Ujjain : वाल्मीकि घाट पर भई नेताओं की भीड…उर्फ़ अमित शाह का कुंभ स्नान… !
उज्जैन, के ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर के इलाके में छोटी टेकरी पर बसा है वाल्मीकि धाम। धाम यानिकी एक पुरानी छोटी सी कुटिया जिसमें महर्षि वाल्मीकि का पूजा स्थल और इस धाम की नींव रखने वाले गुजरात के संत सोहनदास की गादी। इसी से लगा हुआ है सफेद पत्थरों से बना
विशाल सा वाल्मीकि मंदिर। जिसमें अंदर वाल्मीकि की मूर्ति रखी हुयी है। कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने ही रामायण की रचना की थी और वो जाति से बहेलिये यानिकि पक्षियों का शिकार करने वाली निचली जाति से थे। मगर अपने नेक कामों, भक्ति और वाल्मीकि रामायण की रचना के कारण आदि कवि और महर्षि मान कर पूजा जाता है। वाल्मीकि धाम के अंदर बाहर गहमा गहमी सी मची हुयी है। सरकार के मंत्री, विधायक और सांसद के साथ ही नगर निगम के अफसर किसी ना किसी चिंता में लगे हैं। धाम के चप्पे चप्पे पर ढेर सारे सफाई कर्मचारी मोदी जी के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने में जुटे हैं। हर थोडी देर में कोई अफसर उनको नया काम बता जाता है। इस धार्मिक स्थल के बाहर ही लोहे का नया उंचा पक्का पंडाल बना है जिसमें तकरीबन सौ लोग बैठे हैं जो चारों तरफ युद्ध स्तर पर चल रहे इस काम से अचंभित से हैं। दरअसल आज यहां होने वाले कार्यक्रम की रणनीति भी किसी छापामार शैली में ही तैयार की गयी थी। पहले कहा गया कि बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह उज्जैन के सिंहस्थ में आयेंगे और इस वाल्मीकि धाम से दलित जाति के संतों के साथ शोभायात्रा निकाल कर रामघाट में जाकर क्षिप्रा में स्नान कर सामाजिक समरसता का संदेश देंगे। मगर इस समरसता में छिपी दलित राजनीति के संदेश का उज्जैन के साधु संतों, शंकराचार्य और अखाडा परिषद ने विरोध कर दिया। कहा गया कि अब जाति के आधार पर साधुओं को नहीं बांटा जाये। वैसे भी
साधु संतों की कोई जात नहीं होती। सिंहस्थ में की जा रही इस सियासत के विरोध के स्वर उठने पर बीजेपी ने अपने कदम पीछे खींचे और कहा कि ये कार्यक्रम बीजेपी की ओर से आयोजित नहीं है बल्कि बीजेपी के अध्यक्ष जी तो वाल्मीकि धाम की ओर से हो रहे आयोजन में शामिल होयेगे। मगर वाल्मिकी धाम के प्रमुख बालयोगी उमेशनाथ महाराज की इस आयोजन को लेकर बेफिक्री और मैदान पर बीजेपी के मंत्री विधायक और सरकार की सक्रियता बता रही थी कि ये आयोजन किसका है और पर्दे के पीछे कौन काम कर रहा है।
वाल्मीकि धाम के पीछे ही बना है वाल्मीकि घाट। क्षिप्रा के किनारे के इस घाट को उज्जैन का आदर्श घाट बनाने में कोई कसर नहीं छोडी जा रही। घाट की सीढियों और रेलिंग पर कई बार सफाई और रंगाई पुताई हो चुकी है। कपडे बदलने के लिये अस्थायी पंडाल लगा है। पानी स्वच्छ दिखे इसकी व्यवस्था है। ओजोनेशन की मशीनें पानी में चल रहीं है एक ओर घाट पर ही एलईडी लगाकर बताया जा रहा है पानी कितना साफ और निर्मल है। यदि कोई पानी में उतरकर ना नहाने चाहे तो उसके लिये दोनों छोरों पर शावर लगे हैं। इस घाट के दिन फिरने की वजह यही है कि वाल्मीकि समाज के गुरू जी ने राम घाट जाकर स्नान करने से मना कर दिया है और अमित शाह जी को क्षिप्रा में डुबकी तो लगानी ही है इसलिये मंदिर के पीछे इस घाट को ही राम घाट से ज्यादा चमका दिया गया। अमित शाह आ रहे हैं और वाल्मीकि घाट पर दलित संतो के साथ स्नान कर बडा राजनीतिक