■ 114 साल बाद हुई उत्तराखंड में बैठक । सरोला समाज के ब्राह्मण हुए संगठित ।
■ बचाएंगे अपना अस्तित्व विभिन्न जिलों से आए ब्राह्मणों ने लिया संकल्प ।
■ गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों से जुटे सरोला ब्राह्मण देहरादून में ।
उत्तराखण्ड के गढ़वाली सरोला वर्ग के ब्राहमण 114 वर्ष बाद एक बार फिर से एक छतरी के नीचे एकत्रित हुए । यहां बताते चलें आज उत्तराखंड सूबे की अस्थाई राजधानी देहरादून में गढ़वाली सरोला ब्राह्मण समाज के लोगों ने एक सभा का आयोजन किया । जिसका मकसद सरोला समाज को संगठित करना है ।
114 वर्ष बाद अब फिर पहली बार देहारादून में हुई इस सभा में चमोली, पौड़ी, टिहरी व रुद्रप्रयाग के सरोला ब्राह्मणों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया । आयोजनकर्ता विजय थपलियाल ने अपने संबोधन में बताया कि हमारा मकसद अपनी जड़ों को मजबूत करना है । उन्होंने कहा कि आज सरोला वर्ग बिखर रहा है, जिसे संगठित करने के उद्देश्य से आज हमें 114 वर्षों के पश्चात अपनी विरादरी की सभा करनी पड़ी । उन्होंने कहा कि हमारा वर्ग समाज में भेदभाव के खिलाफ है परन्तु यह भी सत्य है कि समाज एक वर्ग से नहीं बल्कि भिन्न भिन्न जाति, धर्म, वर्ग व क्षेत्र के लोगों से मिलकर बनता है और बना है । इसलिए हर हर धर्म , हर जाति, हर वर्ग का संरक्षण सम्बर्धन होना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि समाज और गुलदस्ता एक समान है गुलदस्ते में जब रंग-बिरंगे फूल सजे होते हैं तभी वह खूबसूरत भी लगता है, बिल्कुल इसी तरह समाज भी एक गुलदस्ता है । इस अवसर पर श्री थपलियाल ने सन 1905 की 114 साल पुरानी चिट्ठी व पता लिखा लिफाफा भी प्रदर्शित किया जिसे देखने व छूने को लेकर समाज के लोगों में कौतुहल बना रहा ।
इस सदी में पहली बार संगठित हुए सरोला गढ़वाली ब्राहमणों की सभा को आचार्य पण्डित सन्तोष खंडूडी ने भी संबोधित किया । उन्होंने कहा कि सरोला वर्ग में एक से बढ़कर एक विद्वान आचार्य पण्डित रहे हैं और हैं हमें उनका ज्ञान व अनुभवों का लाभ भी लेना चाहिए और बुजुर्गों के अनुभवों को लिपिबद्ध करने की दिशा में भी कार्य करने की जरूरत है ।
टिहरी राजदरबार परिवार से सम्बद्ध पण्डित राजेंन्द्र नौटियाल व पाखी (पीपलकोटी, चमोली) गांव से डॉ0 शैलेन्द्र डिमरी जो कि बदरीनाथ मंदिर के हक हकूकधारी में से एक हैं उन्होंने भी अपने-अपने विचार सभा में व्यक्त और सुझाव दिए । साथ ही कहा कि हम सबको मिलकर सरोला समाज के संरक्षण में नई पीढ़ी की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी ।
सभा समापन में विभिन्न क्षेत्रों से आए सरोला ब्राह्मणों ने संकल्प लिया कि वह वर्तमान परिवेश में,सरोला समाज में विखराव को देखते हुए ,सरोला वर्ग के संरक्षण के लिए विभिन्न आयामों कार्य करेंगे जागरूकता लाएंगे व समय-समय पर सभाओं का आयोजन कर चर्चा करेंगे । जिससे उत्तराखण्ड देव भूमि में आदि काल के चली आ रही कई प्रतिष्ठित पूजा पद्धतियों को भी संरक्षित किया जा सकेगा व अपने सरोला समाज अपने हकों के लिए एक जुट होकर लड़ सकेंगे ।
बहुत अच्छा विशेष मौके पर मीठा भात और फौड. का.खाना ऐक साथ बैठकर खाने को मिलेगा ।
पत्रकार महोदय मूल पत्र मेरे पंडित विद्या दत्त भट्ट के दादा जी पंडित माधवनन्द जी (पुजारी श्री रुद्रनाथ गोपीनाथ मंदिर) को प्रेषित था। ये पत्र मेरे द्वारा ही उपलब्ध कराया गया था। इसका कोई जिक्र आपके समाचार में नही है। साथ ही मेरे परिवार द्वारा इसे संरक्षित रखा गया है व वर्तमान में मेरे पास गोपेश्वर में है। आपने लिखा है ऐसे छूने के लिए लोग
ये पत्र मेरे दादा जी पंडित विद्यादत्त भट्ट जी के दादा जी पंडित माधवानंद भट्ट जी को प्रेषित है । ये इस समय मेरे पास गोपेश्वर में है ।इसे देहरादून में कोई कैसे छूकर देख सकता है। आपके समाचार में पत्र के स्रोत प्रेषक व प्रेषित के बारे में कोई जानकारी नही दी गयी है जिस से सामाचार अधूरा है।
आप को सभी सरोलो भाई को आमन्त्रित करना चाइये था।ताकि इस आयोजन को और भव्य स्वरूप दिया जा सके।
उत्तम कार्य और नई सोच के साथ किया गया कार्य
कृपया कभी भी इस प्रकार का आयोजन हो तो सभी को सूचना समय पर दें और पूरी जानकारी दें इस आयोजन को करने वाले सभी कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। अनिल रतूडी गांव रतूडा धनपुर जिला रूद्रप्रयाग मोबाइल नंबर _9412921337
सरोलाओ की सूचि को भी बताऐ कौन कौन लोग सरोला मे आते है
सराहनीय संयोजन एवं प्रयास वर्तमान तथा भविष्य की शुभकामनायें।
A good inneciation required registered with village & destination of individual.
Bahut bahut vadahi ho sabi Sarole vahi logu tai apni sabhyta jinda rakhan ku