Vaccination of Swine Flu : सीएम साहब आप तो टीका लगा लोगे, आम लोगों का क्या होगा….
आप सोच रहे होंगे कि भला उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को टीके लगाने की क्या जरूर है। जरूरत है और उन्होंने लगवा भी लिया। उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को ज्यादा खतरा महसूस हुआ तो उन्होंने थोड़ा पहले लगा लिया। मैं उस रिपोर्ट की बात कर रहा हूं, जो भाजपा विधायक मगन लाल शाह के मरने के बाद प्रकट हुई है। उनकी रिपोर्ट ने हर किसी को चैंका दिया। चैंकने वाली बात भी है। मगन लाल की रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टी की खबरें आग की तरह फैल रही हैं। उसके साथ एक और खबर दौड़ रही है। वह है सीएम को स्वाइन फ्लू से बचाव का टीका लगाने का। अच्छी बात है। सीएम ही क्या हर उस व्यक्ति को टीका लगाना चाहिए, जो उनके आसपास रहे।
मेरा सवाल यह है कि जिस प्रदेश का एक विधायक स्वाइन फ्लू से मर गया और उसकी रिपोर्ट उसके मरने के लगभग एक दिन बाद आई। यह हैरान करने वाली बात है। इसे प्रदेश में स्वाईन फ्लू की दस्तक भी माना जा रहा है। सीएम, पार्टी अध्यक्ष और डीएम तो टीके लगा लेंगे, लेकिन उन आम लोगों का क्या होगा, जिनको जांच के भी लाले पड़ जाते हैं। अस्पतालों में अब वार्ड बनाने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा, लेकिन क्या हम किसी के रिपोर्ट आने तक यूं ही मरने के लिए छोड़ सकते हैं। इस बारे में सोचने की जरूरत है। एक स्वाईन फ्लू की जांच के लिए दिल्ली की दौड़। सीएम साहब को खुद सोचना चाहिए कि स्वास्थ्य महकमा उनके पास है। अस्पताओं में डाक्टर तो पहुंचा देंगे, लेकिन जांच के लिए तो लोगों को दिल्ली ही दौड़ना होगा। टेलीपैथी सेवा तो शुरू कर दी है। हर मंच से उसका बखान भी कर रहे हैं, लेकिन स्वाईन फ्लू की जांच के लिए प्रदेश में सुविधा कभी मिल भी पाएगी या नहीं..?
हाल ही में नीति आयोग ने प्रदेश की स्वास्थ्य की बदहाली की रिपोर्ट पेश की थी। तब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आसानी से कह दिया था कि यह पूर्व की सरकार का मामला है। अब तो आपकी सरकार है। एक साल भी होने जा रहा है। जश्न की तैयारी भी चल रही है। क्या आप विधायक की मौत के बाद भी जश्न मनाएंगे या फिर किसी की मौत न हो उसका इंतजाम करेंगे। सीएम साहब सोचना आपको है। हम तो आम जनता हैं। हमारा क्या..? जितना बन पड़ेगा अपनी जांच करा ही लेंगे। दिल्ली जाना पड़े या मुंबई। मरता, क्या न करता।