Vidhansabha Chunaw 2017 Uttrakhand : जीत कर भी हार होगी भाजपा और कांग्रेस की 2017 चुनावों में, 16 वर्षों से छल-कपट कर रही हैं दोनों पार्टियां जनता के साथ ।
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घोषणाओं में कुछ भी नया नहीं था और न ही भाषणों में । वही कोरे दावे झूठे आश्वासनों के बीच एक बार फिर चौथी बार भी मतदान की बेला पर , कश्मकश में रही उत्तराखण्ड राज्य की जनता ।
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जनता बोली : ठग तीतरों से कम नहीं हैं हमारे नेता, तो कोई बोला गलदार हैं हमारे माननीय । फिर भी इन्हे चुनना है हमारी मजबूरी ।
उत्तराखण्ड में नई सरकार को चुनने की चुनावी बेला आ गई है। उत्तराखंड की जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करके नई सरकार चुनने को तैयार दिखाई दे रही है। मतदान के महापर्व में भागीदारी को लेकर लोगों के मन की बात पढऩे के लिए मैने राज्य की पर्वतीय विधानसभाओं का रूख किया। सफर लंबा था तो रास्ते में रूकते-रूकते जो भी लोग मिलते गए, सबसे पहले मैने उनके हालचाल पूछने के साथ ही मतदान जरूर करने की अपील के साथ ही उनके क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों की बावत कई सवाल-जवाब पूछे। लोगों ने भी खुलकर मुझसे अपने दिल की बात की, लोगों की बातों का जो एक निचोड़ मेरे सामने निकलकर आया वो यह कि सभी जनप्रतिनिधयों के वादों के सताए हुए हैं। जो वादे नेताओं ने वोट की खातिर 16 साल पहले किये थे, आज भी वही वादे जनता से करते नजर आ रहें हैं। बस नेता का चेहरा बदल गया है, कुछ का दल भी बदल गया है, नहीं बदले तो वही पुराने वादे और दावे। जनता मदतान के महापर्व में भागीदारी को उत्सुक है लेकिन उसके मन में आज भी अजीब सी कश्कमश है । जनता के पास विकल्प की कमी है आज भी मुंहबाए खड़ी है ।
मेरा भी पत्रकारिता जीवन का दो दशक से ज्यादा का समय पूरा हो गया है । इस दौरान लोकसभा से लेकर विधानसभा के चुनावों की कबरेज करने का मौका भी मिला था और तब हम भी अपनी सर्वे के आधार पर नतीजों से पहले ही परिणाम के आसपास पहुँच ही जाते थे , लेकिन इस बार पिछले तीन चुनावों के मुकाबले जनता के मन को कोई भी मीडिया या राजनीतिक दल ठीक से नहीं पढ़ पा रहा है । जनता ने एक अजीब सी चुप्पी साधी हुई है । जनता का रुझा क्या है और किस ओर है यह अंदाजा लगाना या इस बारे में दावे से कुछ कहना भी बेहद ही मुश्किल हो रहा है ।
लेकिन जो बात कहने वाली है वह यह कि कहीं न कहीं इस बार चुनावी शोर में मुद्दे गायब रहे हैं ऐसा मैं जनता की बातों के आधार पर लिख रहा हूं। आरोप-प्रत्यारोपों की जंग साफ-साफ दिखाई दे रही है, लेकिन इस बीच किसी भी दल के नेता ने अपने विजन की बात कर जनता के मन में विश्वास जगाया हो ऐसा भी दूर-दूर तक स्पष्ट नहीं हो पाया ।
मैंने उत्तराखंड चुनाव के अपने अंतिम सफर में लोगों से बातचीत की शुरुआत जोशीमठ जाते वक़्त पाताल गंगा के समीप लंगसी गाँव के बुजुर्ग मतदाता गुदालू जी से बात की तो उनका कहना था कि पहाड के लिए अभी तक की किसी भी सरकार ने कुछ नहीं किया है। रोजगार शून्य है, मंहगाई बढती जा रही है । पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं है । खेती सब बंजर पड़ी हुई हैं, जंगली जानवर फसल होने ही नहीं देते हैं। सरकार को चाहिए था कि वो यहां जनता की समस्याओं पर ध्यान देती , रोजगार देती,
