Youth icon yi Media logoTension Yoga Kendra  :  बाबा रामदेव का तनाव योग  ?

*योग सन्यासी के लोभ की पराकाष्ठा ।

Raj Rag Youth icon Special . By : Shashi Bhushan Maithani 'Paras'
By : Shashi Bhushan Maithani ‘Paras’ Editor Yi

Youth Icon Yi National media Report : 22 Aug 2016 ,

tension Kendra पूरी दुनिया को शांति देने वाले योग की मातृभूमि भारत और भारत में भी योग के पुनरुत्थान पुरुष बाबा राम देव के द्वारा 21 बेटियों सहित 25 छात्रों व , अभिभावकों को जो तनाव दिया जा रहा है वह बाबा के चेहरे व चिंतन और चरित्र से न्याय नहीं कर रहा है । बाबा के आश्रय में अपने सुनहरे भविष्य के सपने संजो रहे विद्यार्थी अब बाबा के उलट योग से पीड़ित हैं । जो विद्यार्थी खुद को दुनियां के दुःख को हरने के लिए तैयार हो रहे थे आज वे अपने अभिभावकों के साथ आँखों में आंसू और हाथ में न्याय का प्रार्थना पत्र लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश हैं । 25  विद्यार्थियों में 21 होनहार बेटियां शामिल हैं । बेटी बचाओ के सबसे बड़े पैरोकार बनने वाले रामदेव के द्वारा ही प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर ऐसा अन्याय हो रहा है तो दोषी किसे माना जाय ।

दरअसल वाकिया पतंजली संस्थान परिसर में संचालित होने वाले BAMS के विद्यार्थियों से जुड़ा है जहां कुल 25 विद्यर्थियों में 21 बालिकाएं हैं । बताया गया कि सभी विद्यार्थी सरकारी सीट पर 2014 में चयनित हुए हैं । जिन्हे पतंजलि संस्थान में दो वर्ष पूरे भी हो चुके हैं । और अब उत्तराखंड सरकार के फीस बढ़ौत्तरी से संबन्धित एक शासनादेश की आड़ में संस्थान द्वारा इन विद्यार्थियों का उत्पीड़न किया जा रहा है ।

लाचार अभिभावकों का साथ देने अनेक समाज सेवी व जागरूक नागरिक लामबंद हो रहे हैं इसी क्रम में विख्यात आंदोलनकारी सुशीला बलूनी ने बाबा के संस्थान के रवैये पर आश्चर्य जताया और कहा कि बाबा की कथनी और करनी में अंतर होना दुर्भाग्यपूर्ण है । मेडिकल जैसी शिक्षा को वाधित करना संस्थान व सरकार के लिए शर्म का विषय है । दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के नौनिहाल शिक्षण के बजाय सड़कों पर भटकें यह राज्य निर्माण की अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है ।
लाचार अभिभावकों का साथ देने अनेक समाज सेवी व जागरूक नागरिक लामबंद हो रहे हैं ,  बाबा के संस्थान के रवैया  आश्चर्य चकित करने वाला है ।  रामदेव एक तरफ खुद को समाजसेवी कहते हैं लेकिन उनकी कथनी और करनी में  बहुत बड़ा अंतर है । मै रामदेव से पूछना चाहती हूँ कि आप किस समाज के पैरोकार हैं कौन से समाज को उठाने व उसके उत्थान की आप रोज बात करते हो ? रामदेव बताएं कि उनके संस्थान में यह दादागिरी क्यों और किस लिए ? बेटियों के उत्थान की बात हर मंच से रामदेव करते हैं लेकिन अफशोस उन्ही रामदेव के पतंजलि में पहाड़ की बेहद गरीब बेटियों से शिक्षा छीनी जा रही है उन्हें जुलाई में आयोजित परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया । बाबा बताएं कि शासनादेश में कहाँ पर लिखा है कि आप गरीब बच्चो से पिछले दो वर्षों का पैसा वसूल करें । 25 छात्रों के साथ  ऐसा व्यवहार बेहद ही शर्मनाक व  दुर्भाग्यपूर्ण है । मेडिकल जैसी शिक्षा को वाधित करना संस्थान व सरकार के लिए भी शर्म का विषय है । दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के नौनिहाल शिक्षण के बजाय सड़कों पर भटकें यह राज्य निर्माण की अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है । *सुशीला बालूनी, प्रमुख राज्य आंदोलनकारी , वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व राज्य महिला आयोग अध्यक्ष उत्तराखंड । 

