अर्जुन कपूर और करीना कपूर की नई मूवी ‘की एंड का’ देखी । इस फ़िल्म को देखकर शायद कई पुरुषों को गुस्सा आया हो किसी को हँसी और शायद फ़िल्म किसी के गले ही न उतरी हो लेकिन सोचिये किसी की असल जिंदगी में ऐसा हो तो क्या उसको इस फ़िल्म की तरह पॉजिटिव तरीके से लिया जायेगा ।
एक मर्द का घर संभालना भला किसी को रास आएगा। आज के समय में जब महिलाएं घर और बाहर पूरा काम कर रहीं हैं अगर एक पुरुष एक समय का खाना ही बना दे तो समाज उस पर हँसने लगता है या पुरुष ही परिवार पर एहसान जताने लगता है कि मैंने खाना बनाया है लेकिन औरत का तो ये काम है ।
यह मानसिकता पैदा करने वाला कौन है ?
ऐसी पोस्ट पर सबसे पहले महिलाओं के ही ऐतराज आते हैं और वो हमारे पति पर ही तंज कसने लगती है ।
अब भाई लोगों कहीं घर मत बैठ जाना लेकिन फ़िल्म देख कर पत्नी के लिए एक समय का खाना तो बना ही देना । इसमें खुद को बेचारा कतई महसूस मत करना क्योंकि पत्नी को अपने हाथों से भर पेट भोजन खिलाने में आपको ख़ुशी मिलेगी और पत्नी को महसूस होगा कि वो भी घर पर एक सम्मानजनक काम कर रही है । जिस काम को उसका पति भी छोटा नहीं समझता । पेट हम सबके पास है और इसको ख़ुशी ख़ुशी भरना भी हम परिवार वालों की ही जिम्मेदारी है । नजरिया बदलो सोच खुद ब खुद बदल जायेगी ।
- Nalini Gosain ,
Youth Icon Yi National Creative Media
aaj ka jamana aisa hi hai maine apne ek karibi se is bare me baat ki to vo bola aap purush pradhan ho aur mai mahila pradhan