Subodh Uniyal, BJP. Raj-Rag : बहू जब नई-नई होती है तो उसे कुछ दिन घूघंट में रहना ही पड़ता है ! घोषणावीर हैं हरीश रावत …!
* दिल्ली सुनने को तैयार नहीं और रावत जी सुधरे को तैयार नहीं थे तो ऐसे में हम क्या करते ?
* हम लोग कोई संत महात्मा नहीं है, हम धर्मशाला में नहीं बैठे हैं ?
* धृतराष्ट्र की तरह पुत्र मोह में अंधी हो चुकी हैं सोनिया ?
* बहू जब नई-नई होती है तो उसे कुछ दिन घूघंट में रहना ही पड़ता है ?
* अबिंका सोनी ने मुझसे कहा था कि कांग्रेस का भगवान ही मालिक है ?
कभी गुस्से में डांटना तो कभी प्यार से गले लगा लेना, कुछ ऐसा ही अंदाज है नरेन्द्रनगर के विधायक सुबोध उनियाल का। सुबोध उनियाल की गिनती राज्य के दंबग विधायकों में से होती है। जनहित के लिए शासन-प्रशासन के अधिकारियों से कैंसे काम लेना है यह उन्हें बखूभी आता है। राज्य में सरकार भाजपा की रही हो यहा कांग्रेस की। सुबोध उनियाल विधायक रहें हो या नहीं उनके दफ्तर पर अपनी समस्याओं को लेकर आने वाली जनता की सख्या में कभी कमी नहीं देखने को मिली । यही वहज है कि कांग्रेस ने भले ही उनकी अनदेखी की हो लेकिन भाजपा ने उनकी क्षमताओं का आंकलन कर पार्टी ज्वाइन करने के कुछ महीने के अंदर ही राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बना दिया, ऐसा उनके समर्थकों का मानना है ।
कांग्रेस के पूर्व नेता सुबोध उनियाल जिनके जीवन का बड़ा हिस्सा राजनीतिक सरोकारों से सीधा जुड़ा रहा है । 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अब उनके मन की टोह लेने की मै कोशिस करूंगा, यूथ आइकॉन के विशेष सिग्मेंट ‘राज-राग’ में । लेकिन सबसे पहले एक नजर डालते हैं सुबोध उनियाल के राजनीति सफर पर –
एक नजर सुबोध उनियाल के राजनीतिक सफर पर :
56 वर्षीय सुबोध उनियाल का जन्म 26 फरवरी 1960 में टिहरी नरेंद्रनगर में हुआ था । वर्तमान में सुबोध उनियाल का निवास नरेंद्र नगर के अलावा देहारादून मे है। उनियाल ने 12वीं पास नरेंद्रनगर से करने बाद पीजी, इंजीनियरिंग ईलाहाबाद विश्वविद्यालय की । 1978 से उनियाल राजनीति में भी सक्रिय हो गए थे । 5 अप्रेल 1979 में सुबोध उनियाल ने ईलाहाबाद में पर्वतीय क्षेत्र के विकास पर मंथन के लिए एक सेमिनार आयोजित किया जिसमें तब दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी व कमला बहुगुणा सहित विभिन्न हस्तियों ने प्रतिभाग किया । इसी बीच सुबोध उनियाल हेमवती नन्दन बहुगुणा के संपर्क में आए, उनियाल की सामाजिक सक्रियता को देखते हुए तब उन्हे हेमवती नन्दन बहुगुणा ने यूथ फॉर डेमोक्रेशी में उत्तर प्रदेश यूथ विंग का सचिव बनाया । 1984 से 1989 तक युवा लोकदल उत्तर प्रदेश के महामंत्री रहे । 1989 में यूथ कांग्रेस मे उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष तो 1993 में यूपीसीसी के सयुंक्त सचिव बनाए गए । 1998 में उत्तराखंड कांग्रेस ट्रांज़िट कमेटी में जनरल सेक्रेटरी की ज़िम्मेदारी मिली । फिर उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहाँ सुबोध उनियाल को सन 2000 में प्रदेश महासचिव की ज़िम्मेदारी मिली जिसे उन्होने 2007 तक निभाया । 2012 में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश उपाध्यक्ष का पद मिला ।
