Shaktiman Removed : तो क्या हरीश रावत की कुण्डली में बिदका है घोड़ा ? 2017 में कर सकते हैं वापसी, बशर्ते करें एक लाख बगलामुखी जप….!
Dehradun. Yi report , 12 July, दिवंगत हुआ शक्तिमान एक बार फिर से बुत के रूप में आकार ले चुका था । वह विधानसभा – रिस्पना के उसी तिराहे पर कुलांचे मारते दिखाई दे रहा था जहां उसकी टांग टूटी थी । लेकिन अब वह अचानक से गायब हो गया है ।
यह सभी को मालूम है कि शक्तिमान की दुर्दशा करने का आरोप भाजपा विधायक गणेश जोशी पर है जिसके एवज में उन्हें हवालात तक जाना पड़ गया था । और आगे भी पूरी संभावना हवालात जाने की जस की तस बनी हुई है ।
जैसे-तैसे विधायक जोशी उस हादशे को भूलाने की कोशिस में लगे हैं कि तभी एक बार फिर से शक्तिमान का जिन्न बुत बनकर हम सबके बीच आ खड़ा हुआ है । जिससे विधायक जोशी की पेशानी पर बल पड़ना भी स्वाभाविक ही है । बमुश्किल 3 से 4 दिन पहले ही शक्तिमान को ठीक विधानसभा के मुख्य मार्ग पर ला खड़ा कर दिया गया था ।
इस बीच खुसर-फुसर होने लगी कि अब शक्तिमान से आरोपी कैसे आँखे मिलाएंगे ? और कैसे इस मार्ग से होते हुए विधानसभा तक पहुंचेंगे यह तो ‘कटे में नमक मिर्च छिड़कने’ जैसा काम हो गया ।
बहरहाल देश और दुनियां की सुर्ख़ियों में रहने वाला शक्तिमान एक बार फिर से हर बच्चे , बूढ़े और जवान की ज़ुबान पर छाया हुआ है । और वह इसलिए कि इस बार शक्तिमान – शक्तिमान की तरह फुर्र से गायब हो गया है । गायब होने के पीछे कारण बहुत होंगे फिलहाल भाजपा विधायक गणेश जोशी के लिए विधानसभा तक का रास्ता खुल गया है । अब वह बेजिझक विधानसभा या हरिद्वार तक कार की खिड़की खोलकर कभी भी किसी भी वक़्त आ जा सकते है ।
अब सवाल कि आखिर शक्तिमान गायब हुआ क्यों ? इसे लेकर भी तरह-तरह की चर्चा चुगल्योरों के पास है । आम चर्चा है कि मुख्यमन्त्री हरीश रावत को किसी ने सलाह दी है कि घोड़े की राजनीति आपके लिए शुभ नहीं है । मार्च में घोड़ा प्रकरण को हवा दी तो हरीश रावत की अचानक सत्ता से बेदखली हुई और अब चुनाव नजदीक हैं तो ऐसे में फिर से घोड़ा सामने प्रकट हो गया है, अब हो न हो इस बार फिर चुनाव में हाथ मलते रह जाएं ।
ऐसे में आनन-फानन में शक्तिमान को रातों रात गायब कर दिया गया , ऐसी चर्चा भी आम हो गई है ।
ज्योतिष शास्त्र से जुड़े लोग भी मानते हैं कि फिलवक्त हरीश रावत की ग्रह दशा बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं हैं । पं0 भगवती प्रसाद सती का कहना है कि मुख्यमंत्री के नाम में पहला अक्षर ‘ह’ है तो इस नाते उनकी राशि मेष बनती है । और मेष के जातकों के लिए संघर्ष का वक़्त है । इस राशि में ग्रह स्थिति ठीक नहीं है क्योंकि इसमें त्रिवक्रिय योग चल रहा है । जिसमे उच्च का सूर्य , उच्च का चन्द्रमा, और उच्च का बृहस्पति वक्रीय अर्थात पीछे हुए हैं । जिससे इस समय इस राशि वाले जातकों के हर काम में उलझने अत्यधिक हैं ।
जबकि मेष राशि में उच्च का स्वामी अश्व यानी घोड़ा है । जब-जब ग्रह स्थिति वक्रीय हो जाते हैं तब तब नीच का ग्रह अश्व अर्थात स्वामी की मति को भ्रमित कर देता है । अश्व की मति का भ्रमित होना मतलब राजा और राज्य को भारी नुकसान पहुंचना । हालांकि मुख्यमंत्री हरीश रावत की राशि में सूर्य, चन्द्र, और वृहस्पति त्रिवक्रिय हैं जिस कारण उनका भाग्य में प्रबल शत्रुनाशी योग भी बने हुए हैं जिस कारण उनके शत्रु उनके सामने टिक नहीं पाते हैं । लेकिन मुसीबतें भी उन्हें घेरे रहेगी । जिस कारण उनका राजयोग बहुत प्रबल नहीं है और यही कारण है कि बहुत संघर्षों के बाद ही उन्हें सत्ता मिली है और आगे भी सत्ता मिलने की संभावना बरकरार है ।
फिलहाल उन्हें घोड़े की राजनीति से दूरी बनाने में ही लाभ मिल सकता है । बाकी मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत को रुद्राभिषेख, महामृत्युंजय जाप के अलावा बगलामुखी जी का एक लाख जप कराने से अनेकों मुसीबतों से छुटकारा मिलेगा व शत्रुओं का दमन भी होगा ।
बहरहाल उत्तराखंड की राजनीति में शक्तिमान महत्वपूर्ण किरदार के रूप में एक बार फिर से हम सबके सामने है । अब देखना यह होगा इस बार यह घोड़ा किसकी शक्ति को क्षीण करता है । आम जनता की इस भावना को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि इस प्रदेश से हजारों सैनिक अलग-अलग समय पर देश की सीमाओं पर शहीद होते आये हैं । साथ ही केदारनाथ आपदा में भी अनेक पुलिस कर्मियों ने शहादत दी है , आज तक उनमें से किसी के नाम पर राज्य में कोई स्मारक राज्य सरकार या पुलिस महकमा नहीं बना पाया लेकिन शक्तिमान को लेकर इतनी जबरदस्त होड़ आखिर क्यों ?
*शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Copyright: Youth icon Yi National Media, 12.07.2016
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Best Analysis…
सत्ता के लिए कुछ भी , जानता का पैसा तो मुफ्त का है मूर्ति बनवाओ लगवाओ और हटवॉओ ।नेताओं का क्या कभी पंडित और कभी जनता दोनों को भरमाते है कभी खुद भरम में जीते है ☺☺☺
मजाक बना कर रख दिया बिचारे बेजुबान जानवर का। किसी ने इसे जिन्दा था तब मारा और अब मरे हुए को मारा जा रहा है। शर्मनाक।
यह हम हिन्दुस्तानीयों में कभी न खत्म होने वाले अंधविश्वास के कारण है