संदेश देने जा रहे हैं तो इसलिये दिल्ली का मीडिया भी लाया गया है। घाट पर ढेर सारी ओबी वेन के तारों का जाल बिछा है। मीडिया के हम पत्रकार कयास लगा रहे हैं कि कौन संत आयेगा और कौन पलट जायेगा। अखाडा परिपद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज को फोन लगाया जाता है तो वो कहते है भाई अब हमारा विरोध खत्म हो गया है हम आ रहे हैं पता चलता हैं सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह उनके अखाडे में बैठै हैं और उनको मनाकर साथ ला रहे हैं। स्वामी अवधेशानंद के सहयोगी नचिकेता जी फोन उठाते ही कहते हैं हंडेड परसेंट आ रहे हैं स्वामी जी। शंकराचार्य स्वरूपानंद जी के रामानंद कहते हैं महाराज जी तो नहीं आ रहे मगर अपना प्रतिनिधि वहां भेज रहे है। यानिकी संतों का विरोध हवा हो गया। थोडी देर बाद ही वाल्मीकि धाम के मंच पर संतों का जमावडा शुरू हो जाता है। एक के बाद एक जाने पहचाने संत आने लगते हैं। मगर ये क्या पहले से बैठे दलित और कबीरपंथी साधु अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं हो रहे ऐसे में भूपेंद्र सिंह उनके सामने कुर्सियों की एक कतार लगवा देते हैं। अब अमित शाह के साथ सिहंस्थ के वहीं जाने पहचाने संत बैठे हैं जो महामंडलेश्वर हैं और जिनका आभामंडल है। अमित शाह सम्मान करने के नाम पर आगे की कतार में बैठे संतों का सम्मान कर थक कर बैठ जाते हैं। सीएम शिवराज ही पीछे की कतार में बैठे कबीरपंथियों के पास जाते हैं और सम्मान की औपचारिकता निभाते हैं। स्वागत भाषण में वाल्मिकी धाम के स्वामी उमेशनाथ छुआछूत हटाने और समरसता फैलाने की बात करते हैं मगर अमित शाह अपने बोलने के क्रम में परिवार सहित अपने चार कुंभ स्नान करने का ही बखान करने की बात कह अपने को धन्य मानते हैं। वो यहां क्यों आये हैं क्या मकसद है इस आयोजन का इसका जबाव देना जरूरी नहीं समझते। फोटो जो बनी वो यही की देश के जाने पहचाने साधु संतों के साथ अमित शाह बैठे हैं जिन दलित और कबीरपंथियों के सम्मान बढाकर समरसता फैलाने का दावा किया जा रहा था वो तीसरी कतार में गर्मी में बैठे रहे। फिर ऐसा ही कुछ वाल्मीकि घाट पर क्षिप्रा स्नान में हुआ अमित शाह के साथ स्नान कर फोटो खिंचवाने की होड नेता ओर महामंडलेश्वरों में लग गयी और उस फोटो में आप ढूढते रह जाइये किसी दलित समाज के साधु संत को। घाट पर एक ओर खडे बांदा से आये वाल्मीकि समाज के गुरू केशवदास से जब पूछा महाराज जी सब ठीक हो गया तो उनका कहना था कि भैया हम तो समझ ही नहीं सके ये क्या हो रहा है हम सरीखे बहुत सारे संतों को दूर से बुलाया गया था कि ये नेताजी हमारे साथ स्नान करेंगे भोजन करेंगे हमारे समाज की बेहतरी के लिये उपाय तलाशेंगे मगर यहां तो वो फिर उन्हीं से घिरे हैं जो हमें आगे नहीं आने देते अब देख लो हम तो फिर वहीं घाट पर खडे रह गये।
कबीरदास ऐसे ही मौके के लिये कह गये थे-
जात न पूछो साधू की पूछ लीजिये ज्ञान, मोल करो तलवार का पडी रहन दो म्यान ….
- ब्रजेश राजपूत
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ab etni gir gyi rajniti ki koi nhane gya ho ush ka v jina.muskil.kar.denge ya.hmare desh me.ab koi news bachi.nhi.to nhane pe hi bnalo.sadhu smaj ko to baks do ap log…. sach h ap logon se tang agyi.h janta . Kute ne kisi ko.kat diya.to.use ve sansad me.uchalenge…. janta chutiya nhi h bhai sach dikhawo.ye bakwas nhI.dekhana chahti ….