सुबोध उनियाल बताते हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय में वर्ष 1996 में पहली बार देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिला था लेकिन चुनाव चिन्ह 3 बजे तक जमा करना था लेकिन तब भी उनके साथ धोखा किया गया और चुनाव चिन्ह जानबूझकर 7 बजे शाम को दिया गया जिस कारण तब वे चुनाव नहीं लड़ पाए थे । इसी तरह तीन बार पहले भी राजनीतिक षडयंत्रों के चलते उनका टिकट काटा गया । उनियाल बताते हैं कि मेरे साथ बार-बार धोखा किया गया परंतु उतनी ही बार कांग्रेस की जमानत भी चुनावों में जब्त होती गई । लेकिन 2002 में विधानसभा पहुँचने में कामयाब रहे सुबोध ने तत्कालीन तिवारी सरकार में मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर काम किया । फिर 2007 के विधानसभा चुनावों में सुबोध उनियाल को महज 4 वोटों से हार का सामना करना पड़ा । और 2012 में एक बार फिर से नरेंद्र नगर से विधायक चुन लिए गए ।
कांग्रेस में अपनी राजनीतिक जवानी गंवा आए सुबोध उनियाल अब एक नई विचारधारा के साथ जुड़ गए हैं । कांग्रेस के खाद पानी से उठे और बड़े हुए उनियाल को अब भाजपा एक ससुराल से कम नहीं है जहां उनके लिए चुनौतियाँ भी कम नहीं होंगी ! तो क्या सुबोध उनियाल को वह सब कुछ अब भाजपा में मिल जाएगा जो उन्हें वर्षों तक कांग्रेस में नहीं मिल पाया था ? क्या यहाँ उनके रास्ते के सभी कांटे हट जाएंगे ? जानेगे आगे चर्चा में सुबोध उनियाल से ।
कांग्रेस सरकार में कभी मंत्री पद और संगठन में प्रदेश अध्यक्ष पद के अहम दावेदार रहे सुबोध उनियाल ने अपनी ताजपोशी से ऐन वक्त, आखिर क्यों बगावत कर थामा भाजपा का दामन ? बहुगुणा से उनकी नजदीकी का क्या है राज ? हर वक्त गुस्से में क्यों रहते हैं सुबोध ? और अगर नरेन्द्रनगर से टिकट नहीं मिला तो क्या करेंगे सुबोध उनियाल ? सवाल कई हैं और जिनका जवाब सिर्फ सुबोध उनियाल के पास है। यूथ आइकॉन ‘राज-राग’ में आज मेरे साथ हैं नरेन्द्र नगर से कांग्रेस के विधायक सुबोध उनियाल ।
Yi शशि पारस : बीजेपी में जब विधानसभा चुनाव के टिकट बंटने का समय आयेगा, तो एक बड़ी फूट पड़ने की आंशका है वागियों को लेकर ?
सु0 उनियाल : हम लोग कोई संत महात्मा नहीं है। धर्मशाला में नहीं बैठे हैं हम लोग। हम लोग राजनीति कर रहें हैं। और राजनीति में महत्वकांक्षा का होना जरूरी होता है। लेकिन वह एक दायरे में होनी चाहिए। निश्चित तौर पर जो लोग राजनीति में है। उनकी महत्वकांक्षा होनी चाहिए। एक विधानसभा सीट से एक ही व्यक्ति को टिकट मिलेगा। एसें में कहीं न कहीं गुस्सा आना स्वभाविक है।
Yi शशि पारस : आपका कहना है कि गुस्सा आना स्वभाविक है। तो क्या आपको नहीं लगता उस गुस्से का फायदा हरीश रावत लेंगे ?
सु0 उनियाल : हरीश रावत बुरी तरह वेनकाब हो चुके हैं। खनन और शराब में फिर वही लूट शुरू हो गई है। गोला नदी में एक दिन में 10 करोड की रायल्टी आई । जबकि रावत जी के पूरे शासनकाल में एक साल में रायल्टी 10 करोड़ नहीं आ पाई। एक महीने में 100 करोड़ रूपया खनन में जुर्माने के माध्यम से प्राप्त किया। रावत जी के सत्ता में आने के बाद फिर उसे हजारों में बदल दिया गया। रावज जी का चेहरा पूरी तरह वेनकाब हो चुका है। कांग्रेस को इस राज्य की जनता पूरी तरह समझ चुकी है। आने वाला समय कांग्रेस के लिए वेहद कष्टदायक रहने वाला है।
Yi शशि पारस : बीजेपी में शामिल हुए सभी बागी विधायकों को टिकट मिलेगा या सिर्फ कुछ को मिलेगा ?
सु0 उनियाल : यह निर्णय पार्टी हाईकमान को लेना है। हमारे सभी साथी अपनी-अपनी विधानसभाओं में बेहद मजबूत है। जनता के बीच हर स्तर से हमारे सभी साथी सक्रिय और लोकप्रिय हैं। टिकट के बारे में निर्णय भाजपा हाईकमान को लेना है।
Yi शशि पारस : आप चुनाव नरेन्द्र नगर से लडेंगे या कहीं और से ?
