* RTI कार्यकर्ता संतोष मंमगाई द्वारा मांगी गई सूचना के अधिकार के तहत मिली सूचना से हुआ मामले का खुलासा ।
*2013 का है मामला, लगभग 3.85 करोड़ का है घपला ।
*देश की संसद में भी उठ चुका है मामला ।
*सवालों के घेरे में NIT निदेशक की भूमिका ।
श्रीनगर, जन संघर्षों की बदौलत अस्तित्व में आये प्रदेश के पहले एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) पर शैशवकाल में ही भ्रष्टाचार की दीमक लगनी शुरू हो गई है। दो साल पहले एनआईटी में मशीनों की खरीद फरोख्त के मामले में हुए घोटालों की बात सच साबित हुए है। सीबीआई ने इस घोटालों में एनआईटी के निदेशक एचटी थोराट एवं एक अन्य प्रोफेसर को कठघरे में खडा किया है। मगर एमएचआरडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीबीआई की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस भ्रष्टाचार की जड़ें एमएचआरडी तक जमी हुई है।
वर्ष 2013 के सितंबर माह में एनआईटी श्रीनगर के अधिकारियों ने करीब 3.85 करोड़ रुपए की लागत से लैब व्यू सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर खरीदा। इस उपकरण को बंगलुरू की एक कंपनी से बिना टेंडर आमंत्रित किए खरीदा गया। संबंधित कंपनी को यह कह कर ऑर्डर दिया गया कि वह उक्त उपकरण सप्लाई करने वाली एकमात्र एजेंसी है। जबकि सीबीआई जांच में पाया कि देश के कई अन्य शहरों में भी ऐसे उपकरणों की सप्लाई करने वाली कंपनियां हैं।
यही नहीं निदेशक ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की अनुमति के बिना यह उपकरण खरीदे है। जांच में पाया कि अधिकारियों ने अपनी चहेती कंपनी को एक करोड 37 लाख रूपए का लाभ पहुंचाया। सीबीआई की जांच के बावजूद भी इस विषय पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। उल्टे जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि सीबीआई 24 सितंबर 2015 को सेल्फ कंटेंड नोट एमएचआरडी के सतर्कता अनुभाग को दे चुकी है। इसका खुलासा तब हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता संतोष मंमगाई ने मामले की जांच रिपोर्ट सूचना के अधिकार के तहत मांगी। ममगांई ने एमएचआरडी व एनआईटी प्रशासन पर मामले को दबाने का आरोप लगाते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
लोकसभा में भी उठा था मामला :-
एनआईटी में घोटाले का मामला तब सामने आया जब सहायक कुलसचिव ने निदेशक पर उपकरणों की खरीद-फरोख्त में धांधली का आरोप लगाया था। इसके बाद सहायक कुलसचिव को हटा दिया गया। मामला मीडिया में आने के बाद सांसद बीसी खंडूडी ने यह मुद्दा लोक सभा में भी उठाया। इसके बाद केन्द्र सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने करीब एक वर्ष की तहकीकात के बाद रिपोर्ट एमएचआरडी को सौंपी है।
भारतीय जनता पार्टी नेता, धन सिंह रावत ने अपने बयान में कहा कि यदि सीबीआई जांच में एनआईटी निदेशक की संलिप्तता सामने आई है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर एमएचआरडी के उच्चाधिकारी इस मामले का संज्ञान नहीं ले रहे हैं तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस संबंध में वार्ता की जाएगी ।
संयुक्त संघर्ष समिति अध्यक्ष अनिल स्वामी ने संस्थान के निदेशक पर आरोप लगाते हुए अपने बयान में कहा कि एनआईटी निदेशक हमेशा अपने तानाशाही रवैये के लिए चर्चित रहे हैं। उनका ध्यान संस्थान से ज्यादा जमीनों, उपकरणों आदि की खरीद पर रहता है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने निदेशक के खिलाफ ठोस सबूत दिए हैं। इसके बावजूद कार्रवाई न होना दुर्भाग्यपूर्ण है ।’
* कपिल पंवार , श्रीनगर ।
Copyright: Youth icon Yi National Creative Media Report, 17.05.2016