Sumadi Dhwaj sthapna Diwas : अनूठी परंपरा सुमाड़ी का ध्वज स्थापना पर्व…!
संस्कृति किसी भी क्षेत्र की पूंजी होती है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलती है| उत्तराखंड के पहाड़ों मे बसे गांवो की व्रिरासत और परम्पराएं भी उतनी ही अनूठी हैं| जितने गांव उतनी ही अनोखी परम्पराएं,चाहे गढ़वाल-कुमांऊ की सम्मिलित नंदा देवी राजजात हो,
जौनसार की ‘मौण’ हो या चमोली जिले की विश्व धरोहर ‘रम्माण’ हो , सभी में स्थानीय संस्कृति के रंग घुले होते हैं| ऐसी ही एक परम्परा है पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध सुमाड़ी गांव की ‘झंडा घैंटण’ या ध्वज स्थापना, जो राम व कृष्ण को समर्पित है व हनुमान द्वारा एक सेतु के रूप में दोनों को जोड़ती है|
भाद्रपद महीने मे, कृष्ण जन्माष्टमी के पहले दिन उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में यह पर्व मनाया जाता है जिसे स्थानीय लोग’गृहस्थों’ की जन्माष्टमी कहते हैं| सुमाड़ी में इस दिन की शुरुआत कन्हैय्या की पूजा व उपवास से होती है| गांव में गौरा देवी के मंदिर ‘पटगाण’ व शिव मंदिर ‘मांडा’ में विशेष
पूजा अर्चना की जाती है | पूरे गांव से आटा,गुड़, तेल आदि सामग्री एकत्र की जाती है, जिससे हनुमान जी के नाम का ‘रोट’ बनाया जाता है| इसके बाद लगभग ३५ फीट लम्बे स्तंभ पर हनुमान जी की प्रतीक लाल रंग की धर्म ध्वज को लगाया जाता है| नवयुवक इस भारी भरकम ध्वजा को कंधे पर उठा कर गांव के बीच में स्थित
मैदान ‘नौखंड’ में हनुमान,शिव व माता के नाम के भजन गाते हुए लेकर आते हैं| ‘हनुमंत राम रसिया, रक्षा करो हमारी’ की स्वरलहरियों के बीच हनुमान अपने ‘पश्वा’ पर अवतरित होते हैं व भक्तों को आशीर्वाद देते हैं| भजन कीर्तन के बीच ‘रोट’ काटा जाता है, झंडा घैंटा (स्थापित किया) जाता है और प्रसाद बांटा जाता है| इस
दिन के बाद से रामलीला की तालीम और तैयारियां शुरू हो जाती हैं| एक महीने तक वह पताका स्थापित रहती है और रामलीला के अंतिम दिन हनुमान के पात्र और भक्तों के पूजा अर्चन के साथ ध्वज को उतारा जाता है| इस तरह कृष्ण जन्म से शुरू यह उत्सव राम पर जाकर सम्पूर्ण होता है| इस वर्ष भी ‘झंडा घैंटण’ का पर्व आज २४ अगस्त को मनाया गया| इसी साल सुमाड़ी की रामलीला के १०० वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो यह पर्व न सिर्फ गांव बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए और भी खास हो गया है| इस परंपरा व रामलीला के सफल १०० वर्षों के लिए समस्त सुमाड़ी ग्रामवासियों को ‘यूथ आइकन’ की पूरी टीम की तरफ से हार्दिक शुभकामना और बधाई|
*जय काला ,
Copyright: Youth icon Yi National Media, 26.08.2016
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जय प्रकाश काला जी आपके इस प्रयास से हमें भी इस परम्परा का ज्ञान प्राप्त हुआ जिसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई ,साथ ही इस परम्परा व रामलीला के सफल 100 वर्षों के लिए सम्पूर्ण सुमाणीं ग्रामवासियों को बहुत बहुत शुभकामनायें ।