विधायक गणेश जोशी के बहाने…… भाजपा पर प्रहार !
बजट सत्र में प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने आये हजारों भाजपाई अपने गंतव्यों को लौट चुके हैं। सोशल मीडिया के घाटों पर बैठकर शक्तिमान घोड़े और उसकी टूटी टांग के प्रति स्वाभाविक संवेदना और गणेश जोशी को कोसने वाले सभी सन्त, महात्मा अपनी चटाई समेटकर जा चुके हैं। अब बची है कांग्रेस, उसके मीडिया मैनेजर और इक्के दुक्के उनके घोर समर्थक पत्रकार।
अपनी बात बढ़ाने से पहले बता दूँ कि अभी एक पत्रकार मित्र ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस के एक नेता से उनकी लोकेशन पूछी कि घोड़े वाले मामले में बात करनी है तो वे तपाक से बोले ” भाई, उसमें बचा क्या है, वो तो सब क्लियर हो गया, एस एस पी ने तो बोल ही दिया कि घोड़े की टांग गड्ढे में फँसने से टूटी, गणेश जोशी का कोई हाथ नहीं है, कुछ खास है तो बताओ, आपको सी एम ऑफिस से तो फोन नहीं आया “
अर्थात महत्वपूर्ण घोड़े की टांग नहीं विधायक गणेश जोशी की आड़ में बीजेपी के महाँघेराव के सन्देश को कुन्द करना था। किसी हद्द तक सरकार के मैनेजर सफल भी रहे। प्रायोजित खबर में गणेश जोशी का जमीन में लाठी पटकना और घोड़े की टूटी टांग ने हर पशु प्रेमी और संवेदनशील इंसान को उद्वेलित कर दिया। बीजेपी और गणेश जोशी एक झटके में उन्हीं की नजर में खलनायक बन गए जिनकी पीड़ा, मुआवजे, रोजगार, मूलभूत सुविधाओं के लिए यह घेराव किया गया था। मीडिया की अफवाह जंगल की आग की तरह फैली, सोशल मीडिया पर बीजेपी बनाम जनता का युद्ध छिड़ गया। सोशल मीडिया पर लिखने वाले भी खूब भावनाओं में बहे। मैं अपने कुछ घनिष्ट पत्रकार मित्रों के व्यवहार से चकित था जो झूठ को सच बनाने मैदान में कूद पड़े थे, निःसंदेह, उनके प्रति निजी रूप से मेरा आदर कम हुआ , भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते नहीं बल्कि मीडिया का संवेदनशील पाठक और दर्शक होने के नाते।
मुझे लगता है दंगे ऐसे ही अफवाहों से फैलते होंगे। यह दो दिन का दंगा ही था । शब्दों का रक्तपात, विचारों पर हमला, सम्बन्धों की झड़प अब सच्चाई सबके सामने है। ईमानदार और सौम्य एस.एस.पी. डॉ. दाते के बेबाक बयान ने सच्चाई सामने रख दी। अफवाह का केन्द्र मुख्यमंत्री निवास बीजापुर गेस्ट हाउस था। उन्होंने कलम और कैमरे का अपने हित में बेहतर उपयोग किया। अब कांग्रेस के बाँह समेटे बयानवीर बैकफुट पर हैं। पंचसितारा संस्कृति वाले अभिजात्य पशुप्रेमी भी फुटेज के लिए अवतरित हो गए। दिनरात हो रही गौवंश की तस्करी पर ये लोग नहीं दिखते तब ये ठेका सांप्रदायिक लोगों का है। इन देवियों का पशुप्रेम तब नहीं उमड़ता जब रावत सरकार की खननकारी जेसीबी जलीय जन्तुओं, नदी किनारे के वनों में रहने वाले पशुओं का जीवन खतरे में डाल देती है।