पलायन को रोकने के लिए ठोस नीति बनाती, लेकिन 16 सालों में ऐसा कुछ भी हुआ नहीं सारा पहाड़ बर्बाद हो गया है लेकिन नेता लोग अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहते हैं क्या करें । मैं आगे जोशीमठ बढ़ा तो बीजेपी नेता व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती बताते हैं कि लंबे समय से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे राजेंद्र भण्डारी ने जनता को 10 साल से विकास के लिए तरसा दिया है । भंडारी ने पगनों और भविष्य बद्री तक सड़क पहुॅचाने की बात की थी और कहा था की मै 2017 के चुनाव के वक्त गाडी से आउगा लेकिन कोई इनसे पूछे की वह सड़कें कहा हैं । इसी क्रम में कांग्रेस नेता व व्यापारी सुभाष डिमरी भण्डारी का पक्ष लेते हुए बताते हैं कि बीते 10 वर्षों में यंहा पर जितने भी काम हुए हैं वो सराहनीय हैं,चाहे वो ओबीसी का दर्जा देने की बात हो ,गोपेश्वर इन्जीनियरिगं कालेज,आईटीआई कालेज ,रविग्राम मे स्टेडियम या फिर प्रभावितों को तत्काल राहत देने की बात सब काम भण्डारी ने किए हैं ।
लेकिन एक आम आदमी के तौर पर गुलाबकोटी निवासी रामलाल जो सड़क के किनारे चाय बेचते हैं वह अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं कि हमने अपनी जमीन टीएचडीसी में दे रखी है, उन्होने बोला था कि रोजगार देंगे लेकिन अभी तक नहीं दिया, यहां सबसे बड़ी समस्या रोजगार , पानी ,सडक ,शिक्षा की है। लेकिन विधायक जी ने कभी उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया और अपने चहेतों को कंपनी में लाभ पहुंचाने का काम किया है । नेताजी को गरीब जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए था ।
थराली विधानसभा के अंतर्गत मैठाणा निवासी पुष्कर लाल कहते हैं कि जो भी नेता हो वो दलबदलू नही होना चाहिए। गरीबों की तकलीफों को समझने वाला, रोजगार देने वाला होना चाहिए। लेकिन आज हम इन नेताओं को जीताकर भेजते हैं और वह फिर दल बदल करते हैं, जिससे मन को पीड़ा पहुँचती है । इस पर रोक लगे। मैठाणा निवासी मदन कोठियाल इस बाटा से नाराज है कि हर पार्टिया चुनाव के वक्त ही घोषनाओं की झडी लगाती हैं । कोई कहता है की हम हर घर से एक आदमी को रोजगार देगे ,2500 रूपऐ भत्ता देगें तो यह सब बाते चुनाव मे ही होती है ।इसके लिए कोई एक नही बल्कि सभी सरकारे जिम्मेदार हैं। जनता को ऐसे नेताओं को सबक सीखाना होगा । बदरीनाथ विधानसभा के अंतर्गत पैनी गाँव में युवा वोटर मनदीप, बताते हैं कि यहां पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। लेकिन ऐसा नही है कि भण्डारी ने काम नहीं किया है, मैं पिछले 10 साल से कांग्रेस मे था लेकिन जब देखा की राजू भण्डारी अपने कुछ चहेतों को ही लाभ पहुॅचा रहे हैं तो हम काफी युवा कांग्रेस छोडकर से बीजेपी में आ गए हैं । जबकि इसी विधानसभा के अंतर्गत गुलाबकोटी निवासी पूरणी देवी, भी चर्चा के दौरान नेताओं पर लाल-पीली हो जाती हैं कहती हैं प्रदेश को बने 16 साल हो चुके है लेकिन किसी ने भी कुछ नही किया। नेता सब के सब तभी आते है जब चुनाव का समय आता हैं। सब अपना पेट भरने, अपने सगे संबधियों को लाभ पहुचाते है,लेकिन आमजन के लिए कोई कुछ नहीं करता।
पौड़ी जिले की चौबटाखाल विधानसभा के वोटर दलवीर सिंह बिष्ट ने संगलाकोटी कस्बे में हुई चुनावी चर्चा में बताया कि जितनी भी सरकारे और नेता लोग हैं वो सब के सब चुनाव के वक्त ही वोट मॉगने आते हैं। जो घोषणाएं आजकल कर रहे हैं अगर यह सब पहले से होता तो यहा से इतना पलायन नहीं होता । ना तो यहा अच्छे स्कूल और ना ही बडे कालेज है । जितने लोग बचे है हैं वो भी मैदान की और पलायन कर रहे हैं । जबकि इसी विधानसभा से वोटर नंदन सिंह रावत ने कहा कि जब तक यहा की विधायक अमृता रावत थी ,तब तक तो काम हुए है , जैसे की पेयजल सडक आदि सब सुविधा हुई। इससे पहले तो कुछ नही था। लेकिन आज यहा से पलायन हो रहा है इसके लिऐ जिम्मेदार सरकार ही है ।
