सुंदर दून, मनमोहक दून
Youth icon Yi National Creative Media Report
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Special Story :  किसका वाला ? कौन है जौली ? किसकी है ग्रान्ट ?  क्यों मिली माफ़ी ? 

Jay Prakash Kala . Yi Report
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सुंदर दून, मनमोहक दून
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पिछले कुछ दिनों से देहरादून राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है पहले टी-गार्डन पर स्मार्ट सिटी बनाने के प्रस्ताव का मामला देश भर के पर्यावरणविदों को नागवार गुजरा, फिर शक्तिमान घोड़े की मौत से हंगामा मचा । मामला थमा नहीं कि कांग्रेसी विधायकों की बगावत , शक्ति परीक्षण और अदालती कार्रवाही के लिए फिर से देहरादून देशभर कीे सुर्खियों में छा गया| रही सही कसर सांसद तरुण विजय पर हमले ने पूरी कर दी ।  खैर, देहरादून की सेहत को शायद ही इन सब से कोई फर्क पड़ा हो, वो आज भी अपने अनूठेपन में रमा है, और इस अनूठेपन मे सबसे अनोखे हैं यहां बसे इलाकों के नाम ।

कहते हैं कि नाम में क्या रखा है, लेकिन हमारी परंपरा देखें तो हर नाम का कोई न कोई मतलब या कहानी होती है ।  क्योंकि देहरादून अंगरेजों के जमाने से ही एक महत्वपूर्ण शहर रहा है, ऐसे में देहरादून के कुछ इलाकों के नाम अंगरेजी नामों से जुड़े हैं मसलन एश्लेहाल, क्लीमेंटटाउन, टैगोरविला आदि ।  इसके अलावा यहां के ‘वाला’ जैसे बल्लीवाला, आमवाला, अनारवाला, रायवाला, डोभालवाला आदि भी अपने आप मे यूनीक हैं ।

लेकिन इस सबसे अलग हैं कुछ नाम, मसलन जौलीग्रांट, माजरामाफी या माजराग्रांट, आरकेडियाग्रांट आदि ।  विख्यात क्रिकेट कंमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी कुछ दिन पहले ट्विटर पर पूछा था कि जौलीग्रांट क्या है? कौन था जौली, क्या थी ग्रांट.. इस तरह के सवाल देहरादून के हर बाशिंदे के मन मे जरूर उठते हैं । जी हां, ये ग्रांट या माफी क्या है इसका जवाब हमारे पास है ।

देहरादून का जो स्वरूप आज हम देखते हैं वह 200 साल पहले नहीं था| बस,एक छोटा सा कस्बा जो आज के घंटाघर और राजपुर रोड के आस पास सीमित था ।  गोरखों की पराजय के बाद देहरादून अंगरेजों के कब्जे में आ गया ।  1848 मे ‘रॉस कमीशन’ की भूमि सुधार संबंधी रिपोर्ट के आधार पर दून घाटी को यूरोपीय किसानों के लिए खोल दिया गया ।  कुल 54000 एकड़ भूमि में से लगभग 4000 एकड़ खाली भूमि को 50 साल के लिए यूरोपीय किसानों को लीज पर दे दिया गया जिस पर कोई कर नहीं था ।  इस भूमि पर उन्होने आम, लीची व चाय के बगीचे लगाए| इस भूमि पर कोई टैक्स न होने के कारण ये इलाके ही ‘ग्राण्ट’ या ‘माफी’ नाम से जाने गये ।  आज के जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट व प्रसिद्ध चाय गार्डन वाले प्रेमनगर स्थित ‘आरकेडियाग्राण्ट’ एेसे ही इलाके हैं ।  तो अगली बार जब भी ऐसे किसी इलाके में जाएं तो इतिहास के इस अनछुए हिस्से को ज़रूर महसूस करें ।

*जय प्रकाश काला  

Copyright: Youth icon Yi National Media, 04.06.2016

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By Editor

7 thoughts on “Special Story : किसका वाला ? कौन है जौली ? किसकी है ग्रान्ट ? क्यों मिली माफ़ी ?”
  1. वाह बहुत खूब बहुत अच्छी जानकारी
    धन्यवाद

  2. जय प्रकाश काला जी आपके कारण हमें भी देहरादून के विषय मे जानकारी हो गई धन्यवाद जी।

  3. जयप्रकाश काला जी ये जानकारी बहुत कम लोगो को होगी । आपने आज हम सबको इससे रूबरू कराया बहुत बहुत धन्यवाद

  4. Dear Jai Light Black,

    I became eager to learn the story of Joly, Grant and Mafi in Dehra dun. You did give an introductory information. However, what many of us were looking for is detail information of story all about.

    Is it possible for you to re-dwell on the subject.

    Thanks.

  5. The message could not be posted in full and got auto edited.

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