सारी सच्चाई सामने आने के बाद भी आज सीएम के निर्देश पर कांग्रेसी मित्र बेमन से देहरादून की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं ।जितनी पीड़ा मुख्यमंत्री जी को शक्तिमान की है काश उतनी ही पीड़ा उनके मित्र जिन्दल के गुण्डों से बर्बर तरीके से चोटिल पत्रकार पी सी तिवारी के प्रति भी दिखी होती। कांग्रेसियों की जीवमात्र से दया करने का नाटक समझ से परे है। महिला को तंदूर में जलाने के आरोपी, 84 के सिख दंगों में अग्रणी कांग्रेस सनातन मूल्यों में विश्वास करने वाली पार्टी को पशुप्रेम सिखा रही है।
कांग्रेस का पशुप्रेम हाल ही में अरुणांचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में दिखाई दिया जब राज्यपाल ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। सत्ता जाने से बौखलाये कांग्रेसियों ने राजभवन गेट पर दर्जनों मिथुन ( गाय की तरह का जानवर ) काट डाले, पूरा क्षेत्र रक्तरंजित कर डाला, उसके अंग राजभवन के भीतर भी फेंके शायद तब पशुवध का अर्थ कांग्रेस की परिभाषा में लोकतंत्र बचाना होगा। वोट बैंक न बिदके इसलिए कर्नाटक के वन और चन्दन तस्कर वीरप्पन को वर्षों तक पकड़ा नही गया जिसने अनगिनत हाथियों की हत्या की थी।
जनता को स्मरण है कि राज्य में पहली कांग्रेस सरकार के समय हाथियों की सर्वाधिक मृत्यु हुयी, बाघों की अस्वाभाविक मृत्यु हुयी, खालें बरामद हुयी। उस दौरान कुख्यात वन तस्कर संसारचन्द का ठिकाना उत्तराखण्ड ही रहा।
बीजेपी कार्यकर्ताओं की एकजुटता और सरकार का षड्यंत्र सामने आ चुका है। देर सबेर शक्तिमान का घाव भर जायेगा, विधायक जोशी भी छवि को हुए नुकसान से उबर जायेंगे मगर जनता को आपदा राहत, मुआवजा, आबकारी, खनन, शाहिद स्टिंग, बुलडोजर, खली,नानीसार, लचर कानून व्यवस्था याद है ।
लेखक : सतीश लखेड़ा , भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रवक्ता हैं ।
(लेख में यह उनके अपने व्यक्तिगत विचार अथवा मत हैं )
सतीश लखेड़ा जी
आपकी बात सही है विरोधी पार्टिया हमेशा एक दूसरे को निशाना बनाती आई है
वो एक अलग मुद्दा है
परन्तु आप विधायक जोशी जी को इस कृत्य से बरी नही कर सकते भले ही उन्होंने स्वयं घोड़े की टांग पर प्रहार ना किया हो किन्तु उन्होंने घोड़े को बिदकने पर मजबूर किया जिसकी वजह से घोड़े की टांग बुरी तरह से शतिग्रस्त हुई है इस बात से इनकार नही किया जा सकता
विधायक जी की छवि की नुक्सान की भरपाई भले ही कुछ समय बाद हो भी जाए पर आज उनका ये कृत्य पूर्ण रूप से अमानवीयता ही दर्शाता है।
ये तो सिर्फ राजनीति से प्रेरित है दोनों को ही बरी नहीं किया जासकता सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है घोड़े के लिए जितना mr जोशी डंडा फटकारने सेयक़ीनन घड़ा बिदक गया पर सरकार ने भी तो गलिया सड़के उधेड़ कर रखी हुई है यहाँ तो इन्सान भी पता नहीं कब दुसरी यात्रा पर निकल लेगा नहीं पता
निशा
आपकी बात में बिलकुल सत्यता है कांग्रेस अपनी नाकामी को छुपाने की पूर्ण कोशिश की जिसमे काफी हद्द तक वो कामयाब भी रहे पर अब सच जनता के सामने है ।।