टिहरी जिले के नरेंद्र नगर के वोटर अजीत सजवाण और उनकी पत्नी लीज पर एक रेस्टोरेन्ट संचालित करते हैं वह बताते हैं कि यहा सिर्फ सुबोध उनियाल और ओमगोपाल रावत में ही टक्कर है । आज पार्टी विशेष पर कोई नही जा रहा। जनता चमचों से परेशान हैं। सुबोध अच्छे नेता है लेकिन उनकी कमी यही है की वो अपने चमचों की ज्यादा सुनते हैं जिससे कि उनको ज्यादा नुकसान होने की संभावना है ।
थराली विधानसभा के वोटर भगत सिंह बताते हैं कि देखिए सिर्फ घोषणाओं से ही काम नही चलता। घोषणा तो हो जाती है लेकिन नीचे वाले कर्मचारी ही काम नहीं करते हैं। जनता नेताओं की कोरी घोषणाओं से परेशान है। 16 साल में अगर विधानसभा क्षेत्र की 16 घोषणाओं पर काम हो जाता तो आज स्थिति कुछ और होती । इस राज्य में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों बराबर की दोषी हैं । आज कोई मोदी के नाम पर तो कोई हरीश के नाम पर वोट मांग रहे हैं पर यह यह भी तो बताएं कि इनकी 16 वर्षों की उपलब्धि है क्या ? हमारी भी मजबूरी है कि बिना ठोस विकल्प के ही हमें इन दोनों पार्टी में से किसी एक को ही वोट करने है । पर हकीकत यह है कि दोनों ही पार्टियां एक ही सिक्के के दो पहलू जैसी हैं ।
बदरीनाथ विधानसभा के वोटर दावा करते हैं कि इस बार राज्य में बीजेपी कि ही सरकार बनेगी । नितिन का मानना है कि उत्तराखंड में अक्सर जो सिटिंग विधायक हैं वो दोबारा भी जीत कर आते हैं, लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं क्योकि यहां से जो वर्तमान विधायक रहे है उन्होने धरातल पर कुछ काम नहीं किया है। इसलिए जनता बदलाव के मूड में है। और यही हाल पूरे राज्य में है । जबकि वोटर चन्द्र मोहन फोनिया कहते हैं कि इस बार खिचड़ी सरकार बनेगी । कारण है प्रत्याशियों के चयन का दिल्ली से होना । फोनिया मानते हैं राष्ट्रीय दल जन भावनाओं को बिल्कुल भी तवज्जो नही दे रहे हैं ।जनता के सामने भी प्रत्यासी भी जनता की पसंद का होना चाहिए व जमीनी बातों को समझने वाला एवं सहीसकारात्मक विकासात्मक सोच वाला होना चाहिए ।
व्यापार संघ संरक्षक माधव प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि अब चुनाव प्रचार थम चुका है लेकिन सरकार 100% बीजेपी कि ही बन रही है । सेमवाल कहते हैं कांग्रेस शून्य सोच वाली पार्टी है इसलिए इनका योगदान भी शून्य ही रहा है । मूलभूत सुविधाओं के लिए जनता तरस रही है । अब जनता जाग चुकी है और वह परिवर्तन चाहती हैं।
पौड़ी निवासी धीरज सिंह बिष्ट कहते हैं सरकार कुछ काम करती है नही । और चुनाव के वक़्त वोट मांगने हमारे गाँव गाँव पहुँच जाते हैं । बुनियादी सुख सुविधओं की यहा कमी है। इस बीच नेताओं ने अपने भाषणो में खूब दावे किए और हमने भी पूर्व की तरह झूठे भाषण खूब सुने । लेकिन वोट तो देना ही है क्योकि ये हमारा अधिकार है। अब लग रहा है इससे बढिया तो उत्तर प्रदेश में ही ठीक थे, उत्तराखंड मे जनता का कम नेताओं का ज्यादा भला हो रहा है । जनता की कोई सुध लेना वाला नहीं है।
