Teacher and student leader can go to jail : जेल जा सकते हैं शिक्षक व छात्र नेता…!
Youth icon Yi Media Report, 22 Aug 2016,
Srinagar, लिंगदोह की सिफारिशों के उल्लंघन करने वाले छात्र नेताओं को बचाने मे लगे शिक्षकों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। ऐसा हम नहीं बल्कि भारतीय दंड सहिंता (आईपीसी) की धारायें कहती हैं। देश के विश्वविद्यालयों में शांति पूर्ण एवं स्वच्छ तरीके से छात्र संघ चुनाव संपन्न करवाने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव अयुक्त जेम्स माईकल लिंगदोह ने जो बाते सुझाई थी उसे सुप्रीम कोर्ट ने जैसे के तैसे लागू कर दिया था व विश्वविद्यालयों को इनका कडाई से पालन करने के निर्देश दिये थे लेकिन लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना विश्वविद्यालयों
में हो रही है। इस पर कार्यवाही इस लिए भी नहीं हो पाती क्योंकि कोई पक्ष इसके खिलाफ गंभीरता से अपील नहीं करता है। अगर किसी भी पक्ष ने गंभीरता से अपील की तो लिंगदोह के नियमों को ताक पर कार्य करने वाले चुनाव अधिकारियों के साथ लिंगदोह के नियमों को तोडने वाले छात्र नेताओं को भी कोर्ट की अवमानना एवं कानून के उल्लंघन करने के मामले में जेल की हवा खानी पड़ सकती है। यहां यह बात इस लिए भी की जा रही है कि इन दिनों देश व प्रदेश में छात्र संघ के चुनाव चल रहे है। यहां उत्तराखंड के एक मात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर बिडला परिसर के छात्र संघ चुनाव में एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों पर लिंगदोह के नियमों की धज्जियां उडाने के आरोप लगे हंै। जिसका मामला बिडला परिसर के चुनाव अधिकारी ने ग्रेवांस कमेटी को भेज दिया है अब नियमों के तहत ग्रेंवांस कमेटी को 24 घंटे के अंदर दोनों पक्षों को बुला कर अपना निर्णय देना है। ग्रेवांस कमेटी के निर्णय के बाद इस पर संस्था के मुखिया (कुलपति) को निर्णय लेना है। संस्था के मुखिया (कुलपति) समस्त साक्ष्यों को देखकर ग्रेवांस कमेटी के निर्णय को ज्यों का त्यों अथवा सुधार कर लागू करवा सकते हैं। यदि साक्ष्यों की अनदेखी हुई तो हाईकोर्ट जाने का रास्ता खुला है। यहां पूर्व में ऐसा एक वाक्य भी हो चुका है जहां गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध पीजी काॅलेज के एक प्रोफेसर को लिंगदोह की अनदेखी के आरोप मे अपनी नौकरी गवानी पडी।
तो क्या तीन वर्षों की होंगी जेल !
*प्रस्तुति : पंकज मैंदोली, श्रीनगर
Copyright: Youth icon Yi National Media, 22.08.2016
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