जी सुनीता जी,, आपका कथन सही है। गणेश जोशी जी के किसी भी गलती या कृत्य के लिए उनका बचाव नही किया जा रहा है। केवल राजनैतिक विश्लेषण की दृष्टि से रपट लिखी गयी है। स्वाभाविक है सहमति असहमति होगी ही किन्तु मेरा प्रयास केवल सरकार के कुचक्र को बताना मात्र था।
जी हाँ मै सुनीता जी की बात से सहमत हूँ लखेड़ा जी मानवीय मूल्य हर पल साथ ही होते है और आप का व्यवहार दर्शाता है ।ये ठीक है मै भी पूरा टाइम क्लिपिंग देखरही थी और सोच रही थी की दोनों फेस तो फेस है फिर चोट पीछेके पैर में कैसे मगर ये भी सत्य है की घोडा लाठी भांजने से बिदका इसकी जिमेदारी सरकार पर भी जाती है हर गली हर सड़क तहस नहस हालत में है ये तो घोडा गिरा है नजाने कितने इन्सान रोज ऐसेही काल के गाल में समा रहे है तो सरकार को भी बरी नहीं किया जासकता
ये राजनीति है
शक्तिमान को लाठी लगी या नहीं को आप मुख्य मुद्दा मानते होंगे। मैं विधायको या कहे तो क़ानूननिर्माताओं के हाथो में क़ानून (इस केस में लाठी) को आसानी से सड़क पर ले लेने को मुद्दा मानता हूँ। देखना चाहूँगा कब इस पर भी बात शुरू हो, बाकी तब तक हम सरकारो के पशु प्रेम के आंकड़ो से खेल लेते हैं।
अति सुन्दर मित्र,विचारो की भिन्नता हो सकती है घटना को देखने का अपना अपना नजरिया है। यह तो स्वभाविक नियती है। आपके ओजस्वी पुर्ण लेख से भाजपा के पक्ष को मजबूती अवश्य मिलेगी । काँग्रेस की विफलता को उजागर करने का अच्छा अवसर है। आपकी सक्रियता की आवश्यकता है ।
मै सुनीता जी की बात से सहमत हूँ लखेड़ा जी कहीं न कहीं डंडा फटकारना भी कारण है घोड़े के बिदकने का पर हम सरकार को भी इस दुर्घटना से बरी नहीं कर सकते है हर जगह सड़के खुदी हुई है हर जगह कुछ न कुछ अव्यवस्था है यहाँ तो रोज ही इंसान इस तरह की दुर्घटना का शिकार हो रहा है और जान भी खो रहा है हाँ इसमे राजनीतिक कारण तो है ही इसमे कोई संदेह नहीं
निशा
satish lakhera ji BJP par prahar karne ka maukaa bhi to Ganesh joshi ne hi diya hai . yh kyo nahi dekh rahe hain aap \
ये तो सिर्फ राजनीति से प्रेरित है दोनों को ही बरी नहीं किया जासकता सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार है घोड़े के लिए जितना mr जोशी डंडा फटकारने सेयक़ीनन घड़ा बिदक गया पर सरकार ने भी तो गलिया सड़के उधेड़ कर रखी हुई है यहाँ तो इन्सान भी पता नहीं कब दुसरी यात्रा पर निकल लेगा नहीं पता
निशा
पूरी पूरी संवेदना है,, विधायक तो चुना हुआ जन प्रतिनिधि है उन्हें डंडा उठाना, फटकारना, पुलिस से उलझना शोभा नहीं देता। इस कृत्य में कोई भी उनके साथ नही। मेरा मानना है कि अगर घोड़ा चोटिल नहीं होता तो लोग विधायक के डंडा फटकारने का संज्ञान नहीं लेते, जबकि लेना चाहिए क्योंकि यह किसी को शोभा नहीं देता।
फिर विषय पर लौटता हूँ कि मीडिया प्रबंधन द्वारा सरकार घोड़े की टांग की आड़ लेकर बच नहीं सकती, बीजेपी का घेराव जनता के ज्वलन्त मुद्दों को लेकर था न कि हरीश रावत जी पर निजी रूप से । रावत जी को सवालों का सामना करने के बजाय ऋणात्मक प्रबन्धन पर नहीं जुटना चाहिए था।