Udta Uttrakhand : निशानें पर स्कूल, कालेज, हास्टल । उड़ता उत्तराखंड ….!
*एक पूरी पीढी खड़ी है बराबादी की कगार पर ।
*हर साल बढ़ता जा रहा है ड्रग्स का काला करोबार ।
*तस्तरों के निशानें पर हैं स्कूल-कालेज से लेकर हास्टल ।
*अभिभावकों को सावधान रहने की है जरूरत, पढ़ाई के बहाने घर से दूर रहने वाले बच्चों की निगरानी बराबर होनी चाहिए ।
बीते कई समय से जिसका ड़र सता रहा था आखिर वही हो रहा है। हमारे समाज की एक पूरी पीढी बरबादी के मुहानें पर खड़ी खुद को बचानें की गुहार लगा रही है। प्रदेश के कोने-कोने से सैकड़ो नही अब हजारों मामले स्मैक या ड्रग्स के सामनें आ रहे है। यही नही बीते 1-2 वर्षों में किशोरियों और लड़कियों में इसका प्रभाव में बेतहाशा वृद्धि नें विषय को और चिन्ताजनक वना दिया है।
देहरादून, श्रीनगर(गढ़वाल), कोटद्वार और कर्णप्रयाग समेत अब ड्रग्स से संबन्धित मामले पहाडो की वादियों में भी सुनने को मिल रहे है। जिसमें सबसे ताजा मामसा देहरादून का है।
देहरादून में मादक पदार्थों का कारोबार सबसे अधिक तेजी से फल फूल रहा है। कई शिक्षण संस्थानों के चलते तस्करों के लिए देहरादून एक बड़ा बाजार बनता जा रहा है।
यहा इस काले कारोबार में लगे तस्करों और सप्लायरों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके है कि अब इन्हे खाकी के गिरेबान पर भी हाथ ड़ालनें से डर नही लगता ।ताजा मामला विकासनगर के मेहूंवाला में मादक पदार्थ जब्त करने गई पुलिस की टीम पर हुआ हमला उड़ते दून में गंभीर होते हालात बयां करने के लिए काफी है। वही श्रीनगर गढ़वाल में भी कुछ समय पहले पुलिस को हथ्थे लगे दो युवको ने खुले तौर पर इस बात को पुलिस के सामनें कबूला था कि उससे करीब 30 से अधिक छात्र ड्रग्स खरीदते है। उसनें यहा तक बताया कि उसके सभी खरीदार छात्र-छात्राएं है। यही नही कोटद्वार में तो अब हजारो परिवार अपनें किशोरों के भविष्य को लेकर सड़को पर आनें लगे है।
हाल के वर्षों में करोड़ों के इस कारोबार में तीन गुने तक का इजाफा हुआ है।
आंकड़ो पर गौर करें तो पिछले साल जनवरी से लेकर मई तक 19.30 लाख रूपये कीमत का ड्रग्स बरामद हुआ था, वहीं इस साल यह आंकड़ा 80 लाख रूपय से अधिक पहुंच गया है।
हालांकि, यह मादक पदार्थों की वह खेप है जो पुलिस के हाथ लगी। अगर सूत्रों की मानें तो दून शहर में से राज्य के पर्वतीय इलाकों तक फैले मादक पदार्थों का काला कारोबार करोड़ो रूपये तक पहुंच गया है।
पूरे प्रदेश में हालत यह है कि यहां तराई का हर वो इलाका जहां पहाड़ से पलायन कर लोग बेहतर शिक्षा के लिए अपनें परिवार के साथ बसे है हर वो इलाका ड्रग्स का गढ़ बनता जा रहा है।
तस्तरों के निशानें पर स्कूल-कालेज से लेकर हास्टल तक है, यहां हर रोज मादक पदार्थों की खेप बेरोक-टोक पहुंच रही है। प्रदेश में नशे के सामान की खेप पश्र्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब के रास्ते हर रोज पहुंचाई जा रही है।
नशे के खिलाफ प्रदेश भर में चल रहे अभियान के दौरान पिछले दिनों आधा दर्जन ऐसे ड्रग डीलर पकड़े गए जो केवल स्कूल-कालेजों में ही ड्रग्स सप्लाई करते थे। इसमें बस कंडक्टर से लेकर वाहन चालक तक शामिल है ।
इस वर्ष 2016 में बरामद हुआ ड्रग्स :
*चरस-18.69किग्रा-18.69लाख
*स्मैक-462.29ग्राम-46.22लाख
*गांजा-43.87किग्रा-43हजार
*अफीम132किग्रा-26.52लाख
*राजन मिश्रा
Copyright: Youth icon Yi National Media, 22.07.2016
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Thanks for the information Rajan Mishra ji
ये कैसी हवा चली मेरे शहर में
ये किसकी नजर लगी मेरे शहर को
कही हम खुद ही तो नहीं जिम्मेदार इसके
खुद ही ढूंढे इसके इलाज को
समाज मुझसे है और मै समाज से
चलो फिर पहल करे कुछ
नया करे विचार को
और बचाले अपने ही नव निर्माण को
समाज और पुलिस सभी की जिम्मेदारी है – कहीं उत्तराखंड दूसरा पंजाब ना बन जाय। मामले को उठाने के लिए YouthIcon को धन्यवाद।