She said Daughters are not useless : Exclusive Interview , बेटियों के जन्म पर मुंह लटकाने वाले लोगों को ये ख़बर ज़रूर पढ़नी चाहिए.ये ख़बर उन लोगों को भी ज़रूर पढ़नी चाहिए जो बेटियों को बोझ समझते हैं.

यूथ आइकॉन के विशेष आग्रह पर सुप्रसिद्ध सीने अभिनेत्री हेमा मालिनी की पत्रिका ‘मेरी सहेली’ की डिजिटल एडिटर कमला बडोनी ने यूथ आइकॉन के लिए यह खास रिपोर्ट/ साक्षात्कार भेजा है । आगे आप भी अवश्य पढ़ें ।

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Pooja shriram bijraniyan

हां, अधिकतर परिवारों में आज भी बेटे और बेटी में भेदभाव किया जाता है. हमारे राजस्थान में आज भी चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं. लोग बेटियों को जल्दी से जल्दी विदा कर देना चाहते हैं. उनके भविष्य के बारे में ज़रा भी नहीं सोचते. हम खुशनसीब हैं कि हमारे पैरेंट्स ने कभी ऐसा नहीं किया. हम पांच भाई-बहन हैं, चार बहनें और एक भाई. भाई सबसे छोटा है इसलिए आप कह सकती हैं कि सोशल प्रेशर में मेरे पैरेंट्स को चार बेटियों तक बेटे का इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हम बहनों की परवरिश में कभी कोई भेदभाव नहीं किया. – पूजा 

Kamala badoni कमला बडोनी
Kamala badoni कमला बडोनी, डिजिटल एडिटर
‘मेरी सहेली’

बेटियों के जन्म पर मुंह लटकाने वाले लोगों को ये ख़बर ज़रूर पढ़नी चाहिए.ये ख़बर उन लोगों को भी ज़रूर पढ़नी चाहिए जो बेटियों को बोझ समझते हैं. पूजा श्रीराम बिजारनिया ने पिता को अपना लिवर देकर न सिर्फ़ उन्हें नई ज़िंदगी दी है, बल्कि ये भी साबित किया है कि एक बेटी अपने माता-पिता और परिवार के लिए क्या कर सकती है. आइए, जानते हैं राजस्थान की इस बेटी की जांबाज़ी की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी.

 पूजा, आपके पिता को क्यों पड़ी लिवर की ज़रूरत? 

मेरे डैड को लिवर सोराइसिस हो गया था. पिछले तीन सालों से वे कई हेल्थ प्रॉब्लम्स झेल रहे हैं. उनकी बीमारी की शुरुआत जॉडिंस (पीलिया) से हुई थी, जिसके बारे में काफ़ी समय तक पता नहीं चल पाया था. सही डॉक्टर न मिलने के कारण उनकी हालत बिगड़ती चली गई. हम समझ ही नहीं पा रहे थे कि आख़िर उन्हें हुआ क्या है. डॉक्टर उन्हें दवाइयों पर दवाइयां देते जा रहे थे. उन दवाइयों के ओवर डोज़ से वो हर समय जैसे नींद में रहते थे और हम उन्हें उसी हालत में दवाइयां देते रहते थे.

Pooja Shriram Bimariyan : She said Daughters are not useless : Exclusive Interview , बेटियों के जन्म पर मुंह लटकाने वाले लोगों को ये ख़बर ज़रूर पढ़नी चाहिए.ये ख़बर उन लोगों को भी ज़रूर पढ़नी चाहिए जो बेटियों को बोझ समझते हैं. Youth icon Yi Media award report
बेटियों के जन्म पर मुंह लटकाने वाले लोगों को ये तस्वीर  ज़रूर देखनी चाहिए । ये ख़बर उन लोगों को भी ज़रूर पढ़नी चाहिए जो बेटियों को बोझ समझते हैं.

