ख़ुशी है कि हमारे एक छोटे से प्रयास से नहटौर निवासी सकील की जान बच गई है ।
दरअसल कल 25 मार्च दोपहर 1बजकर 25 मिनट का समय था जब हरिद्वार नजीबाबाद हाईवे पर चिड़ियापुर के पास मेरे गाड़ी को ओबरटेक करने वाली तेज रफ़्तार एक सफ़ेद रंग की कार ने 20 से 25 मीटर की दूरी पर आगे आगे चल रहे बाईक सवार को जोरदार टक्कर मार दी थी । टक्कर लगने ने बाईक सवार हाईवे के बीचों बीच गिर कर बेहोश हो गया और कार सवार दरिंदा उतनी ही रफ़्तार के साथ घटना स्थल से नौ दो ग्यारह हो गया ।
हाईवे के बीचों बीच बेहोश पड़े युवक के नाक कान मुंह से लगातार खून बह रहा था । और वह खून की उल्टी करने लगा । लेकिन इस बीच हैरान करने वाली बात यह थी कि सड़क से गुजरने वाला कोई भी वाहन घटना स्थल पर रुकने के बजाय किनारे किनारे से अपनी अपनी गाड़ियों को निकाल भाग रहे थे ।
घायल युवक तड़प रहा था । जबकि मैं भी बोलेरो को ड्राईब कर रहा था मैंने तुरंत गाड़ी सड़क के किनारे गड्ढे में उतार साईट ख
ड़ी की । मेरे दोस्त रमेश पेटवाल और मैं घायल युवक तक पहुंचे । वह खून से लतपत छटपटा रहा था उसकी आँखें घूम गई थी । हमने आने जाने वाले वाहनों को बहुत रोकने की कोशिस की लेकिन सब लम्बी लम्बी गर्दन निकाल निकाल कर देखते और फिर तेजी से भाग जाते । लानत हैं ऐसे लोगों पर जो जानवरों से भी बदत्तर हैं । जो इंसान नहीं हैवान थे । मजेदार बात कि घायल हुवे युवक के पास दो कुत्ते पहुंचे पर इंसान नहीं रुके ।
हालाँकि एक दो बाईक सवारों ने जरूर इन्सानियत दिखाई जो हमारे रोकने पर रुक गए । उन लोगों ने इंसानियत दिखाई और काफी देर तक हमारे साथ घटना स्थल पर मौजूद रहकर हाईवे पर ट्रैफिक को कंट्रोल करने में साथ दिया ।
मैंने तुरंत एम्बुलेंस 108 व नजदीकी थाना को फोन कर घटना की सूचना दी । साथ ही घायल युवक और उसकी क्षतिग्रस्त बाइक की फोटो को व्हाट्सएप के अलग-अलग मीडिया ग्रुप में सेंड किया ।
अपने तमाम मीडिया साथियों के सहयोग से
घायल युवक के परिजनों को महज 20 मिनट में ही ढूंढ़ लिया गया था । कुछ ही पल में नजीबाबाद , बिजनौर, नहटौर और देहरादून से उसके रिश्तेदारों के द्वारा मुझे फोन आने लगे तब तक पुलिस और 108 भी मौके पर नहीं पहुंचे थे । पुलिस के आते ही मैंने युवक के परिजनों की जानकारी व युवक का मोबाइल पुलिस कांस्टेबल दीपक के हवाले कर दिया था । जिसके बाद परिजनों व पुलिस के बीच सम्वाद बना रहा और फिर वह हरिद्वार अस्पताल पहुंच गए थे ।
जबकि मैं अपने मित्र रमेश पेटवाल के साथ नैनीताल की ओर चल पड़ा ।
हल्द्वानी पहुंचने पर रात के करीब 10:30 बजे सकील की पत्नी साहिस्ता का फोन आया वह बहुत खुश थी बार बार धन्यवाद करती रही कि आज आपकी वजह से मेरा पति सकील बच गया ।
साहिस्ता ने बताया कि सिर के अलावा छाती में गंभीर चोटें आई है । लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि समय पर पहुँच जाने से ईलाज मिल गया जिसकी वजह घायल सकील को बचाने में सफलता मिल गई है ।
मुझे भी इस बात की ख़ुशी है कि हम सबका प्रयास सफ़ल रहा एक छोटे से प्रयास से सकील की जिंदगी बच गई साहिस्ता को उसका पति मिल गया ।
