ssssss…. Who Is there : केदारनाथ में वो कौन हैं .?
मानो तो भगवान ना मानो तो पत्थर। बस यही फर्क है आस्था और अंधविश्वास में । शिव के धाम केदारनाथ में भी कुदरती आपदा को 3 साल से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन 3 साल बाद भी एक घटना ने, या यूं कहे कि चंद तस्वीरों ने आस्था और अंधविश्वास की सदियों पुरानी इस बहस को फिर से एक नया आयाम दे दिया है। उत्तराखंड में एक व्यक्ति जिसका पेशा विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ा है वो, भगवान केदार के पक्के भक्त । जून 2013 की आपदा में बेशक हजारों लोगों की अकाल मृत्यु हो गई लेकिन ये साहब की केदार के प्रति आस्था में रत्ती भर की कमी नहीं आई । हर साल की तरह तब भी आपदा के कुछ माह बाद यह साहब शिव की आराधना के लिए केदारनाथ पहुंचे थे । वहां जाकर उन्होने देखा कि सैलाब की तबाही के बाद केदारनाथ की दशा और तस्वीर तो बदल गई है लेकिन सदियों पुराना केदार का दिव्य मंदिर अभी भी भव्यता के साथ मौजूद है।
विज्ञान क्षेत्र से जुड़े साहब ने बाबा केदार को नमन किया और पूजा के बाद मंदिर के बाहर आकर अपने मोबाइल से केदारनाथ मंदिर के आसपास की तस्वीरों को अपने फोन में उतारने लगे। चंद मिनट की फोटोग्राफी के बाद उनकी नजर अचानक अपने मोबाइल में ली हुई कुछ तस्वीरों पर टिक गई। उनके दिल की धड़कनों की रफ्तार तेज हो गई और आंखों की पलकों ने झपकने से मानों मना कर दिया । साहब के मोबाइल में कैद तस्वीरों में कुछ ऐसा दिखा जिसे देख उनके रौंगटे खडे हो गए। केदारनाथ में मंदिर और आसपास की इमारतों के साथ साथ तस्वीरों में कुछ ऐसी आकृतियां भी थीं जो अनजानी थी, अनदेखी थी और अबुझ थीं।
सबसे अविश्वसनीय वो तस्वीर थी जिसमे उन्हें मंदिर के ठीक सामने दाईं ओर एक ऐसा इंसान दिखा जिसकी सिर्फ एक ही टांग थी लेकिन उसी एक पैर से वो आग बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था। फोटो में उसी इंसान के साथ साथ उसी का अक्स लिए दो आकृतियां और भी थीं। ऐसा दिख रहा था मानो एक साथ एक ही टांग पर तीन लोग मंदिर की परिक्रमा कर रहे हों। आंखों पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा था लेकिन मोबाइल में ली हुई सच्ची तस्वीरों से आंखों को मोड़ना भी साहब के लिए नामुमकिन हो रहा था। तीनों आकृतियों पर मटमैले व सफ़ेद रंग की हाफ शर्टनुमा कुर्ता जैसी दिखने वाली लिबास थी। लंबी और गठीले कद काठी वाली ये आकृतियां ऐसा लग रहा है मानो एक लय में मंदिर की परिक्रमा कर रही हैं।
साहब को हैरानी इस बात की है कि वहां मौजूद उनके बाकी दोस्तों के मोबाइल में ऐसी कोई तस्वीर कैद नहीं हुई। उनके मोबाइल से ली गई एक और तस्वीर ने उनके कौतुहल को भी और बढा दिया। केदारनाथ मंदिर की दाई ओर यानी तस्वीर में बाई ओर यात्रियों के विश्राम के लिए शेड बना है जो तबाही के बाद खंडहर में तब्दील है , लेकिन जब साहब तस्वीरें खींच रहे थे उस वक्त उस शेड के नीचे कोई नहीं था लेकिन उसी वक्त मोबाइल से खींची गई तस्वीर में कुछ लोग शेड के नीचे लगे बेंचों पर बैठे दिखाई दे रहे हैं।
तीसरी तस्वीर में मानो एक शख्स खंडहर हुए भवनो के बीच से तबाही के मंजर को एक टक निहार रहा हो । मोबाईल से ली गई इस तस्वीर में देखिए कि कैसे एक काली छाया जिसमें एक इंसान की आकृति है जो हाथ पीछे किए हुए और हल्की सी कमर झुकाए खड़ा, साफ दिखाई दे रहा है ।
एक के बाद एक तस्वीरों के मोबाईल मे कैद होने से साहब की हैरानी और परेशानी, कल्पना की सभी सरहदों को तोड़ रही थीं। सवाल है कि-
*आखिर वो कौन है जो एक पैर पर मंदिर की परिक्रमा कर रहा है.. ?
