University : कब सुधरेंगे हालात ! क्यों हो रहा है इस विश्वविद्यालय का बेड़ागर्क ? क्या हैं HNB प्रशासन के हालात बता रही हैं युवा पत्रकार पूजा डोरियाल ।
गढवाल विश्वाविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्थाओं को जो सुधारना चाहते हैं उनके लिए इस विश्वाविद्यालय मे कोई जगह नही है। विश्वाविद्यालय मे कई असिस्टेंट प्रोफेसर, अतिथि शिक्षक हैं जो शिक्षा के क्षेत्र मे जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं लेकिन ठेकेदारी मे लिप्त कर्मचारी, प्रोफेसर ऐसे शिक्षकों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। शिक्षा के इस मन्दिर मे राजनीति अखाड़ा चलाने वाले कर्मचारी इतने हावी हो चुके हैं कि लाॅ के प्रोफेसर, विक्रम युनिवर्सिटी के कुलपति पद पर बखूबी खरे उतरने वाले पूर्व कुलपति प्रो0 जे0एल0काॅल को भी विवि के कर्मचारियों की राजनीति समझ नही आई।
उत्तराखंड के श्रीनगर में स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा केन्द्रीय गढवाल विश्वाविद्यालय में अंदरूनी खींचतान व अतिवादी महत्वाकांक्षाओं ने विश्वाविद्यालय का आंतरिक व बाह्य प्रशासनिक ढांचा बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है । यहां पिछले कुछ समय से शीर्ष पदों पर जिस तरह से खींचतान व उठा-पटक चल रही है उससे यह विश्विद्यालय हमेशा कुचर्चा में रहा है । बाबजूद नीति नियांतें ने इसकी साख सुधारने के लिए कोई ठोस व स्थाई समाधान तलाशने की जगह ऐसी व्यवस्था परोष दी जिससे कि अब विश्वाविद्यालय का पूरा प्रबन्धन ही अपाहिज व अस्तित्वविहीन सा हो गया है ।
इस बात से सभी विज्ञ हैं कि पूर्व कुलपति बर्खास्त हुए ,जिनपर जांच मानव विकास मन्त्रालय द्वारा बैठाई गई थी । लेकिन जो नई व्यवस्था विश्वाविद्यालय के कार्यों को चलाने के लिए की गई उससे ऐसे कई सवाल उठते हैं जो विश्वाविद्यालय के अस्तित्व पर किसी धब्बे से कम नही है ।
मार्च 31 को रिटायर होने वाले नवनियुक्त कुलपति प्रो0 भट्ट जिन्हें प्रशासनिक कार्य करने का कोई अनुभव नही था, जो कुलपति की कुर्सी पर बैठने से पूर्व कुलपति कार्यालय मे कभी दाखिल नही हुए थे. लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता कुछ अभूतपूर्व ही दिखी। ऐसी क्षमता कि उन्होने पहले ही दिन पूर्व कुलपति द्वारा निलम्बित कुलसचिव को बिना जांच के ही बहाल कर दिया । ऐसी प्रशासनिक क्षमता की पहले ही दिन गढवाल विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति जो एक साल से अपने पद पर कुलपति की अनुपस्थिति मे सभी कार्य बखूबी निभा रहे । मसलन प्रो0 नेगी को कार्यमुक्त कर दिया । कुलपति पद पर बैठने के बाद उनके तत्कालिक प्रशासनिक आदेश से वे सुखिर्यों मे रहे लेकिन उनकी तत्कालिक कार्यवाही को देखने के बाद ये भी साफ हो गया कि वे सिर्फ अपने इर्द गिर्द मौजूद कुछ खास लोगों की कुंडली में घिरे हुए मात्र हैं । उनके फैसले सिर्फ व सिर्फ विश्वाविद्यालय की राजनीतिक गुटबाजी के बदले को लेने के उद्देश्य से लिए गये फैसले थे ऐसा हमारे खबरिया सूत्र बताते हैं । साफ है कि विश्वाविद्यालय के ऐसे कुछ कर्मचारियों व प्रोफेसरों की गुटबाजी नये कुलपति पर हावी होती दिखी जो विश्वाविद्यालय मे अपने कार्य से हटकर सिर्फ राजनीतिक बुखार से पीड़ित दिखते हैं। देश के विभिन्न विश्वाविद्यालय वर्तमान मे रैंकिग मे अपने