आपके पिता की सही बिमारी का पता कब और कैसे चला? 

कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी जब डैड की हालत में सुधार नहीं हुआ तो हम उन्हें जसलोक हॉस्पिटल, मुंबई ले गए. वहां डॉक्टर आभा नागराल की देखरेख में उनकी हालत सुधरने लगी. लेकिन उस समय तक उनका लिवर डैमेज हो चुका था और लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. इस बीच उनके गॉल ब्लेडर और किडनी में भी प्रॉब्लम आने लगी थी, उन्हें डायबिटीज़ भी हो गया था. इतनी सारी हेल्थ प्रोब्लेम्स झेलते हुए मेरे डैड बहुत कमज़ोर हो गए थे. उस पर इलाज का ख़र्च इतना ज्यादा था कि हमें अपनी प्रॉपर्टी भी बेचनी पड़ी. इन तीन सालों में हमारे परिवार ने जो भोगा है, वो सिर्फ़ हम ही जानते हैं, ईश्वर किसी दुश्मन को भी ऐसे दिन न दिखाए. हम नवी मुंबई में रहते हैं और वहां से बार-बार डैड को लेकर जसलोक हॉस्पिटल जाना बहुत मुश्किल हो रहा था इसलिए डॉक्टर आभा ने हमें नवी मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल में पापा को ले जाने के लिए कहा. वो वहां की विज़िटिंग फेकल्टी भी हैं इसलिए हमारे लिए ट्रैवलिंग आसान हो गई. पापा का आगे का ट्रीटमेंट वहीं हुआ.

पिता को लिवर देने का फ़ैसला आपने ही क्यों किया? 

डॉक्टर ने कहा, पापा के ठीक होने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है और वो भी जल्दी हो जाना चाहिए. हमने बहुत कोशिश की, लेकिन हमें लिवर नहीं मिल पाया. हमारे पास समय नहीं था इसलिए हमने फैसला किया कि हम में से ही कोई पापा को लिवर दे देगा. मां अपना लिवर देना चाहती थी, लेकिन हम मां की हेल्थ के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते थे. वो वैसे ही पति की बीमारी और हम बच्चों के भविष्य के बारे में सोच-सोचकर आधी हो गई थी. मेरी बहन का लिवर छोटा था इसलिए वो नहीं दे पाई. मेरे लिवर का साइज़ सही था और मैं हर तरह से फिट थी इसलिए मैंने लिवर देने का फैसला किया.

अपना लिवर देने का फ़ैसला करते समय क्या आपको डर नहीं लगा?

नहीं, मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगा, बल्कि मुझे ख़ुशी हो रही थी कि मैं अपने पापा के काम आ रही हूं. मेरी वजह से उनकी जान बच जाएगी. हां, मेरी मां बहुत डरी हुई थी. उनके पति और बेटी दोनों की ज़िंदगी दांव पर थी. ऐसे केसेस में दोनों  बच भी सकते हैं, कोई एक भी बच सकता है या दोनों की जान भी जा सकती है. लेकिन हमारे पास इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं था. हम खुशनसीब हैं कि ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा और हम दोनों को कोई नुक़सान नहीं हुआ.

लिवर डोनेट करने से क्या आपकी हेल्थ पर कोई असर पड़ेगा?

नहीं, लिवर डोनेट करते समय यानी सिर्फ़ ऑपरेशन के समय रिस्क रहता है. यदि ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा, तो फिर कोई डर नहीं रहता. लिवर बहुत जल्दी अपने शेप में फिर से आ जाता है और हम पहले की तरह ही एक नॉर्मल ज़िंदगी जीने लगते हैं.

आपके पिताजी के इलाज के लिए क्या आपके रिश्तेदार मदद के लिए आगे नहीं आए?