*वो कौन लोग हैं जो मंदिर के दाहिने ओर बेंच पर बैठे हैं…?
*आखिर वो क्या वजह है कि ऐसी अविश्वसनीय तस्वीर सिर्फ इन साहब के मोबाइल में ही कैद हुई।
वाकई यकीन करना मुश्किल है लेकिन तस्वीरों के बूते सामने आए सबूतों की कतार को दरकिनार भी नही किया जा सकता है। तो क्या देवभूमि केदारनाथ में अभी भी ऐसा कुछ है जिससे दुनिया अंजान है…? क्या वहां कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दुनिया के सभी लोग देख नहीं सकते… ? क्या इस द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थल पर अदृश्य माया की एक अलग ही दुनिया बस रही है…?
फोटो क्लिक करने वाले साहब खुद विज्ञान और तकनीक के सारथी है लेकिन जब उन्होंने अपने मोबाइल में इन अदभुत अकल्पनीय तस्वीरों को देखा तो विज्ञान की सारी तार्किक सोच और मानसिक बेड़ियां एक झटके से चकनाचूर हो गईं। इस बार आंखें, दिल और दिमाग बस यही तर्क दे रहा है कि हां, केदारनाथ में कुछ तो अलग, कुछ तो विशेष जरुर है –
शिव के प्रति उनकी आस्था को कोई अंधविश्वास के नाम पर चोट ना पहुंचाए इसलिए उन्होंने अपना नाम ना छापने की शर्त पर ही अपने अनुभवों को मुझसे साझा किया है । वो खुद भी शुरु से विज्ञान के छात्र रहे हैं और वर्तमान में विज्ञान के पेशे से जुड़े हैं । लेकिन इस घटना के बाद से पैदा हुए सवालों के जवाब शायद उनके विज्ञान के पास भी नहीं है ।
*तो क्या केदारनाथ में आज उन पवित्र आत्माओं का वास है जिनकी कुदरती आपदा में अकाल मृत्यु हो गई थी…?
*क्या मोबाइल की तस्वीरों में उन्हीं पवित्र आत्माओं की आकृति है जो आज केदारनाथ में देवतुल्य हो गई हैं…?
*क्या शेड के नीचे बैठे ये वही लोग हैं जो भगवान शिव के दर्शन के पहले ही जून 2013 में काल के गाल में समा गए थे…?
*क्या आज भी वो अपने देव के दर्शन की आस में वहां अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं…?
आज भी केदारनाथ में उन लम्हों को याद कर साहब सिहर उठते हैं। दहशत और डर की वजह से कम…अलौकिकता और अविस्मरणीय अहसास से ज्यादा । वैसे तो साहब विज्ञान की अपनी एक खास विधा में पारंगत हैं लेकिन उस दिन के बाद से प्रयोगशाल में कार्य के वक्त कई बार एकबारगी उनकी आंखों के सामने उन लोगों की तस्वीर कौंध उठती है जिन्हें उन्होंने अपने कैमरे की नजरों से तो देखा है लेकिन दूसरे लोग किसी भी तरीके से नहीं देख पाएं । साहब को शक है कि इस लेख के बाद देश और दुनियाँ में लोग ये कह सकते हैं कि कैमरे में ट्रिक के जरिए असंभव को संभव दिखाया जा सकता है । लोग ये दावा कर सकते हैं कि सबकुछ महज एक भ्रम या कैमरे की लेंस का धोखा हो सकता है, लेकिन आस्था और विश्वास की मजबूत डोर के बूते वो साहब यही चैलेंज करते हैं कि उनकी ली हुई तस्वीरों को दुनिया के किसी भी हाईटेक और अत्याधुनिक लैब में परीक्षण के लिए भेज दिया जाए…सच्चाई वही सामने आएगी जो उन्होंनें अपने मोबाइल में कैद किया है, जिसे उन्होंने खुद केदारनाथ में महसूस किया है।
किसी ने सही कहा है कि विज्ञान की सीमा जहां खत्म होती है वहां से आस्था की सरहद शुरु होती है। हम यहां कोई फैसला नहीं सुना रहे हैं लेकिन इतना जरुर कहेंगे कि साहब की दलीलों और भरोसे को भी किसी परीक्षण और कसौटी पर कसे बिना खारिज भी नहीं किया जा सकता । बात फिर से वही है… मानो तो भगवान ना मानो तो पत्थर ।
*प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ , एडिटर Yi मीडिया । संपर्क – 9756838527, 7060214681
Copyright: Youth icon Yi National Media, 06.08.2016
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शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ साहब आपका कथन सत्य है ऐसे पहले भी अलग अलग स्थानों के प्रमाण प्रकाशित होते रहे हैं जिन्हें पढ़ कर यही कह सकते हैं कि जिनकी अकाल मृत्यू हो जाती है उनकी आत्मा ऐसे ही भटकती रहती है, जब तक उन आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता, ऐसा ही केदारनाथ धाम मैं भी प्रतीत होता होगा, ऐसे वाक्यों को देखने वाला इंसान भी कोई विरला ही हो सकता है
कुछ भी संभव है सर
ईस धरती पर भगवान भी है शैतान भी और देवात्माए भी बस दिखना किसको है यह सब उनका चुनाव होता है
bhushan ji apke mitr ne jo bhi dekha hai.vo puri tarah sach hai.main bhi manta hu ki aatmayoin ki duniya hoti hai.jisey kam hi log dejh sajte hain.