सु0 उनियाल : मेरी जन्मभूमि नरेन्द्रनगर है और हमेशा रहेगी। इस लिए चुनाव के लिए मेरी प्राथमिकता भी नरेन्द्र नगर ही रहेगी।
Yi शशि पारस : आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं आप ?
सु0 उनियाल : हम सत्ता में चार साल रहें हैं। तो हमें उन चार सालों को लेकर भी जवाब देना है और भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों को लेकर भी जनता के बीच जाना है। चार साल में काफी काम हुए हैं। रावत जी के मुख्यमंत्री काल में सिवाय घोषणाओं के कुछ नहीं हुआ। रावत जी को में घोषणावीर कहता हूं। इतनी घोषणा कर दी घोषणावीर ने कि उनको पूरा करने के लिए पैंसा कहां से आयेगा यह समझ से परे है। और एक भी घोषणा पूरी नहीं हो रही है। में अपने क्षेत्र के बारे में बता दूं कि एक तारीख को रावत जी मुख्यमंत्री बने और तीन तारीख को मेरे क्षेत्र में आये। उन घोषणाओं में से भी एक घोषणा पूरी नहीं हुई। जनता को घोषणावीर नहीं विकास करने वाला व्यक्ति चाहिए।
Yi शशि पारस : भाजपा में सीएम का चेहरा कौन होगा ?
सु0 उनियाल : सीएम का चेहरा कौन होगा यह पार्टी हाईकमान को तय करना है।
Yi शशि पारस : बिना चेहरे के जीत के आ पायेगी भाजपा ?
सु0 उनियाल : उत्तराखंड के अंदर विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ कैसी है चुनाव के परिणाम इस पर डिपेंड करते हैं। विजय बहुगुणा जी, भुवन चन्द्र खंडूडी जी, भगत सिंह कोश्यारी जी, रमेश पोखरियाल निशंक जी चार-चार पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के पास है। कांग्रेस के पास केवल हरीश रावत को एक्सपोज चेहरा है। किशोर उपाध्याय जी जैसे लोग प्रदेश अध्यक्ष बन जाते हैं। इंदिरा जी रिटायरमेंट के करीब पहुंची हुई हैं। संगठन सरकार पर आरोप लगा रहा है। सभी राजनेताओं को ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो गया है। पर्दाफाश रैली में उमड़ी भीड़ ने यह बता दिया है कि जनता कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले चुकी है। भारत सरकार जो मोदी जी के नेतृत्व में बेहत्तर काम कर ही है उकसी मद्द लेकर हम सपनों का उत्तराखंड बनाएंगे हम।
Yi शशि पारस : कोश्यारी जी और खंडूडी जी की नाराजगी की बात सामने आ रही है। दोनों नेताओं को दिल्ली तलब किया गया है। इस तरह की खबरें मीडिया के माध्यम से सामने आ रही हैं । कितनी सच्चाई है इसमें ?
सु0 उनियाल : कभी-कभी हमको भी शख होता है कि आज हमने खाया क्या है। हमने क्या खाया आज यह अखबार तय करने लगे हैं। हमें भी सोचना पड जाता है कि वास्तव में हमने यही खाया जो अखबार कह रहें हैं यह फिर कुछ और खाया। आज में यह समझता हूं कि मीडिया अपनी भूमिका को ईमानदारी, दायित्व और जिम्मेदारी से निभाने के बजाय सिर्फ चटपटी खबरों तक सिमट कर रह गया है।
Yi शशि पारस : डिजिटल मीडिया आज आपके सामने एक नए अवतार में है। मोबाइल पर आप इंटरब्यूह दे रहें हैं। सारे समाचार आपको एक किल्क में आपके मोबाइल पर मिल जा रहें हैं। धीरे-धीरे सारे तामझाम खत्म हो रहे हैं। तो क्या लगता है आपको किस तरह का फायदा आपको इससे चुनाव में मिलने वाला है और क्या क्रांति इससे आने वाली है ?