ख़ुशी इस बात की भी है कि व्हॅट्सप में हमारे मीडिया ग्रुप का सही सदुपयोग हुआ पत्रकार मित्रों की भूमिका सराहनीय रही । आज सकील की पत्नी साहिस्ता बहुत खुश है अल्ला ताला के साथ ही बार बार मेरा शुक्रिया करती रही लेकिन मेरा मानना है कि यह सिर्फ मेरी नहीं बल्कि यूपी उत्तराखंड के सैकड़ों पत्रकारों व मित्र रमेश पेटवाल की मुहीम रंग लाई हम सबने मिलकर उस बेहोश युवक के परिवार को महज 20 मिनट में खोज निकाला ।
लेकिन बार बार सोचता हूँ कि घटना स्थल पर आने जाने वाले वाहनों को बार रोकने के बाद भी कोई मदद के लिए क्यों नहीं उतरा ? जबकि इस जगह से पुलिस अधिकारी की स्टार लगी नीली बत्ती की गाड़ी, जज की गाड़ी व तमाम आम व ख़ास लोग आए गए सबने देखा कि एक युवक के खून से सड़क लतपत हो रही है ।
जज साहब या पुलिस अधिकारी जो गर्दन निकाल निकाल कर घायल युवक को देख तो गए लेकिन, घटना स्थल से सीधे निकल गए । बात जज या पुलिस अधिकारी आम या ख़ास की नहीं है ! सवाल यह है कि आखिर हमारी इंसानियत गई कहां ? नेता, अभिनेता, जज, डी एम, वकील, पत्रकार, इंजिनियरआदि इत्यादि भी इंसानों में से ही बनते हैं यह कोई भगवान नहीं होते हैं बल्कि व्यवस्था के अंग होते है ।
तारीफ़ करूँगा उत्तराखंड की 108 एम्बुलेंस सेवा व उत्तराखंड पुलिस कि जिन्होंने तत्परता के साथ एक जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाई ।
अंत में यही कहूँगा …. जाग इंसान जाग , तेरे कद और तेरे पद की अहमियत महज 60 साल की उम्र तक ही रहेगी लेकिन तेरी इंसानियत ताउम्र याद रहेगी ।
इसलिए इंसान बनो हैवान नहीं राह चलते लोगों की मदद करो फिर आगे बढ़ो ।
* शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Youth icon Yi Naitonal Creative Media Report
ऐसा ही वाकया दो साल पहले मेरे साथ हरिद्वार लौटते समय हुआ रात नौ बजे तीन पानी के पास सड़क के बीचों बीच एक युवक गिरा था काफी अँधेरा उसके सर पर चोट लगी थी जब मैं उसे किनारे रुका तो देखा लोग तेजी से इधर उधर से निकल रहे हैं लेकिन किसी ने उसकी तरफ देखने का कस्ट नहीं किया मैंने हाथों से इशारा गाड़ी रोकने का प्रयास किया लेकिन कोई रुक नहीं मेरा मोबाइल स्वीच ऑफ मेरे पीछे से एक बाइक वाला जरूर रुका लेकिन जब मैंने उसे 108 कॉल करने के लिए कहा तो उसने कहा अपने मोबाइल से करो तो मैंने बताया मोबाइल ऑफ है तो वो भी चलता बना इतने मैं आसपास क लोग आ गए लेकिन किनारे खड़े हो गए मैंने उसे किनारे करने को कहा तो एक दूसरे का मुहँ ताकने लगे कहीं से जब कोई नहीं आया तो मैं खुद घसीटने लगा तो एक बुजुर्ग सज्जन मेरी मदद को आगे आये फिर किनारे पर मैं उसमे जिंदगी तलाशने लगा तो उसकी धड़कन नहीं मिली तो मैं कुछ कहने ही वाला था की उसकी आवाज निकल पड़ी तो तब जाके लोगों ने उसकी तरफ रूख किया उसके पास एक महंगा स्मार्ट फोन था जिस पर लॉक लगा था और बताने की स्थिति मैं नहीं सायद सर पर चोट का असर था उसने पी भी नहीं रखी थी क्योंकि इसका कोई कोई लक्षण नहीं मिला अब मैं आस्वस्त हो गया तो चलकर चौकी मैं सुचना दे कर निकल लिया लेकिन मैंने ये देखा लोग आज कितने संवेदनहीन हो गये हैं
बहुत खूब
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Shyam singh rawat
Working at Jodhpur
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धन्यवाद । हम सबको सेवा सुरक्षा का संकल्प लेना होगा ।