भाईसाहब नमस्कार
फोटो का साईज कुछ बड़ा होता तो समझने मे आसानी होती।
यदि संभव हो तो अपलोड करने का कष्ट करेंगे ।
ये देवभूमि है यहाँ कुछ भी संभव है।
Sacchai ka pata Lagna Jaruri hai
सब कुछ जायज हे केदार बाबा के दरबार में
Nice stori
adbhut mazra
मेरा मानना है किसी भी इंसान की असमय मृत्यू संभव ही नही है। मनुष्य जब पैदा होता है इस सत्य के साथ कि उसकी मृत्यू अवष्य होगी जिसका तरीका स्थान तथा समय निशचित है और अटल है उसे किसी भी तरह बदला नही जा सकता। जिसकी मृत्यु आपदा,दुर्दघटना या सुसाईड द्वारा लिखी है वैसे ही होगी। सभी अपना जीवन काल पूरा करके ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं चाहे ये काल एक दिन हो या 100 साल।
Omg
अकाल मृत्यु क्या होती है जब भगवान ने सबका भाग्य लिखा हुआ है चाहे वो कैसे भी मरे।
Ha ji ye jaroor sambhawa h. Hum yese wakaya bachapan se sunte aaye h. aaj aap ke camera me ye kaida ho gaya h. ye bhi satya h ki jis ka janam hua h us ki mirtu bhi nischit h. Har Har Mahadev.
भूतों का दिखना कोई आश्चर्य नहीं है।अकाल मौत मरी आत्माएं भटकती रहती हैं।केदार नाथ कोई परमात्मा नाहिबल्कि काल भगवान स्वयं केदारनाथ,बदरीनाथ आदि रूपों में बिराजमान है।जब उसे खाना होता है तभी ऐसी आपदाएं आती रहती हैं।रही बात आत्माओं की तो उनका मोक्छ केवल पूर्ण परमात्मा ही कर सकता है।जिसका जिक्र वेदों में स्पस्ट है।यजुर्वेद अध्याय 32 के मन्त्र न 5 में उस पूर्ण परमात्मा के विषय में स्पस्ट है।ज्यादा जानकारी के लिए हिंदी न्यूज़ चैनल साधना पर रोज शाम को 7 बज कर 40 मिनट से 8-40तक सत्संग देखिये।
हो सकता है आपदा में मारे गए लोगों की आत्माएं बाबा केदार के दर्शन को आती हो।क्यों की कई लोगों का तो अंतिम संस्कार ही नहीं हो पाया शायद उन्हें मुक्ति न मिली हो।
thoda pictures clear hoti to viswas hota….
is shristi m kuch bhi sambhav h.mene bhi iss daiviya apda ka ek victim hu.mene aur meri family ne bhi yah apda jheli h…..aaj bhi vo din yaad aata h to dil jor jor se dhadkne lgta h,rooh kapne lgti h……..jai ho bhole ki
Maithani saab dev bhumi mai adbhut shaktiya hai appada mai mare vaktiya ke atma ki shanti ke liya kedarnath dham mai alag se yagya karbana chahiye
Ya devbhoomi ch da , namumkin kuchh Ni ch yakh…
Ye wo pavitra atmayen hongi jo bhole naath ke darshan ko to ayi per darshan ho na sake.. Ya aisa bhi ho sakta hai ki ye bhole naath ke priya bhakt rahe ho aur achhe karam kiye ho … To bhole nath ne apne yahin inhe roke rakha ho… Wo devon ke dev mahadev hai.. Oum hain..