बताते चलें कि  14 अक्टूबर 2015 में शासनादेश संख्या 2287/ XXXX/2015-88/2006 प्रमुख सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग से जारी हुआ था । जिसमे लिखा गया था कि BAMS की फ़ीस में वृद्धि करके उसे 2 लाख 15 हजार प्रतिवर्ष कर दिया गया है । इसमें शासन ने कहीं भी यह नहीं लिखा है कि वृद्धि पूर्व में प्रवेश लेने वाले छात्रों पर भी लागू होगी । आरोप है कि इसी शासनादेश की आड़ में पतंजलि संस्थान द्वारा अब दो वर्ष पूर्व में ही प्रवेश ले चुके छात्र-छात्राओं से जबरन बढ़ी हुई फीस वसूलने का दबाव डाला जा रहा है । जिससे अभिभावकों के अलावा पतंजलि में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं हैरान परेशान हैं । अभिभावक इस बात को लेकर भी बेहद परेशान हैं कि बाबा रामदेव का पतंजलि संस्थान लिखित के बजाय मौखिक में उन पर दबाव डाल रहा है । पतंजलि संस्थान में तानाशाही का आलम यह है कि बढ़ी हुई फीस जब बच्चों ने अनैतिक मानकर जमा नहीं की तो उन्हें  संस्थान ने 25 जुलाई से आयोजित आतंरिक परीक्षा में शामिल ही नहीं होने दिया । इतना ही नहीं तभी से सभी 25 छात्र-छात्राओं के कक्षा में आने पर रोक भी लगा दी व कक्षाओं में ताला जड़ दिया है ।

खून पसीने की मेहनत से बच्चों का भविष्य सँवारने वाले अभिभावकों को अब जब  बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता नजर आया तो उन्होने उक्त मामला  सुप्रसिद्ध समाजसेवी, प्रमुख राज्य आंदोलनकारी व पूर्व महिला आयोग की अध्यक्षा सुशीला बलूनी के स्ंग्यान दिया । जिसके बाद छात्र अभिभावक श्रीमती बलूनी के नेतृत्व में महामहीम राज्यपाल की चौखट पर अपनी पीड़ा व शिकायत दर्ज करने पहुँचे ।

जहां उन्होने बताया कि उनके बच्चों ने सरकारी सीट के मार्फत वर्ष 2014 में पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसन्धान संस्थान हरिद्वार  में BAMS में एडमिशन लिया था । तब प्रॉस्पेक्ट्स में स्पष्ट लिखा गया था कि काउंसलिंग के दरमियान ही छात्र अभिभावकों को फ़ीस बताई जायेगी । तब 2014 में हुई काउंसलिंग में उन्हें प्रत्येक वर्ष के लिए 80 हजार 500 रुपया फीस बताई गई थी, जिसे छात्र अभिभावकों ने 2014 व 2015 के दो वर्षों अलग-अलग जमा भी किया व उसकी रसीद भी उनके पास मौजूद है । जिसके बाद परीक्षा हुई और उनके बच्चे द्वितीय वर्ष में प्रवेश भी पा गए । अभिभावको का साफ कहना है कि हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है रामदेव के पतंजलि संस्थान ने दो साल पहले जो कहा हमने वह फ़ीस जमा की अब अचानक से उत्तराखंड सरकार के उस शासनादेश की आड़ में अभिभावको पर अनैतिक रूप से फीस वसूली का दबाव बनाया जा रहा है । छात्र अभिभावकों का कहना है कि अब, जब बच्चे परीक्षा फार्म  जमा करने गए तो पतंजलि संस्थान ने उत्तराखंड सरकार के शासनादेश का हवाला देकर उनसे  2014 और 15 का भी अतरिक्त एरियर मांगा है व वर्तमान में वृद्धि की गई फ़ीस सहित कुल 4 लाख 84 रूपये की डिमांड बच्चों के मार्फत अभिभावकों के सामने रख दी है  ।

 मुख्यमंत्री जी ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि तत्काल बाधित कक्षाएं सुचारू की जाय और शासनादेश की भाषा स्पष्ट कर सभी संस्थानो को प्रेषित किया जाएगा । छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है । * सुरेन्द्र अग्रवाल मीडिया सलाहाकार, उत्तराखंड मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री जी ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि तत्काल बाधित कक्षाएं सुचारू की जाय और शासनादेश की भाषा स्पष्ट कर सभी संस्थानो को प्रेषित किया जाएगा । छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है । बाकी पूरे प्रकरण की जानकारी जुटाई जा रही है ।  
* सुरेन्द्र अग्रवाल
मीडिया सलाहाकार, उत्तराखंड मुख्यमंत्री

