Smart City :
सुबह सबेरे में ग्राउंड रिपोर्ट : स्मार्ट सिटी, ये वो सपनों का शहर तो नहीं …!
सरकार की छवि बनाओ विभाग में काम करने वाले अपने पडोसी से दुनिया जहान की बातें खत्म कर दरवाजे तक ही आया था कि वो अचानक बोल उठे अरे भाई रूकिये आप दुनिया भर से सवाल पूछते हैं अब आपकी भाभी भी आपसे कुछ पूछना चाहतीं हैं। पेशे से बैंक कर्मचारी भाभीजी अब तक हमारी बातचीत को बेहद निस्पृह तरीके से सुन रहीं थीं मगर अब उनके रहा नहीं गया और लंबे समय से मन में छिपा दर्द सामने आ गया। भाईसाहब ये जो शिवाजी नगर और तुलसी नगर को सरकार तोडने जा रही है उसका आप विरोध
क्यों नहीं कर रहे। हमारे भोपाल का शिवाजीनगर और तुलसी नगर तो शहर का सबसे स्मार्ट इलाका है इसे अब तोड कर और कितना स्मार्ट बनायेंगे। यहां क्या नहीं हैं। दोनों तरफ चैडी लिंक रोड। हर तरफ बेतहाशा हरियाली। हर थोडी दूर पर बने पार्क। माल बाजार स्कूल सब कुछ तो यहां हैं। स्मार्ट होने को बचा क्या है। यदि बात मल्टीस्टोरी की है तो कीलन देव और तुलसी परिसर सरीखे उंचे टावर भी अब तो बन गये है। फिर क्यों शहर के इस सबसे खूबसूरत इलाके को स्मार्ट बनाने के नाम पर उजडा अफगानिस्तान बनाया जा रहा है। आप मीडिया वालों का इसका विरोध करना चाहिये और सीएम शिवराज सिंह से मिलकर उनको बताया जाना चाहिये कि आप ऐसे फैसले मत लीजिये ये फैसले चुनाव हराने वाले होंगे।
भाभीजी के सवालों से निरूत्तर होकर मैं उनको ये नहीं बता पा रहा था कि ये जो शिवाजी नगर और तुलसी नगर की आपने अच्छाइयां गिनायीं हैं यही तो अब इसकी बर्बादी का कारण बन रहीं है। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी के नाम पर भोपाल की जनता से जो छल किया गया है उसे लोग शायद ही कभी भूल पायेंगे। जनता से सुझाव और चर्चाओं के नाम पर होटलों में बडी बडी बैठक और सेमीनार किये गये। जो अखबारों और पत्रिकाओं में छपवाये गये। भोपाल की भोली जनता ने हुलस हुलस कर नये नये बने महापौर को सुझाव दिये हमारे इलाके में ये होना चाहिये वो होना चाहिये। हमारे उत्साही महापौर ने सुझाव मांगने में जरा कोताही नहीं की दुआ देने वाले हिजडों से भी सुझाव मांगे। मगर वो ये भूल गये कि सुझाव मांगने के लिये होने वाले ये आयोजन तो जनता की आंखों में धूल झोंकने का हिस्सा था। शहर के चौराहों पर लगे सुझाव देते हुये होर्डिग्स और फोटो तो उस फाइल का हिस्सा बन रहे थे जो केंद्र सरकार के अफसरों को दिखायी जाने वाली थी कि देखिये भोपाल की जनता कितनी
उत्साहित है अपने शहर को स्मार्ट बनाने के लिये कुल एक लाख बहत्तर हजार दौ सौ छियासी सुझाव भेजे है। पूरी भोपाल नगर निगम ही भिड गयी थी भोपाल को स्मार्ट बनाओ अभियान में। केंद्र सरकार को सुझाव देने के नाम पर नगर निगम के कर्मचारियों ने ही सैकडों नकली आइडी बनाकर प्रधानमंत्री की साइट पर हजारों सुझाव मेल कर फर्जीवाडा कर दिया। नगर निगम के सिर्फ दो कर्मचारियों ने ही अपनी मेल आईडी से दस हजार से ज्यादा सुझाव दे डाले। मगर वो ये भूल गये कि कंप्यूटर पर किया गया फर्जीवाडा जिस