Satpuli : जोखिम मे स्कूली बच्चों की जान , हादसे को न्यौता देता जर्जर भवन ।
सतपुली । जिस रफ्तार से जनपद में नए स्कूल भवन का निर्माण किया गया है, उससे पुराने भवन उपयोग न होने के कारण जर्जर स्थिति में पहुॅंच गए है और कभी भी ढह सकते है । खण्डर में तब्दील हो चुके पुराने स्कूली भवनो को ढहाने की प्रक्रिया जटिल होने के कारण ये अनुपयोगी भवन स्कूली छात्रो के लिए खतरा बनते जा रहे है ।
साल 2010 में कल्जीखाल ब्लाॅक के रा.ई.काॅ मुण्डनेश्वर को नया स्कूल भवन प्राप्त हुआ था जिसके बाद से पुराना स्कूल भवन स्कूली छात्रो के लिए खतरे का सबब बना हुआ है । रविवार भारी बारिश के बीच पुराने स्कूल की छत भरभरा के गिर पड़ी पर स्कूल मे अवकाश होने के कारण एक बड़ा हादसा हाने से टल गया । बारिश लगातार जारी है और पुराने भवन की दिवारो में एक फुट चैड़ी दरार पड़ गई है, जिससे कभी भी भवन धराशाई होकर हादसे का काण बन सकता है ।
जटिल है डिसमेल्ट प्रक्रिया :
जर्जर भवन को डिसमेल्ट करने के प्रस्ताव को ग्राम सभा, विद्यालय अभिवावक शिक्षक समिति या जनप्रतिनिधियो से स्वीकृत कराया जाता है । उसके उपरांत शिक्षा विभाग को डिसमेल्ट कराने के लिए आवेदन किया जाता है तदोपरांत विभाग द्वारा इंजीनियर से भवन का आकलन कराया जाता है और रिपो्रट डीएम को भेजी जाती है ओर निदेशालय की आज्ञा के बाद भवन डिसमेल्ट किया जाता है ।
मदन सिंह रावत मुख्य शिक्षाधिकारी पौड़ी
प्रधानाचार्य से भवन की स्थिति का संज्ञान लिया जाएगा । डिसमेल्ट प्रस्ताव की स्थिति की जानकारी लेनें के बाद ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी ।
आर एस पटवाल प्रधानाचार्य रा.ई़काॅ मुण्डनेश्वर
रविवार को जर्जर भवन की एक दीवार स्वतः ही ध्वस्त हो गइ्र थी । विभाग को डिसमेल्ट कराने संबंधी प्रस्ताव विभाग को भेजा जा चुका है ।
*जितेंद्र जोशी, सतपुली
Copyright: Youth icon Yi National Media, 10.07.2016
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