगती है साहब ।
◆ Shashi Bhushan Maithani Paras
शशि भूषण मैठाणी पारस
यूथ आइकॉन क्रिएटिव फाउंडेशन YiCF
Youth icon Creative Foundation (YiCF)
रंगोली आंदोलन एक रचनात्मक मुहिम
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