सार्वजनिक मंचों पर खुलकर सामने आ रहे हैं कर्नल अजय कोटियाल ।
Will this be true : जर्नल की सीट पर कर्नल की नज़र !
* तो क्या जनरल का विकल्प हैं कर्नल ?
*कर्नल की लगातार बढ़ रही है सक्रियता !
मौजूदा दौर में चुनाव गुजरात व हिमांचल में है लेकिन उत्तराखंड की ठण्डी वादियों में वर्ष 2019 के चुनाव की गर्मी अभी से देखी जाने लगी है। यहाँ एक कर्नल के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा आम जनमानस के बीच जोरों पर है। जिससे राजनीतिक तपिश उत्तराखंड में भी अभी से बढ़नी शुरू हो गयी है ।
अज्ञात सूत्रों के हवाले से जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं। उससे यह बात कही जा सकती है की केदारनाथ पुनर्निर्माण के लिए सुर्ख़ियों में आये NIM के प्रधानाचार्य व वर्तमान में 4th गढ़वाल राइफल में तैनात कर्नल अजय कोठियाल भाजपा में अपनी जगह तलाशने में लगे हुवे हैं । हालांकि अभी तक कर्नल ने इस तरह के संकेत खुले तौर पर नहीं दिए हैं । लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में कर्नल की जोरदार सक्रियता के चलते कयासबाजी का दौर भी ज़ोर-शोर से जारी है । कर्नल कोटियाल लीक से हट कर कार्य करने वाले सख्स हैं जिसके चलते वह पहाड़ी युयाओं के आदर्श बन चुके हैं । इतना ही नहीं गढ़वाल क्षेत्र में लोग कर्नल कोटियाल को किसी हीरो से कम नहीं आँकते हैं । युवाओं के सुपर स्टार बने कर्नल ने हाल के दिनों में अपने दो संबोधनों में वाम विचारधारा पर हमला कर आम लोगों के अलावा राजनीतिक पुरोधाओं का ध्यान अपनी ओर खीचा है ।
दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ उनकी मुलाकात भी इस ओर ईशारा करती है । हालांकि कर्नल के नजदीकी इस बात को स्वीकारते हैं कि कर्नल कोटियाल राजनीति में भी अपना हुनर अजमा सकते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है । वहीं उनके
समर्थक कर्नल द्वारा राज्य में प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस में जाने की अटकलों को भी ख़ारिज करते हैं । फिलहाल कर्नल कोटियाल भारतीय सेना में ही कार्यरत हैं तो इस लिहाज से भी उनके चाहने वाले लोग या स्वयं कर्नल भी साईलेंट हैं और किसी भी कयासबाजी का कोई भी प्रत्युत्तर भी नहीं करते हैं । लेकिन यह चर्चा ज़ोरों पर है कि की कर्नल अजय कोठियाल की नज़र गढ़वाल सांसद अवकाश प्राप्त मेजर जर्नल भुवन चंद्र खंडूड़ी की सीट पर है । और वह 2019 में जनरल की जगह इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं ।
बताते चलें कि पिछले दो माह में कर्नल के गैर-सरकारी संगठन “यूथ फॉउण्डेशन” जो की पहाड़ के युवाओं को सेना में भर्ती हेतु नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं उसके लिए वह युवाओं और ग्रामीणों के बीच खासे लोकप्रिय बने हुए हैं । और उतनी ही तेजी से उनका यह संगठन भी गांव-गांव तक सक्रिय हो रहा है । “यूथ फाउंडेशन” द्वारा आयोजित पूर्व सैनिक सम्मेलनो की बाते भी साफ तौर पर इस और इशारा करती है।
सूबे में कर्नल कि लोकप्रियता का आलम यह है कि हाल ही में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार केदारनाथ दौरे पर आए थे तो तब भाजपा के धुरंधर नेताओं ने जिस चालाकी से मोदी के सामने से कर्नल का नाम गायब किया वह भी जनता के बीच खूब चर्चा का विषय बना रहा । जो की स्पष्ट संकेत दे गया कि कहीं न कहीं कर्नल के नाम की खलबली जरूर मची हुई है । । दूसरी ओर केदारनाथ में प्रधानमंत्री के सामने से कर्नल को सीन से दूर करने की जो बातें सामने आयी है उससे भी यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के अंदर कुछ दूसरी ही खिचड़ी पक रही है । फिलहाल अब इस कयासबाजी को तभी विराम लगेगा जब कर्नल आने वाले दिनों में सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृति ले लेंगे । क्योंकि चर्चा यह भी है कि कर्नल जल्दी ही कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं ।
One thought on “Will this be true : जर्नल की सीट पर कर्नल की नज़र ! ”
बिल्कुल सही कर्नल साहब जैसे पहाड़ी सूरमाओं की नितांत आवश्यकता उत्तराखंड को है जो धरातल पर काम करते है बाकि तो हवाई नेता है जो केवल वंशवाद को बढ़ावा देते है जर्नल साहब भी उसमे शामिल है अब इनसे छुटकारा मिलना चाहिए
बिल्कुल सही कर्नल साहब जैसे पहाड़ी सूरमाओं की नितांत आवश्यकता उत्तराखंड को है जो धरातल पर काम करते है बाकि तो हवाई नेता है जो केवल वंशवाद को बढ़ावा देते है जर्नल साहब भी उसमे शामिल है अब इनसे छुटकारा मिलना चाहिए