पायदानों मे सुधार ला रहे हैं लेकिन गढवाल विवि की छवि लगातार खराब हो रही है। गढवाल विश्वाविद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्थाओं को जो सुधारना चाहते हैं उनके लिए इस विश्वाविद्यालय मे कोई जगह नही है। विश्वाविद्यालय मे कई असिस्टेंट प्रोफेसर, अतिथि शिक्षक हैं जो शिक्षा के क्षेत्र मे जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं लेकिन ठेकेदारी मे लिप्त कर्मचारी, प्रोफेसर ऐसे शिक्षकों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। शिक्षा के इस मन्दिर मे राजनीति अखाड़ा चलाने वाले कर्मचारी इतने हावी हो चुके हैं कि लाॅ के प्रोफेसर, विक्रम युनिवर्सिटी के कुलपति पद पर बखूबी खरे उतरने वाले पूर्व कुलपति प्रो0 जे0एल0काॅल को भी विवि के कर्मचारियों की राजनीति समझ नही आई।
शिक्षा के इस मन्दिर पर धब्बा लगता हुआ तब दिखता है जब दुनिया की नामी विश्वाविद्यालय से पढाई पूरी कर दुनिया की कई युनिवसिर्टी मे अपने शोध अध्ययन से नाम कमाने वाले प्रतिकुलपति प्रो नेगी को इस राजनीति का शिकार होना पड़ा।सवाल किसी के पद पर रहने व न रहने का नही है बल्कि सवाल उस पौध का है जो यहां तैयार हो रहे हैं, सवाल जी-तोड़ मेहनत करने वाले उन शिक्षकों के भविष्य का भी है जो अपनी ईमानदारी से विमुक्त हो रहे हैं क्योंकि चापलूसी व राजनीति करने वाले विश्वाविद्यालय के ही कर्मचारी ईमानदार कर्मचारियों का मनोबल तोड़ रहे हैं।
* पूजा डोरियाल
These political parties use students as the pawns to wage proxy wars…😣
1% students might went to political Industry but 99% students need to suffer due to these politics…😕
Nd that’s really sad to know the fact, that universities are unable to grow in an educational way…🙁😞
Some students need to face the situation so closely, that the consequences came up like Rohith Vemula😔…The hyderabad case, previous year…!!!
These political parties use students as the pawns to wage proxy wars…😣
1% students might went to political Industry but 99% students need to suffer due to these politics…😕
Nd that’s really sad to know the fact, that universities are unable to grow in an educational way…🙁😞
Some students need to face the situation so closely, that the consequences came up like Rohith Vemula😔…The hyderabad case, previous year…!!!
महोदया
आपका यह सेख एक तरफ़ा है निःसन्देह गढवाल विश्वविद्यालय मे कई कमियाँ है परन्तु वर्तमान परिपे़क्ष मे जब एक कुलपति जो कि एक लम्बी जॉच के बाद बर्खास्त होता है और उसे आप राजनैतिक दुर्घटना का परिणाम मानती है त्योहार दुर्भाग्यपूर्ण है । उनके परम सहयोगी प्रो नेगी जी जो तत्कालीन कुलपति जी के हर कार्य मे सहयोगी थे .। जब भरषटाचार पर कुलपति जी को हटाया गया तो उनको हटाना भी अनिवार्य था ।
* एक ही कार्य के लिए एक को फॉसी और दूसरे के झॉसी सम्भव नही है *
उसके अतिरिक्त प्रो क़ौल ने जो महौल विगततीन वर्षों मे किया उसकी पुष्टी बहुसंख्यक कर्मचारी छात्र व शिक्षक कर सकते है ।
यदि आपको अन्य तथ्य चाहिए तो आप विश्वविद्यालय से सम्पर्क कर सकी है ।
कृपया दोनो पक्षों को जानकर तथ्य पूर्ण निर्णय ले ।
नरेश चन्द्र खनडूडी
पूर्व अध्यक्ष कर्मचारी परिषद
गढ़वाल विश्वविद्यालय