दिन सामने आयेगा तो लेने के देने पड जायेगे। हमारे उत्साही महापौर और उनको नये नये सपने दिखाने वाले अफसरों की मुहिम रंग लायी। शहर के सबसे स्मार्ट इलाके को ही स्मार्ट सिटी बनाने की मंजूरी मिल गयी। भोपाल शहर के लोगों के लिये ये खबर किसी सदमे से कम नहीं थी। जब उनको पता लगा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बुलाये गये उनके सारे सुझाव स्मार्ट मुहल्ले के लिये थे और वो स्मार्ट मुहल्ला चुन लिया गया है। और वो भी बीच शहर का सबसे अच्छा हिस्सा। और इस हिस्से को स्मार्ट बनाने से पहले उजाडा जायेगा जिसमें करीब तीन हजार सरकारी मकान और उनके आसपास बनी डेढ हजार से ज्यादा झुग्गियां चपेट में आ रहीं है। इस जमीन को चुनने की वजह भी यही रही कि यहां रहने वाले अधिकतर सरकारी कर्मचारी हैं जिनको नौकरी का डर दिखाकर कहीं भी हांका जा सकता है। और फिर स्मार्ट सिटी कोई नगर निगम के पार्षदों और महापौर को तो बनानी नहीं है। नगर निगम के हिस्से तो इस हिस्से को गिराने की बदनामी और फिर रोड नाली बनाना ही है बडी बडी गगनचुंबी इमारते बनाने के लिये तो देश के बडे बिल्डर आयेंगे तो उनको भी हम दे रहे हैं भोपाल की सबसे अच्छी और महंगी जमीन। हटाने पडेगें पांच हजार परिवार और काटने पडेंगे पचास हजार छोटे बडे पेड तो क्या। कुछ साल पहले गैमन इंडिया को 15 एकड जमीन देने के लिये ऐसी ही स्मार्ट योजना बनी जिसे पुर्नघनत्वीकरण योजना कहा गया। उसके नाम पर 345 सरकारी क्वार्टर तोडे थे और काटे गये 10 हजार पेड। अब वहंा बना क्या है। करोडों रूप्ये के गगनचुंबी फ्लेट और लगा दिये गये हैं कुछ बनावटी लंबे पेड पौधे। बाकी के मकान गिराये थे उनका क्या हुआ कोई जबाव देने वाला नही है। शिवाजी नगर और तुलसी नगर में भी पेड काटने के तर्क तलाश लिये गये हैं कहा जा रहा है दोगुने पेड लगा दिये जायेंगे हटने वाले कर्मचारियों को नये मकान दिये जायेगे जनता जानती है ये वायदे कोर्ट में दिखाने और मन बहलाने के लिये हैं। ये क्यों नहीं कहा जा रहा कि शहर के बाहर किसी खाली इलाके में ये स्मार्ट मोहल्ला बसाकर केंद्र सरकार के सामने नंबर बढाने की औपचारिकता पूरी कर ली जाये। अब बीच शहर में तबाही का मंजर दिखाने बनाने का मकसद है कि आओ बिल्डर हम उठायेंगे पालकी।
स्मार्ट सिटी पर कुछ दिनों पहले पांच नंबर स्टाप के गार्डन में जन संवाद चल रहा था जिसमें मंच पर कुछ नेता थे तो सामने बैठी अधिकतर जनता वो थी जो सरकारी क्वार्टरों के पीछे बने झुग्गी बस्तियों या सर्वेट क्वार्टर में रहती है। वहां बैठी उमा केवट ने हमारे पास आकर कहा भैया हमने तो मोदी और शिवराज जी को अपना घर तोडने के लिये तो वोट नहीं दिया था। हमारे तो सीएम साहब चुनाव के पहले कहते थे जो जहां रह रहा है वहाँ से उसे कोई नहीं हटा सकता हम तो पटटे का इंतजार कर रहे थे और कहां ये हटने की बात चलने लगी नहीं हमारे शिवराज ऐसा नहीं होने देंगे। अब उमा के भोलेपन पर क्या जबाव दें कि मोदी ने कहा है तभी तो शिवराज ऐसा कर रहे हैं।
YOUTH ICON Yi National Media Repot 04.05.2016