अब भाजपा में मच गया CM पद को लेकर घमासान !
यह बात मीडिया की कयासबाजी नहीं बल्कि कांग्रेश के पूर्व वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज जो अब बीजेपी में शामिल हैं की ओर से एक के बाद एक प्रेसनोट जारी करने से हुवा है ।
सतपाल महाराज की ओर से कल समस्त पत्रकारों को मेल के मार्फत यह अवगत कराया गया था कि उनकी मुलाक़ात भाजपा के वरिष्ठ नेता नैनीताल सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी से हुई थी ।
सतपाल महाराज की ओर से जारी पत्र में यह साफ़ साफ़ लिखा गया है कि महाराज ने कोश्यारी से पहले अपनी चेली (कांग्रेश विधायक) को भाजपा में शामिल करने के लिए कहा है , फिर महाराज भी अपने खेमे के लोगों (कांग्रेशी विधायकों) को भाजपा में ले आएंगे ।
भाजपा नेता सतपाल महाराज द्वारा प्रेस को जारी किया गया इस तरह का पत्र भारतीय जनता पार्टी के अंदरुनी कलह को जगजाहिर कर गया । और जाहिर सी बात है कि इस खबर के बाद भाजपा के लिए एक नई मुसीबत भी खड़ी हो गई है । या यूँ कहें कि भाजपा में भी कांग्रेश जैंसे ही हालात पनपने लगे हैं ।
पत्र में सतपाल महाराज की ओर से उन्ही की तरह कांग्रेश से बागी हुए नेता हरक सिंह रावत जो कि कभी बसपा व भाजपा के भी नेता रहे हैं और फिर भाजपा के पाले में खड़े दिखाई दे रहे हैं , को भी नसीहत दी है कि वह (हरक सिंह) अभी भाजपा के नेता नहीं है इसलिए भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री कोश्यारी बनाए जाएं, ऐसा बयान वह नहीं दे सकते हैं ।
सतपाल महाराज की ओर से 30 मार्च को जारी हुए इस प्रेसनोट के हवाले से खबर तमाम समाचार पत्रों में प्रकाशित भी हुई । और 31 मार्च की दोपहर तक सबकुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन महाराज के बयान से राज्य की सियासत के गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरमाता दिखा । वहीँ दूसरी ओर भाजपा के जमीनी नेताओं व कार्यकर्ताओं में महाराज के इस बयान को लेकर बेचैनी थी लेकिन ताजा राजनीतिक माहौल को देखते हुवे कोई भी खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ । लेकिन कयास यह लगाया जाने लगा कि नाराज भाजपा के नेता महाराज के बयान से दुःखी मन अपनी पीड़ा अपने आला नेताओं तक पहुंचाने के मूड में हैं ।
और अब आज फिर से सतपाल महाराज के हवाले से एक और प्रेसनोट जारी हुआ है जिसमे कल के प्रेसनोट पर माफ़ी मांगी गई है , स्पष्ट है कि भाजपा के नेताओं ने अपनी नाराजगी से अपने आला नेताओं को अवगत कराया होगा और उसके बाद सतपाल महाराज से सफाई मांगी भी गई होगी । नतीजतन सतपाल महाराज को अपने कदम पीछे सरकाने पड़े और आज यह कहते हुए माफ़ी मांगी ली गई है कि 30 मार्च को जारी हुआ प्रेसनोट गलती से जारी हुआ है । और मजेदार बात यह कि आज जारी हुए पत्र में माफ़ी महाराज के प्रेस जारीकर्ता विकास की ओर से मांगी गई है ।
कुल मिलाकर भाजपा में भी आने वाले दिनों में मुद्दा उत्तराखंड राज्य के विकास का कम व नेताओं की आपसी खींचतान व वर्चस्व का ही रहने वाला है ।
उत्तराखंड राज्य में इस नए बबाल से यह एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि यहां के नेताओं को पहाड़ के विकास की कम और अपने व्यक्तिगत विकास की ज्यादा चिंता है । भाजपा कांग्रेश दोनों ही पार्टीयो का पिछ्ले डेढ़ दशक के इतिहास पर भी नजर दौड़ाएं तो यही पाएंगे कि यहां की राजनीति सिर्फ और सिर्फ नेताओं की अति महत्वकांक्षाओं की भेंट चढ़ी है । जितने मुख्यमंत्री इस राज्य ने 40 वर्षों में देखने थे वह महज 16 वर्षों में दिख गए ।
आगे क्या भी क्या होने वाला है सतपाल महाराज और भगत सिंह कोश्यारी के ताज़ा घमासान ने कलई खोलकर रख दी है ।
इसे ही कहते हैं : सूत न कपास , जुलाहों में लट्ठमलट्ठा ।
* शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
Shashi Bhushan Maithani Paras
Youth icon Yi Naitonal Creative Media Report
SATPAL MAHARAJ JI JAHA BHI JAYENGE YE DIRTY POLITICS KARENGE VO DIN DOOR NAHI JAB YE B J P KO BHI CONGRESS BANA DENGE
Stpal mharaj BJP ke ghor virodhi he, unke vichr congresi he, wo sirf apne sawrth k chlte aur harish rawat ke virodh ke karna BJP me ayehe, congres ne unko koi importent responcibilty nhi di(Adhyakcha and cm) isliye aaj BJP me jor lga rhe he, BJP management ko chiye ki ese swarthi logo se sawdhan rhe aur BJP ke jameeni logo ko hi promote kre otherwise party aur workers ko dukh hoga
dekh lenaa Satpal Maharaj bahut jaldi BJP ko Congresh bna denge .