सु0 उनियाल : निश्चित तौर से डिजीटल मीडिया, सोशल मीडिया के आने के बाद राजनीति में कुछ अच्छी बातें हुई हैं और कुछ बुरी बाते भी हुई हैं। अफवाह फैलाने में पहले समय लगता था अब आप मिनटों में पूरे देश के अंदर अफवाह फैला सकते हो। कभी-कभी टेलीग्राम आने में दस-दस दिन लगते थे आज अच्छी बातें तत्काल प्राप्त हो जाती हैं। इसका लाभ सभी को मिलेगा। अच्छी-बुरी चीजें सभी के साथ होती हैं। हां इतना जरूर है कि सोशल मीडिया के मुकाबले डिजीटल मीडिया ज्यादा बेहत्तर है।
Yi शशि पारस : पलायन को लेकर आजकल हर कोई चिंता जाहिर कर रहा है, उस पर आप क्या कहना चाहेंगे ?
सु0 उनियाल : यह एक गंभीर प्रशन है। गंभीर प्रशन इस लिए है कि आज पलायन के कारण पहाड़ों में 6 सीटें कम हुई है। दुर्भाग्य से जो लोग पूरा जीवन पहाड़ो में नौकरी करने के बाद देहरादून और हल्द्वानी में बस गए हैं। वो लोग पलायन की बातें कर रहें हैं। आज पहाड़ के आदमी को पहाड़ में कैसे रोका जाये इसके बारे में सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। राजनीतिक लोगों की ज्यादा जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी नीतियां बनाई जाय कि पलायन रूके। आज हमें पहाड़ों में एक वुनियादा ढांचे की रूपरेखा तय करने की जरूरत है। पहाड़ो में छोटे-छोट बजारों का नगरीकरण हो रहा है। हमें पहाड़ के लोगों की जरूरत को पहाड़ में ही पूरा करना होगा। अगर आज आप देखेंगे तो गढवाल में देहरादून और कुमांउ में हल्द्वानी रहने के लिए लोगों की पहली पंसद बना हुआ है। आज इन दोनों शहरों में कंकरीट के जंगल खड़े हो गए हैं। इन शहरों का क्लाइमेट बदल गया है। देहरादून को रिटायर लोगों का शहर कहा जाता था आज वो चीजें नहीं है। ट्रैफिक की समस्या आम हो गई है। स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनाओं के लिए काम करना होगा। वहां हर्वल, हार्टीकल्चर, फार्टीकल्चर के क्षेत्र में काम हो सकता है, स्कूललिंग में सुधार की जरूरत है। मैं सोशल मीडिया पर पड़ रहा था कि देश की रक्षा कौन करेगा तो नेपाली बच्चे कह रहे थे हम करेंगे हम करेंगे। आज पहाड़ी स्कूलों में केवल नेपाल के बच्चे रह गए हैं। हम इन सब विषयों को लेकर गंभीरता से सोचना होगा।
Yi शशि पारस : कांग्रेस को लेकर अंबिका सोनी का बयान भी चर्चाओं में रहा ?
सु0 उनियाल : अंबिका सोनी जी ने एक दिन मुझसे कहा सुबोध जी इस पार्टी का भगवान मालिक है। अगर किसी पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव इस तरह की बात कहें तो आप खुद ही समझ सकते हैं। सोनिया जी से मिले तो उन्होंने हमारी बात सुनी। और कहा आईबिल टाक टू राहुल गांधी। राहुल गांधी से बीसों बार मिलने के बाद हमें समय नहीं मिला।
Yi शशि पारस : रावत की ज्यादा सुनते हैं राहुल गांधी ?
सु0 उनियाल : मुझे तो लगता है कि राहुल गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं है। हमें लगा जब दिल्ली सुनने को तैयार नहीं और रावत जी सुधरे को तैयार नहीं हैं तो एसे में हम क्या करते ?
Yi शशि पारस : सवाल खड़े हो रहें हैं कि जब आप 9 लोगों को अपनी मनमानी करने को नहीं मिली तो आप ने कांग्रेस छोड दी ?
सु0 उनियाल : जब 2014 में विजय बहुगुणा जी हटाकर हरीश रावत जी को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय पार्टी हाईकमान ने लिया और दिल्ली से तीन आगजर्बर अंबिका सोनी जी, गुलाम नबी आजाद जी, और जर्नादन दिवेद्वी जी को यहां भेजा। उस दिन 11 बजे से लेकर 2.30 बजे तक 22 एमएलए मेरे घर पर बैठे रहें। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। वहीं पहली बार यह लगा कि रावत इसे गढवाल और कुमांउ में बांटने में लगे हैं। वह क्षेत्रीय अंसतुलन पैदा करने की कोशिश कर रहें हैं।
Yi शशि पारस : रावत जी कहते हैं कि उन्होंने केदारनाथ में बहुत काम किया है ?