अभिभावकों ने अपनी शिकायत में बताया कि एक महीने से उनके बच्चों को  पढ़ाई से वंचित किया गया हैं, उन्हें आंतरिक परीक्षा से भी बेदखल कर दिया जबकि अब अक्टूबर में फाईनल परीक्षा होनी है लेकिन पतंजलि संस्थान की जिद्द व कठोर रवैये से उनके बच्चों का भविष्य बर्बादी के कगार पर है, जिसकी चिंता अभिभावकों सहित बच्चों को सताए जा रही है । फिलहाल सभी 25 छात्र-छात्राएं पतंजलि के छात्रावास में ही रह रहे हैं ।

सरकार के एक शासनादेश की आड़ में इन विद्यार्थियों का उत्पीड़न किया जाना  बेहद दुभाग्यपूर्ण है । दरअसल इस वर्ष सरकार ने BAMS पाठ्यक्रम की वार्षिक फ़ीस 80 हजार 500 रुपया से बढ़ाकर 2 लाख 15 हजार प्रतिवर्ष कर दी है । स्वाभाविक सा सामान्यज्ञान है कोई भी फ़ीस की बढ़ोत्तरी आगामी नए सत्र पर ही लागू होती है । समाज के हर वर्ग के उत्थान का डंका पीटने वाला पतंजलि संस्थान दो वर्ष पुराने छात्रों से भी बढ़ी हुई फ़ीस की मौखिक रूप से अनैतिक मांग कर रहा है । बताया गया कि अभिभावकों और छात्रों के अनुनय विनय को क्रूरता से ठुकराकर रामदेव के प्रमुख सहयोगी बालकृष्ण ने बढ़ी हुई फ़ीस पर राहत तो नहीं दी बल्कि पतंजलि परिसर स्थित बैंक से उन्हें जल्दी ऋण दिलाने का बेतुका वायदा जरूर किया ।

उत्तराखंड के सुदूर दुर्गम क्षेत्रों के नौनिहाल और उनके निर्धन माता पिता महामहिम राज्यपाल मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से लेकर हर ख़ास और जिम्मेदार चौखट पर अपनी फ़रियाद कर चुके हैं । किन्तु उन्हें कहीं से भी व्यव्व्हारिक समाधान नहीं मिला । पतंजलि संस्थान की हठधर्मिता यह है कि उसने इस अवैध वसूली के लिए पिछले एक माह से छात्रों को कक्षाओं से बाहर कर ताला दाल दिया संस्थान में शिक्षण कार्य पूरी तरह ठप है यही नहीं छात्रों को आतंरिक परीक्षा से भी रोककर शासन प्रशासन को खुली चुनौती दी है कि रामदेव के संस्थान का आदेश ही सर्वोपरि है । लाचार अभिभावकों का साथ देने अनेक समाज सेवी व जागरूक नागरिक लामबंद हो रहे हैं इसी क्रम में विख्यात आंदोलनकारी सुशीला बलूनी ने बाबा के संस्थान के रवैये पर आश्चर्य जताया और कहा कि बाबा की कथनी और करनी में अंतर होना दुर्भाग्यपूर्ण है । मेडिकल जैसी शिक्षा को वाधित करना संस्थान व सरकार के लिए शर्म का विषय है । दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के नौनिहाल शिक्षण के बजाय सड़कों पर भटकें यह राज्य निर्माण की अवधारणा के बिल्कुल विपरीत है । श्रीमती बलूनी ने राजभवन के रवैये पर क्षोभ जताते हुए कहा कि उन्होंने छात्रों और अभिभावकों के दल का नेतृत्व कर महामहिम को विस्तार से विषय वस्तु समझाई थी ऐसे राजभवन की उदासीनता हमें सड़क के संघर्ष की ओर बाध्य करती है ।

अभिभावकों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी मुलाक़ात कर  मांग की है  कि अगर शासनादेश में कुछ बातें स्पष्ट नहीं हो रही हैं तो उसे संसोधित किया जाय और उसमें 2014 के पश्चात प्रवेश पाने वाले छात्रों के बैच पर ही यह नियम लागू माना जाय  व उसके पूर्व के जो बैच चल रहे हैं उनसे पूर्ववत ही काउंसलिंग के समय तय की गई फ़ीस ली जाए । मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तुरंत मामले को स्ंग्यान में लेते हुए सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा अनुभाग डॉ0 भूपेंद्र कौर औलख को उक्त मामले को स्ंग्यान में लेकर कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है  । मुख्यमंत्री ने भी माना है कि अध्यनरत छात्रों के साथ सदभाव रहना चाहिए और संस्थान में कक्षाएं तत्काल सुचारू की जाए ।

जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री के मिडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार बताते हैं कि मुख्यमंत्री जी ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि तत्काल बाधित कक्षाएं सुचारू की जाय और शासनादेश की भाषा स्पष्ट कर  सभी संस्थानो को प्रेषित किया जाएगा । छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है ।

प्रमुख सचिव ओमप्रकाश और कुल सचिव मृत्युंजय मिश्रा तक भी लिखित रूप में शिकायत की गई है । जिसके बाद कुल सचिव ने सभी शिक्षण संस्थाओं को आदेश जारी कर कहा कि यह बढ़ी हुई फीस 14 अक्टूबर 2015 के बाद के सत्रों में प्रवेश पाने वाले छात्रों पर ही लागू होगी  । सभी आयुर्वेद शिक्षा के पाठ्यक्रम को संबंधता देने वाला उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के इस पक्ष से स्पष्ट हो गया है कि यह शासनादेश स्वाभाविक रूप से आगामी सत्रों पर ही लागू होगा । फिर ऐसे में सवाल मुंहबाए खड़ा है कि आखिर पतंजलि संस्थान द्वारा उत्तराखंड सरकार के स्पष्ट शासनादेश की व्याख्या अपने हिसाब से क्यों की जा रही है ।

BAMS के अन्य संस्थान भी राज्य में हैं जो सरकार के उन्ही नियमो के अंतर्गत संचालित होते हैं जिनके तहत पतंजलि का आयुर्वेदिक संस्थान संचालित होता है । किन्तु रामदेव के विराट साम्राज्य के सामने इन छोटे छोटे संस्थानों ने शिक्षा की अविरलता नैतिकता और गंभीरता को प्रभावित नहीं होने दिया और सरकार द्वारा निर्धारित फ़ीस पर ही छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं किन्तु रामदेव के संस्थान की अव्यवहारिकता अवैध वसूली के लिए उत्पीड़न और कक्षाओं में ताले डालकर पढाई रोकना साबित करता है कि रामदेव इन नौनिहालों को देश के भविष्य के बजाय उन्हें एक उत्पाद  के रूप में ही देखते हैं । और उसपर निर्माण लागत लाभ हानि के मानकों पर परखते हैं जो रामदेव राष्ट्रीयता भारतीयता और समाजसेवा की बड़ी बड़ी बातों का बखान टीवी पर करते हैं उसकी सच्चाई इन विद्यार्थियों व अभिभावकों से बेहत्तर कौन जान सकता है ।

*प्रस्तुति : शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’ ,  एडिटर Yi मीडिया ।   

Copyright: Youth icon Yi National Media, 22.08.2016

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By Editor

8 thoughts on “Tension Yoga Kendra : बाबा रामदेव का तनाव योग ?”
  1. Yoga and religion should not be mixed with education. Education system is already in shambles in India

  2. सही कहा श्री शशि भूषण मैंठाणी ‘पारस’ साहब आपने आज के समय मे हर शिक्षण संस्थानो में अभिभावकों का शोषण हो रहा है,शिक्षा मंत्नि इस संबंध मे कोई भी कदम नहीं उठाते, सब मिली भगत है अन्यथा ऐसी संस्थाओ को हमेंशा के लिए यदि बन्द कर दिया जाए तो भविष्य मे कोई भी शिक्षण संस्था अभिभावकों के साथ ऐसा छल -कपट नहीं कर पाऐंगी।

  3. ये कैसा स्वदेशी अभियान है बाबा का पैसों के लिए विधर्तियो के भविष्य से खिलवाड़

  4. आपने बहुत संवेदनशील विषय को उठाया है। जब समाज सेवा का दावा करने वाले संस्थान ही ऐसा करने लगेंगे तो ? उम्मीद करता हूं कि आपके प्रयास से सरकार हस्तक्षेप करेगी और छात्रों को राहत मिलेगी

  5. सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे है
    हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और सच में चरितार्थ करदिया वाह रे सन्यासी जिसका कोई नहीं क्या करोगे इतने धन का शायद साथ लेजाने की पर्मिशन ऊपर वाले ने आपको ही दी है

  6. रामदेव भारत के लिए नेहरू से भी ज्यादा गद्दार साबित हो रहे हैं।

    1. मेरा अनुरोध है कि कृपया अपशब्दों का प्रयोग न करें अपनी बात या विरोध को शालीन शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है ।

  7. बाबा जी की महिमा अपरम्पार है”, बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़….. सचमुच माया की चमक किसी को भी अँधा कर देती है ,,पर ज्यादा अफ़सोस सरकार के मोन रहने पर हो रहा है ,

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