Viewpoint : बेशर्म ! आप मिजाज़न थोड़ा बेशर्म, इत्तेफाकन थोड़ा अहसानफरामोश हैं …. तो रुकिए मत, आगे बढिये …
आप में मेरिट भले ही कम हो, ज्ञान अध् जल गगरी सामान हो, पर गधे से लेकर जनता को अगर आप वक़्त पर बाप बनाना जानते है ….और मिजाज़न थोड़ा बेशर्म, इत्तेफाकन थोड़ा अहसानफरामोश हैं …. तो रुकिए मत, आगे बढिये। इन कलयुगी गुणों के आधार पर आप कुछ चुनिंदा जगहों पर बेहद ऊंची छलाँग लगाकर छप्पर फाड़ सकते हैं।
अगर आप महत्वाकांक्षी है, मेहनती हैं… तिकडमी हैं, प्रपंची हैं, तो खुद पर केंद्रित रहिये। देश के बारे में नहीं , सिर्फ अपने बारे में सोचिये।
आप में मेरिट भले ही कम हो, ज्ञान अध् जल गगरी सामान हो, पर गधे से लेकर जनता को अगर आप वक़्त पर बाप बनाना जानते है ….और मिजाज़न थोड़ा बेशर्म, इत्तेफाकन थोड़ा अहसानफरामोश हैं …. तो रुकिए मत, आगे बढिये। इन कलयुगी गुणों के आधार पर आप कुछ चुनिंदा जगहों पर बेहद ऊंची छलाँग लगाकर छप्पर फाड़ सकते हैं।
भूल जाइये कि आप आई आई टी की जगह पॉलिटेक्निक वाले इंजीनियर हैं, भूल जाइये कि आप इण्टर में नक़ल करते पकडे गए थे, भूल जाइये कि आपने गाँव में देहातन और शहर में पंजाबन से दो दो शादी की हैं, भूल जाइये कि आपने किसी के साथ फ्रॉड किया था , भूल जाइये कि आपके कई झूठ पकडे गए थे …. बस ये याद रखिये कि आप जूते खाने के बाद भी हौसला नहीं खोते हैं। यस देट इज़ योर पावर ! यही तो आप का गुण है जो दूसरों पर भारी है।
तिकड़म और जोड़तोड़ की इस बहार में, गले तक डूबे अनाचार में आप कहीं भी गुलाब की तरह खिलने महकने का हुनर रखते हैं। … आपके ये प्राकृतिक गुण ही आपको एमपी, एमलए से लेकर मुख्यमंत्री और न जाने क्या क्या बना सकते हैं। आज के दौर में ये ज़रूरी नहीं कि आप बैरिस्टर हों, आईसीएस हों तभी खादी ओढ्ने के लायक होंगे । अरे, आज के दौर में तो थर्ड डिविज़नर भी युगपुरुष हो सकता है। आज तो तड़ीपार चाणक्यों का दौर हैं। लेकिन राजनीती के अखाड़े में ही क्यों ताल ठोकना चाहते हैं ? …जिस देश में बगैर कारखाना लगाए बैंक आपको अपनी एक तिहाई सम्पति लुटाने को तैयार है वहां इम्पोर्ट एक्सपोर्ट में तकदीर क्यों नहीं आज़माते ? कोई जमशेदजी टाटा थोड़ा ही बनना है आपको जो तिज़ारत में भी मुल्क को आगे देखना चाहते है ? अच्छा, लोन के झमेले में नहीं पड़ना चाहते हैं , तो कोई बात नहीं , चिट फंड कम्पनी क्यूं नहीं खोल लेते ? ….ये ज़रूरी नहीं कि स्टॉक एक्सचेंज को चूना लगाया जाए जब रिक्शेवालों, मिल मज़दूरों को लूटा जा सकता है। और कौन कहता है कि मीडिया नुकसान का धंधा है ? मीडिया मुग़ल क्यों नहीं बन जाते आप ? कौन कहता है कि अखबार और चैनल सरकारी विज्ञापन से चलते हैं ? अरे कलेजा रखिये ,मोटा स्टिंग करिये ? बस शर्त ये है कि स्टिंग ऑपेरशन कभी जनता को मत दिखाइयेगा। दिखा दिया तो फिर धंधा कैसे चलेगा ?
और हाँ, अगर आप किसी कम्पनी के जीएम हैं तो बस इतना याद रखियेगा कि अगर लाइज़निंग और सेटिंग में आप खिलाडी हैं तो फिर सीईओ बनने में वक़्त नहीं लगेगा। थोड़ी सी अंग्रेजी , थोड़ी सी स्कॉच। … बाकी कमाल तो बीएमडब्लू ही कर देगी।
और हाँ ये याद रखिये, आर्ट इस लॉन्ग बट लाइफ इस शार्ट। इसलिए पुराने घिसे पिटे दोस्त, मिडिल क्लास नातेदार , रिटायर्ड जमात और पड़ौस के ‘छोटे लोग’…. इन फ़ालतू लोगों से बात नहीं करनी है आपको। जैसे कोई तेली का मुँह देख ले सवेरे सवेरे … वैसे ही इन फालतू लोगों का नंबर नहीं देखना है । इन सभी के नम्बर जितना जल्दी हो डीलीट करने है ..क्यूंकि आपको आगे बढ़ना है। आपको सुब्रोतो राय और पोंटी चड्ढा से ज्यादा दौलत कमानी और लुटानी है। आपको दस साल के अंदर मोटा भाई की तरह कई प्राइवेट जेट लेने हैं। आपको केजी बेसिन में तेल और गैस के कुँए ख़रीदेने है। याद रखिये , ऑस्ट्रेलिया की कोयले खदाने आपका इंतज़ार ज्यादा साल तक नहीं करेंगी …इसलिए टाइम कम है।
आगे बढ़िए। … और चीर दीजिये 70 साल की भारत माँ की छाती।
और छीन लीजिये
निचोड़ दीजिए
हर संसाधन।
इतनी बेशर्मी से लूटिये, कूटिये
कि फिर 100 साल तक किसी हिंदुस्तानी के कान में ये शब्द सुनायी न दे
“….. की ना खाऊंगा न खाने दूंगा।”
साभार : दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार ।
सटीक