सु0 उनियाल : गढवाल में विजय बहुगुणा ने केन्द्र से बजट स्वीकृत कराया। सरकार उस पैंसे को ही खर्च नहीं कर पाये। आज जाकर मालूम करिए क्या हाल हैं केदारघाटी के। केदारनाथ मंदिर से लेकर केदाघाटी तक काम होना था। लेकिन कुछ काम नहीं हुुआ। आप 600 करोड़ खर्च नहीं कर पाये तो क्या काम किया आपने। कुछ नहीं किया सिवाय बातें हुई।
Yi शशि पारस : अगर हरीश रावत हट जाते हैं तो क्या कांग्रेस में वापसी की संभावनाएं हैं अभी ?
सु0 उनियाल : बिल्कुल नहीं साहब सवाल ही पैदा नहीं होता साहब कांग्रेस में वापसी। जो जहाज डूब रहा हो जिस पार्टी के नेतृत्व की राजनैतिक समझ न हो। पार्टी को 44 तक ले आया हो। सोनिया जी धृतराष्ट्र की तरह पुत्र मोह में अंधी हो रखी हों। हां एक समय जब कांग्रेस डूब रही थी। सोनिया ने कांग्रेस को बचाया है।
Yi शशि पारस : भाजपा में आप अपने को किस स्थिती में पाते हैं ?
सु0 उनियाल : देखिए हमारी स्थिती उस नई बहू की तरह है जो पहली-पहली बार ससुराल में आई है। बहु को तो कुछ दिन घूंघट में रहना पड़ता है। कुछ दिन काम करने के तरीकों को समझ रहें है।
Yi शशि पारस : आपको नहीं लगता कि यदि आप 9 लोग तीसरे मोर्चे का गठन करते तो ज्यादा कारगर साबित होगा ?
सु0 उनियाल : देखिए हमने इस पर बहुत मंथन किया। कांग्रेस से हटने के 2 महीने बाद हमने भाजपा ज्वाइन की। आज के इस दौर में चुनाव इतना मंहगा हो गया है। पार्टी चलाना इतना आसान नहीं है। फडिंग कहां से आयेगा। रावत जी को सत्ता से हटाना हमारी प्राथमिता थी। काफी सोच विचाकर हमने निर्णय लिया। देश मोदी जी के मजबूत नेतृत्व में आगे बढ रहा है। नौजवानों, किसानों के प्रेरणासोत्र बने हुए है। हमें लगा कि यह तभी उनके साथ के बिना संभव नहीं है।
Yi शशि पारस : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में आप सबसे आगे थे, फिर ऐसा क्या हुआ जो किशोर बाजी मार ले गए ?
सु0 उनियाल : जब बहुगुणा जी मुख्यमंत्री बने तो रावत जी ने दवाब की राजनीति करते हुए अपने आदमियों को एडजस्ट करवाया। रावत जी के मुख्यमंत्री बनते ही हमारे गुट के लोगों को भी ऐडजस्ट करने की बात हुई। तय यह हुआ कि मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाऐंगे। बाकी लोगों को एडजस्ट करेंगे। हरीश रावत जी ने अपना प्रभाव करते हुए इसे डिले करते रहे। अचानक इन्होंने किशोर उपाध्याय जी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। मेरी नाराजगी थी तब भी हमने पार्टी नहीं छोडी।
Yi शशि पारस : आप को गुस्सा क्यों आता है ?
सु0 उनियाल : में अपने गुस्से पर कट्रोंल नहीं कर पाता यह मेरी कमजोरी है। मेरा गुस्सा कभी सही बात पर नहीं आता। लोगों ने कई बार इस वाबत मुझसे कहा कि आप गाली बहुत देते हो। मैनें कहा अगर कुत्ते को कुत्ता कहना और गाय को गाय कहना गलत है तो में दोषी हूं।
सुबोध उनियाल ने हर सवाल का बड़ी बेवाकी से जवाब दिया । कबूल किया कि गुस्सा उनकी कमजोरी है। और कांग्रेस में वापसी का सवाल ही नहीं होता। अगले हफते राज-राग में फिर किसी नई हस्ती के साथ मिलेंगे आप से। तब तक के लिए दीजिए इजाजत नमस्कार ।
*प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ , एडिटर Yi मीडिया । संपर्क – 9756838527, 7060214681
Copyright: Youth icon Yi National Media, 27.09.2016
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यूथ आइकॉन : हम न किसी से आगे हैं, और न ही किसी से पीछे ।
शशि भूषण मैठाणी’पारस’ भाई साहब जी हिन्दुस्तान मे राजनीति इतनी गंदी हो चुकी है कि यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो गया है कि किस पार्टी का कोनसा नेता या मंत्नि कितना सच बोल रहा है या कितना झूठ।