जोशीमठ के भगत सिंह बताते हैं कि हमारे यहां जितना काम होना चाहिए था उतना हुआ नही। हम चाहते हैं कि इस बार कुछ चेंज आये और जो नया विधायक आएं वो थोडा ज्यादा काम करे। जब तक विधानसभा क्षेत्र का विकास नहीं होगा तब तक सुविधाएं नहीं होंगी और लोग इसके लिए अपने गांवों से पलायन कर जायेंगे।
चमोली हेलंग निवासी विनीता पँवार कहती हैं मुझे ऐसा लग रहा है कि अभी जो हमारे क्षेत्र के सुख दुख में जिन्होने सबसे ज्यादा साथ दिया वो राजेन्द्र भंडारी हैं। चाहे यहां पर सडक ,बिजली, पानी की बात हो तो उन्होने काम किया हैं। विधानसभा के सभी क्षेत्रों के लिए विकासपरक योजनाएं बनाई हैंं।
मैठाणा, थराली विधानसभा से वोटर सुमित फरस्वाण, बताते हैं कि हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो भ्रष्टाचार मुक्त हो क्योंकि बहुत जगह लोग कमीशन वगैरह देकर आगे बढ जाते हैं। तो हम चाहते हैं कि आगे आने वाली पीढी को ऐसी कोई परेशानी ना हो । कुल मिलाकर हम साफ सुथरी सरकार चाहते हैं ।
वोटर राजेन्द्र कुमार, गांव हलोडीं पौडी अपनी बात में कहते हैं कि उत्तराखंड बना है तब से और आज तक इतनी सरकारे आई और गई लेकिन रोजगार के मामले मे गढवाल पीछे रह गया। नेता लोग चुनाव के वक्त ही आते हैं और चले जाते हैं जब जीत जाते हैं तो उनकी शक्ल दिखाई नही देती।
इसी तरह मैठाना थराली विधानसभा के वोटर यशवंत सिंह भुवन चंद खंदूरी के शासन को ठीक बताते हुए कहते हैं जितनें भी ये राजनीतिक दल हैं सब के सब जब चुनाव आते हैं तो हर कोई एक से एक घोषणा करते है कोई स्मार्टफ फोन देने की बात
करता है तो कोई कुछ और । मेरा सीधा सा यह कहना है इनको चुनाव के वक्त ही यह सब क्यों याद आता है क्या ये सब उससे पहले इन सब चीजों पर काम नही कर सकते। इसी तरह जोशीमठ निवासी सूरज पंवार, बताते हैं कि हमारे यहा से जो विधायक रहे हैं उन्होने पाचॅं सालों में कोई काम नहीं किया है । जब आपदा आई आई थी तब भी कोई काम नही किया। ऐसा लगता है कि इस बार यहा सत्ता परिवर्तन होने वाला है।
बहरहाल अंतिम चरण में मैंने भी अलग-अलग विधानसभावों में कई लोगों के मन की थाह उनसे इसी तरह बातचीत कर लेनी चाही पर हर कोई किसी न किसी कारण बीजेपी व कांग्रेस से बेहद नाराज हैं और वह यह भी कहते हैं कि जब तक उनके पास कोई तीसरा ठोस राजनीतिक विकल्प नहीं मिल जाता है तो तब तक उन्हें भी मजबूरी में इन दो दलों में से ही किसी एक को वोट करना पड़ेगा । कुलमिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि इस 2017 के चुनाव में भले ही इन दोनों ही दलों में से किसी एक की को जीत मिल भी जाए और वह सरकार बना भी लें, लेकिन सच्चाई यही है कि बीजेपी और कांग्रेस उत्तराखण्ड की जनता के दिलों में अपने लिए जगह बनाने में फिसड्डी ही साबित हुई या यूं कहें कि मजबूरी में मिले जनसमर्थन से जीतने के बाबजूद भी दोनों ही दलों की 11 मार्च को एक बार फिर से हार ही होनी है ।
बिल्कुल सही आकलन किया आपने मैथानी सर ,जनता की मजबूरी का फायदा ही उठाया जा रहा है !
जनता की और राज्य की भलाई छोड़ दोनो पार्टियाँ सिर्फ सत्ता हासिल करना चाहती है…
और उसके लिये किसी भी स्तर तक जाने को तत्पर है ॥
Ye janta ka mahaj ek bahana hai.Kisi purani chhinar se sundar to nayi naveli ko chunana achchha tha. Kam se ksm loot ka anubhav to n hota unko.Anubhav wale dagabaajon se behtar anubhavheen naishikhiya hote.Kab tak jhoothe waadon aur lachchhedaar baaton ke pher me aate jaayenge ?Lutte nasamajh log dubaaee me 4 paise wapis aate dekh vote de dete hai par agle shoshan ka unko bhaan nahi.
Bahumat, ke aage naman.