रिश्तेदारों का तो ये हाल है कि डैड की बिमारी में मदद करने की बजाय उन्होंने गांव में ये अफवाह फैला दी थी कि अब डैड की बचने की कोई गुंजाइश नहीं है. फिर जब ऑपरेशन सक्सेसफुल हो गया, तो रिश्तेदार कहने लगे कि अब इसकी शादी कैसे होगी. कोई करता कुछ नहीं, हौसला देने की बजाय हौसला गिराने का काम करते हैं. जब वो लोग मेरी शादी की चिंता जता रहे थे, तो मेरा जवाब था कि जिस लड़के को इतनी समझ न हो कि अपने पैरेंट्स के लिए बच्चों को क्या करना चाहिए, उसे मेरा जीवनसाथी बनने का कोई हक़ नहीं है.

आपको क्या लगता है, क्या आज भी बेटियों की परवरिश में भेदभाव किया जाता है?

सभी बच्चों के बीच में माँ । youth icon report
सभी बच्चों के बीच में माँ ।

हां, अधिकतर परिवारों में आज भी बेटे और बेटी में भेदभाव किया जाता है. हमारे राजस्थान में आज भी चोरी-छिपे बाल विवाह होते हैं. लोग बेटियों को जल्दी से जल्दी विदा कर देना चाहते हैं. उनके भविष्य के बारे में ज़रा भी नहीं सोचते. हम खुशनसीब हैं कि हमारे पैरेंट्स ने कभी ऐसा नहीं किया. हम पांच भाई-बहन हैं, चार बहनें और एक भाई. भाई सबसे छोटा है इसलिए आप कह सकती हैं कि सोशल प्रेशर में मेरे पैरेंट्स को चार बेटियों तक बेटे का इंतज़ार करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हम बहनों की परवरिश में कभी कोई भेदभाव नहीं किया. हां, रिश्तेदार ज़रूर कहते रहते हैं कि बेटियों पर इतना ख़र्च क्यों करते हो, इन्हें तो एक दिन पराए घर जाना है, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी हमारे लिए ऐसा नहीं सोचा. उन्होंने हम भाई-बहनों में कभी कोई भेद नहीं किया.

अपने पिता को फिर से स्वस्थ देखकर कैसा लगता है? 

पापा के ऑपरेशन के बाद हमारी ज़िंदगी में फिर से ख़ुशियां लौट आई हैं. पूरे तीन साल बाद ज़िंदगी फिर पटरी पर लौट आई है, अब हमें ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं. बुरे वक़्त ने हमें और स्ट्रॉन्ग बना दिया है.


 
 

By Editor

4 thoughts on “She said Daughters are not useless : Exclusive Interview , बेटियों के जन्म पर मुंह लटकाने वाले लोगों को ये ख़बर ज़रूर पढ़नी चाहिए.”
  1. Woh ghar hi kya jis mein bitiya na ho? Ghar ki raunaq beti se hi hoti hai. Woh chote chote pairon mein paayal ki jhankar, woh hansi ki goonj, woh hulla gulla, woh chooriyon ki jhankaar, unke bina to ghar sunsaan ho jaata hai.
    Betiaan mahaan hoti hain,gharon ki shaan hoti hain,thodi shaitaan hoti hain, papa ki jaan hoti hain.

  2. युथ आइकॉन को आभार आपने कमल्ता जैसी होनहार बेटी से रु ब रु करवाया । दुःख की परीक्षा स्वयं निबाहनी पड़ती है । कमला ने साबित कर दिया कि अगर ठान लें तो कोई भी डगर कठिन नहीं । जीवन में दुःख- सुख सांझा साथी हैं जिनसे प्रभावित हुये बिना जीवन को सुचारू रूप से चलाने का जज्बा भरती बेटियों की कड़ी में एक और नाम कमला । बधाई ढेरों शुभकामनाएं ।

  3. सलाम इस साहसी बिटिया के लिये ।सचमुच बेटियाँ जो बलिदान दे सकती हैं वो बेटे हरगिज नहीं ।

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